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पिंड्राजोरा के प्रकाश को 42 लाख की स्कॉलरशिप

जगजीवन नगर निवासी प्रकाश कुमार को ब्रिटिश सरकार ने लगभग 42 लाख रुपये की स्कॉलरशिप दी है. इसमें 26 लाख 50 हजार रुपये (26,500 पाउंड) की टय़ूशन फीस, एक लाख 20 हजार रुपये (1,208 पाउंड) प्रतिमाह 12 महीने तक मासिक स्टाइपेंड, 55 हजार रुपये (550 पाउंड) ट्रैवल टिकट दिल्ली से लंदन व लंदन से दिल्ली […]

जगजीवन नगर निवासी प्रकाश कुमार को ब्रिटिश सरकार ने लगभग 42 लाख रुपये की स्कॉलरशिप दी है. इसमें 26 लाख 50 हजार रुपये (26,500 पाउंड) की टय़ूशन फीस, एक लाख 20 हजार रुपये (1,208 पाउंड) प्रतिमाह 12 महीने तक मासिक स्टाइपेंड, 55 हजार रुपये (550 पाउंड) ट्रैवल टिकट दिल्ली से लंदन व लंदन से दिल्ली के लिए अराइवल अलाउंस 34,200 रुपये (342 पाउंड) थिसिस ग्रांट के एवं 15 हजार रुपये (150 पाउंड) एक्सेस बैगेज के शामिल हैं.
इस तरह मिली छात्रवृत्ति
ब्रिटिश चीवनिंग स्कॉलरशिप के लिए देश भर से कुल 1100 आवेदन दिये गये, जिसमें प्रकाश समेत कुल 30 का चयन हुआ. इसमें ब्रिटिश सरकार संबंधित स्टूडेंट्स को पूरी ट्यूशन फीस, मासिक स्टाइपेंड समेत करीब 45 लाख रुपये खर्च देती है. इसमें प्रोफाइल को देखने के बाद दो बार चयन प्रक्रिया से गुजरना होता है, जिसके बाद संबंधित छात्र को अंतिम तौर पर साक्षात्कार के लिए बुलाया जाता है.
प्रकाश ने फॉरेन यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के लिए ग्रैजुएट कोर्ड एग्जामिनेशन (जीसीइ) दिया, जिसमें कुल 340 में 302 रैंक आया. वहीं इंग्लैंड में पढ़ाई के लिए टोयफल (टेस्ट ऑफ इंगलिश एज ए फॉरेन लैंग्वेज) की परीक्षा दी, जिसमें कुल 120 में 107 रैंक मिले. इसी परीक्षा के आधार पर इंपीरियल कॉलेज, लंदन में नामांकन लिया. इस परीक्षा में राइटिंग, स्पीकिंग, लिसनिंग व रीडिंग का टेस्ट लिया गया.
लंबा रहा सफर
वर्ष 1999 में आइएसएल, सरायढेला (जो अब गुरुकुलम स्कूल है) से 72 फीसदी अंकों के साथ दसवीं की. फिर आइएसएल एनेक्सी (आइएसएम) से 71 फीसदी अंकों के साथ बारहवीं. झारखंड संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा में ओबीसी 29 वां रैंक मिला, जिसके आधार पर एनआइटी पटना से वर्ष 2005 में सिविल इंजीनियरिंग 70 फीसदी अंकों के साथ किया. यहां से राइट्स, गुड़गांव (केंद्र सरकार की कंपनी) में सहायक प्रबंधक पद पर कैंपस प्लेसमेंट हुआ. इसके बाद निजी कंपनी श्रेय इंफ्रास्ट्रर, नयी दिल्ली में लखनऊ व बेंगलुरु मेट्रो रेल के लिए काम किया. वर्ष 2010 में बीइ इंस्पायर अवार्ड इन रेल ट्रांजिट के लिए नीदरलैंड गये.
बच्चों को देंगे मार्गदर्शन
प्रकाश बताते हैं कि यहां तक पहुंचने में उन्हें नौ साल लग गये, वह भी केवल सही मार्गदर्शन नहीं मिलने की वजह से. वह झारखंड के दूसरे बच्चों को मार्गदर्शन देना चाहते हैं कि उन्हें इतना लंबा वक्त न लगे. प्रकाश के पिता नारायण महतो जिला परिषद, बोकारो में जिला अभियंता पद से सेवानिवृत्त हुए हैं. जबकि मां शिवानी महतो गृहिणी हैं.
परिवार के अन्य सदस्य
प्रकाश मूल रूप से पिंड्राजोरा, बोकारो के निवासी हैं. बड़े भाई डॉ दीपक कुमार डाउनटाउन हॉस्पिटल, गुवाहाटी में डॉक्टर व भाभी यहां ही रेजिडेंट डॉक्टर हैं. दीदी डॉ मीनू सरायकेला में मेडिकल ऑफिसर और बहनोई भी यहीं चिकित्सा प्रभारी हैं.

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