बोकारो: 38 वर्षीय सुदीप ने कभी सोचा नहीं था कि वह पेंटर बन जायेगा. पेंटिंग भी इस कदर बनायेगा कि एक नजर में लोगों के दिलो दिमाग पर छा जायेगी. साथ ही उस पेंटिंग को राष्ट्रीय व अंतर राष्ट्रीय एक्जीबिशन में भी शामिल कर पायेगा.
आज वह सब कुछ हो रहा है, जो उसने सोचा नहीं था. इसका श्रेय सुदीप एक दुर्घटना को देता है. जो 18 जून 2013 को घटी थी. साथ ही शुक्रगुजार है अपनी पत्नी शिल्पी व परिवार के हर सदस्यों का. जिन्होंने उसके कला को सराहा और हिम्मत दी. पेंटिंग अब सुदीप का जुनून बन गया है. अचानक उसके इस परिवर्तन से घरवाले भी खुश हैं.
धीरज ने मुङो दिया है नया जीवन : सुदीप आज भी धीरज का शुक्रिया अदा करते हैं. सुदीप कहते हैं 18 जुन 2013 की रात जब वह चास से लौट रहे थे. उस दिन बारिश हो रही थी. किसी ने उसे टक्कर मार दी. वे घायल सड़क पर तड़प रहे थे. पैर की हड्डी टूट कर बाहर निकल गयी थी. लोग देख रहे थे. पर किसी ने उसकी मदद नहीं की. उसी वक्त धीरज कुमार देवदूत के समान वहां आये. धीरज उन्हें जानते तक नहीं थे, जो उन्हें अस्पताल ले गये. जब तक चिकित्सक ने ओके नहीं कह दिया. तब तक अस्पताल से नहीं गये. आज भी धीरज लगातार सुदीप से मिलने आते हैं. धीरज ने मुङो नया जीवन दिया है. मेरी दुनिया बदल दी है.