बोकारो: गत एक सप्ताह से मिथिलांचल के घर-घर में महिलाओं के द्वारा परंपरागत रूप से मनायी जानेवाली सामा-चकेवा लोकपर्व का समापन गुरुवार को अत्यंत भाव-विह्वल रहा.
मिथिला सांस्कृतिक परिषद् की ओर से आयोजित इस पर्व के समापन के निमित्त देर शाम सारी महिलाएं अपने-अपने सामा-चकेवा की डाला के साथ सेक्टर 4 स्थित परिषद् प्रांगण में पहुंची. यहां परंपरा के अनुसार बहनों ने सामा-चकेवा को चूड़ा, दही, गुड़ व मिठाई से मुंह जूठा कराया.
साथ ही देवी गीत व सामा-चकेवा के गीतों से वातावरण को गुंजायमान किया. सामा-चकेवा पर्व का समापन एक सुसज्जित समारोह के माध्यम से किया. अपनी-अपनी तरह से अपने-अपने भाईयों और पुत्रों के नाम से गीत का गायन अनवरत चल रहा था.
इसी बीच बहनों द्वारा अपने भाईयों का फाड़ बांधा गया, जिसमें उन्हें चूड़ा, गुड़, मिष्ठान आदि दिया गया. इसके बाद भाईयों ने घुटने के सहारे अपने हाथों से सामा-चकेवा सहित सभी निर्मित मूर्तियों को तोड़ डाला. फिर प्रारंभ हुआ विदाई गीत समदाओन. अपनी-अपनी डालाओं में दीप जला कर उसे ले जोते गये खेत में उसे विसजर्न करने के लिए गीत गाती हुई चल पड़ीं. मौके पर परिषद के अध्यक्ष विजय कुमार झा, महासचिव हरि मोहन झा, संयुक्त सचिव अनिमेश कुमार झा, पूर्व सचिव तुला नंद मिश्र, सतीश चंद्र झा सहित, अरुण पाठक आदि उपस्थित थे.