बोकारो : लगभग 20 लाख की आबादी वाले बोकारो जिले में हर दिन खान-पान से संबंधित कारोबार करने वाले कितने कारोबारी हैं, इसका ठोस आंकड़ा फूड एंड सेफ्टी विभाग के पास नहीं है. मात्र 2847 कारोबारियों ने ही रजिस्ट्रेशन कराया है और लाइसेंस लिया है. उसमें भी लगभग 1200 से अधिक का लाइसेंस अनएक्टिव है.
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नहीं हो रहा फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड एक्ट का पालन, लापरवाह बना विभाग
बोकारो : लगभग 20 लाख की आबादी वाले बोकारो जिले में हर दिन खान-पान से संबंधित कारोबार करने वाले कितने कारोबारी हैं, इसका ठोस आंकड़ा फूड एंड सेफ्टी विभाग के पास नहीं है. मात्र 2847 कारोबारियों ने ही रजिस्ट्रेशन कराया है और लाइसेंस लिया है. उसमें भी लगभग 1200 से अधिक का लाइसेंस अनएक्टिव है. […]
कारोबारी को रजिस्ट्रेशन कराने व लाइसेंस लेने के लिए दुकानदार को कई अहर्ताएं पूरी करनी होती है, इससे बचने के लिए कारोबारी लाइसेंस ही नहीं लेते हैं. इस वजह से सरकार को राजस्व का भी नुकसान होता है. क्योंकि प्रत्येक लाइसेंस पर विभाग को दो हजार रुपये मिलते हैं. गौरतलब है कि फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट 2006 पांच अगस्त 2011 से ही प्रभावी है.
विभाग की लापरवाही का असर उपभोक्ताओं की सेहत पर : कौन-क्या बेच रहा है. खाद्य सामग्री की गुणवत्ता क्या है, फूड व सेफ्टी के मानकों का पालन हो रहा है या नहीं.
खाने से लोगों की सेहत पर क्या असर पड़ रहा है. इसकी जानकारी तक फूड एंड सेफ्टी विभाग नहीं ले रहा है. विभाग की नजर भी ऐसे दुकानों पर नहीं पड़ती है. जब भी कोई बड़ा मामला सामने आता है, तब फूड व सेफ्टी विभाग सक्रिय हो उठता है.
यह है नियम : फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड एक्ट ऑफ इंडिया के तहत खान पान से संबंधित हर कारोबारी को एफडीए से लाइसेंस लेना जरूरी है. सालाना कारोबार 12 लाख से कम होने पर रजिस्ट्रेशन करना है और 12 लाख से अधिक होने पर लाइसेंस लेना है.
रजिस्ट्रेशन 100 रुपया में होता है व इतने ही रुपये देकर हर साल नवीकरण कराना होता है. इसी प्रकार लाइसेंस शुल्क 2000 हजार रुपये है. इतनी ही राशि देकर नवीकरण कराया जाता है
छह माह में एक भी लाइसेंस नहीं हुआ जारी
चास एसडीओ हेमा प्रसाद ने बताया कि अभी तक शहर में कुल लगभग तीन हजार दुकानों का रजिस्ट्रेशन हुआ है. इसमें लाइसेंस भी शामिल है. इसमें कइयों ने नवीकरण नहीं कराया है. 12 लाख से अधिक टर्न ओवर वाले करोबारी का लाइसेंस मेरे स्तर से ही निर्गत होना है. मैंने तो बोकारो आने के बाद एक भी लाइसेंस नहीं निर्गत किया है.
कई ठेले व होटल वालों को फूड सेफ्टी एक्ट कानून की जानकारी ही नहीं है. ऐसे में जांच के साथ-साथ इन्हें फूड सेफ्टी एक्ट के बारे में जागरूक करने की आवश्यकता है. बताते चलें कि हेमा प्रसाद ने 20 फरवरी 2019 को चास एसडीओ के पद पर अपना योगदान दिया था. वह पिछले 06 माह से पदस्थापित है.
इनके लिए जरूरी है रजिस्ट्रेशन व लाइसेंस
पानी- पुरी, चाइनीज व्यंजन, होटल, रेस्टोरेंट, चाय-नाश्ते की दुकान, राशन किराना की दुकान, बेकरी, चाट आदि के लिए रजिस्ट्रेशन व लाइसेंस जरूरी है. विभाग द्वारा नियमित कार्रवाई नहीं करने के कारण शहर के कई नामी गिरामी दुकान व लाइसेंस लेने से बच रहें है. वह सिर्फ रजिस्ट्रेशन से काम चला रहें है.
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