17.5 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

गोमिया उपचुनाव : आज भी बीमारों को खटिया पर टांगकर शहर लाते हैं बिरहोर

गोमिया : गोमिया विधानसभा क्षेत्र के बिरहारी पंचायत में एक गांव है बिरहोरटंडा . गोमिया ब्लॉक से इस गांव की दूरी लगभग 12 किमी की है. इस गांव की पूरी आबादी बिरहोर की है. गोमिया विधानसभा में उपचुनाव हो रहे हैं लेकिन गांव तक सिर्फ एक प्रत्याशी प्रचार के लिए पहुंची . इस गांव में […]

गोमिया : गोमिया विधानसभा क्षेत्र के बिरहारी पंचायत में एक गांव है बिरहोरटंडा . गोमिया ब्लॉक से इस गांव की दूरी लगभग 12 किमी की है. इस गांव की पूरी आबादी बिरहोर की है. गोमिया विधानसभा में उपचुनाव हो रहे हैं लेकिन गांव तक सिर्फ एक प्रत्याशी प्रचार के लिए पहुंची . इस गांव में वोट कम है इसलिए भी प्रत्याशी इसे नजरअंदाज कर रहे हैं.

बिरहोर अपने पारंपरिक काम पर पूरी तरह निर्भर हैं. बिरहोर रस्सी बनाकार बाजार में बेचते हैं. इस छोटे से गांव में 100 से ज्यादा लोग हैं. इस गांव में कई काम हुए लेकिन समस्याएं अभी भी कम नहीं हुई. गांव तक जाने का रास्ता नहीं है . अभी भी जब बिरहोर बीमार पड़ते हैं, तो खटिया में टांगकर उन्हें अस्पताल तक पहुंचाया जाता है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट. गोमिया से अमलेश नंदन सिन्हा के साथ पंकज कुमार पाठक की रिपोर्ट .

गांव में सड़क नहीं, सुविधा नहीं
इसी गांव के रहने वाले सुरेश बिरहोर कहते हैं यहां के लोगों की सबसे बड़ी समस्या सड़क है. यहां आने जाने के लिए रास्ता नहीं है. गांव तक ऐेंबुलेंस भी नहीं आ पाती. बीमार लोगों को हमें चारपाई में लेकर जाना पड़ता है. यहां से चारपाई पर डूमरी ले जाते हैं वहां से ऐंबुलेंस में गोमिया ले जाते हैं. किसी चीज की अचानक जरूरत पड़ गयी तो डूमरी जाना पड़ता है.
गांव में बिजली और स्कूल की सुविधा
इस छोटे से गांव में बिजली और स्कूल की सुविधा है. स्कूल में शिक्षक भी हैं. हाई स्कूल की पढ़ाई के लिए बच्चों को बाहर जाना पड़ता है कस्तूरबा गांधी उच्च विद्यालय तेनूघाट में बिरहोरटंडा की 10 बच्चियां पढ़ती हैं. गांव में सरकारी योजना के तहत कुछ घऱ तैयार किये जा रहे हैं लेकिन बिरहोरों की शिकायत है कि पुराने घर जो बिरसा आवास योजना के तहत बनाये गये थे उनकी मरम्मत पर ध्यान नहीं दिया जा रहा. कई बुजुर्ग बिरहोर यहां टूटे छत के नीचे रहने को मजबूर हैं. बारिश आती है तो छत से पानी टपकने लगता है.
रोजगार के क्या साधन है
रोजगार के लिए गांव के लोग बाहर काम करने जाते हैं. यहां लोगों के पास रोजगार की कोई सुविधा नहीं . यहां के ज्यादातर युवा ब बाहर आठ- सात महीने काम करते हैं. सुरेश रोजगार की समस्या बताते हुए कहते हैं, हमलोग रस्सी बनाते हैं. कई तरह की रस्सियां एक जोड़ी बनाने का 30 रूपया. यह बहुत मेहनत करते का काम है. पूरा परिवार लगता है तब जाकर 9 जोड़ी बना पाते हैं. इसी से गुजारा चलता है. इस गांव में बिरहोर खेती नहीं करते बिरहोर पूरी तरह जंगल पर निर्भर है. शहद निकालते हैं , रस्सी बनाते हैं. इस गांव के कई युवा बाहर काम करते हैं उससे भी घर चलता है. सुरेश बिरहोर कहते हैं अगर हमने अपने पुरखों से सीखी कला छोड़ दी तो हमारे लिए अपना पेट पालना भी मुश्किल हो जायेगा.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें