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.. ताकि इलाज के अभाव में न हो किसी की मौत

बोकारो: बोकारो जिला प्रशासन ने शिक्षा के क्षेत्र में ‘स्पीड’ की सफलता को देखते हुए अब स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने की तैयारी कर रहा है. बुजुर्ग दंपति को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने को लेकर चास की एक सामाजिक संस्था ने भी पहल की है. संस्था के पदाधिकारी ने इसको लेकर डीसी बोकारो से […]

बोकारो: बोकारो जिला प्रशासन ने शिक्षा के क्षेत्र में ‘स्पीड’ की सफलता को देखते हुए अब स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने की तैयारी कर रहा है. बुजुर्ग दंपति को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने को लेकर चास की एक सामाजिक संस्था ने भी पहल की है.

संस्था के पदाधिकारी ने इसको लेकर डीसी बोकारो से बातचीत की है. प्रशासन व सामाजिक संस्था की साझा योजना के तहत चास-बोकारो में अकेले रह रहे दंपति को स्वास्थ्य सुविधा मुहैया होगी. बोकारो में फिलहाल लगभग 10 हजार लोग ऐसे रह रहे हैं, जिनके पुत्र बाहर पढ़ाई या नौकरी कर रहे हैं. इनमें से कई ऐसे हैं, जो गंभीर बीमारी से ग्रसित हैं. इनको कभी भी अस्पताल ले जाने की जरूरत पड़ सकती है.

ऐसे मिलेगी सुविधा : अगर किसी को अचानक डॉक्टर/अस्पताल की जरूरत होगी तो वह हेल्पलाइन नंबर पर फोन करेगा. फोन करने के बाद तुरंत एंबुलेंस उनके घर पहुंचेगा. मरीज को स्थिति को देखते हुए तुरंत उन्हें निकट के अस्पताल में पहुंचाया जायेगा. संस्था के वोलिंटियर उस मरीज के साथ तब तक रहेंगे, जब तक उनका पुत्र बाहर से आ नहीं जाता या फिर कोई उसका परिजन अस्पताल नहीं पहुंचता. प्रशासन का प्रयास है कि ऐसे मरीज जिस भी अस्पताल में पहुंचे, वहां सबसे पहले उनकी चिकित्सा शुरू हो जाय. ताकि इलाज के अभाव में उनकी मौत न हो.

केस स्टडी-1

सेक्टर 4 जी निवासी बीएसएल से सेवानिवृत्त अधिकारी की अचानक तबीयत खराब हो गयी. एंबुलेंस के लिए फोन किया गया. उसमें देरी हुई तो पड़ोसी अपनी कार से लेकर उनको बीजीएच किसी तरह पहुंचे. डॉक्टर ने जांच के बाद कहा : आने में देर हो गयी. उनको सांस की बीमारी थी. एक पुत्र है, जो बंगलोर में सॉफ्टवेयर इंजीनियर है. यहां पति-पत्नी ही रहते हैं.

केस स्टडी-2

सेक्टर 1 सी में बीएसएल से अवकाश प्राप्त अधिकारी को लकवा मार दिया है. पत्नी 24 घंटे उनके साथ रहती है. इस दौरान अचानक पत्नी को तेज बुखार हो गया. अब उनके सामने समस्या यह थी कि पति को अकेले छोड़ कैसे अपने को दिखाने जाये. स्थिति बहुत बिगड़ी तो पड़ोसी तो घर में रख कर अस्पताल गयी. अधिकारी के दो पुत्र है, जो अमेरिका में कार्यरत है.

केस स्टडी-3

बारी-कोऑपरेटिव में बीजीएच से सेवानिवृत्त डॉक्टर का पुत्र आर्मी में हैं. बेटा आया हुआ था. एक दिन रात में उसके पेट में अचानक तेज दर्द हुआ. डॉक्टर साहब ने एंबुलेंस के लिए एड़ी-चोट एक किया. लेकिन, एंबुलेंस नहीं मिला. थक कर उन्होंने चास के एक समाजसेवी को फोन किया. समाजसेवी तुरंत अपनी कार लेकर उनके घर पहुंचे और बेटे को अस्पताल पहुंचाया.

‘स्पीड’ की सफलता से जिला प्रशासन उत्साहित है. अब स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी कुछ करने की योजना है. इस पर मंथन चल रहा है. इस तरह का एक प्रस्ताव भी एक सामाजिक संस्था ने प्रशासन के समक्ष रखा है. संस्थान को भी होमवर्क करने को कहा गया है.

उमाशंकर सिंह, डीसी-बोकारो

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