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जैनामोड़ : 300 वर्षों से हो रही है पूजा
विप्लव सिंह आस्था का प्रतीक है जरीडीह गांव का दुर्गा मंदिर जैनामोड़ : चास प्रखंड के अंतर्गत स्थित जरीडीह गांव की श्री श्री सार्वजनिक दुर्गा मंदिर के प्रति यहां के लाेगों की अटूट आस्था है. गांव के वृद्ध दुर्गा प्रसाद सिंह ने बताया कि 300 वर्षों से यहां पूजा-अर्चना की जाती है. बताा कि पहले […]
विप्लव सिंह
आस्था का प्रतीक है जरीडीह गांव का दुर्गा मंदिर
जैनामोड़ : चास प्रखंड के अंतर्गत स्थित जरीडीह गांव की श्री श्री सार्वजनिक दुर्गा मंदिर के प्रति यहां के लाेगों की अटूट आस्था है. गांव के वृद्ध दुर्गा प्रसाद सिंह ने बताया कि 300 वर्षों से यहां पूजा-अर्चना की जाती है. बताा कि पहले यहां मां वैष्णवी की पूजा होती थी, जिसकी शुरुआत गांव के गुरु गौराई उर्फ फनुमुनी राम गोस्वामी ने की थी. फिर वह तपस्या में निकल पड़े.
उन्होंने पूजा संचालित करने की जिम्मेदारी गांव के जमींदार रुपलाल सिंह, रजनी सिंह व नेवालाल सिंह को दी. इस पर तीनों ने गुरु के सम्मुख आकर अपनी व्यथा सुनायी. कहा कि हम तो मां वैष्णवी को छोड़ मां भगवती के रुप में राजसी पूजा करने के सामर्थ्य है. गांव की पूजा को लेकर विषम परिस्थिति उत्पन्न होना स्वभाविक था. गुरु व जमींदारों के बीच जिस दिन बात हुई.
उसी रात मां दुर्गा गुरु को सपना आयी. उन्होंने कहा कि गांव वाले जिस रुप में मेरी पूजा करना चाहते हैं, उसी रुप से पूजा करें. उसी वक्त से मां की पूजा धूमधाम से होती आ रही है. सप्तमी, अष्टमी व नवमी को बकरे की बली दी जाती है. दूर-दूर से लोग पूजा अर्चना करने आते हैं. मनोकामना पूरी होने पर मां का श्रृंगार सेट चढ़ाते हैं.
यहां आचार्य को स्वत: श्रद्धालुओं से बतौर दक्षिणा स्वरुप रकम हासिल हो जाती है. मंदिर के पुजारी पातू ओझा व पुरोहित गोवर्धन ओझा ने बताया कि मंदिर में मां दुर्गा का आगमन सप्तमी से होने के साथ ही पूजा शुरू हो जाती है. मां के दरबार में भक्तों की मनोकामना पूरी होती है.
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