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इलेक्ट्रोस्टील : रीनेसंस की याचिका स्वीकार

बोकारो : राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने कर्ज के बोझ से दबी इलेक्ट्रोस्टील कंपनी के लिए वेदांता की बोली को चुनौती देने वाली रीनेसंस स्टील की याचिका गुरुवार को स्वीकार कर ली. न्यायाधिकरण के चेयरमैन न्यायमूर्ति एसजे मुखोपाध्याय की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस याचिका को स्वीकार कर लिया और मामले को 28 […]

बोकारो : राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने कर्ज के बोझ से दबी इलेक्ट्रोस्टील कंपनी के लिए वेदांता की बोली को चुनौती देने वाली रीनेसंस स्टील की याचिका गुरुवार को स्वीकार कर ली. न्यायाधिकरण के चेयरमैन न्यायमूर्ति एसजे मुखोपाध्याय की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस याचिका को स्वीकार कर लिया और मामले को 28 मई के लिए सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया.

रीनेसंस स्टील की समाधान अर्जी को इलेक्ट्रोस्टील स्टील्स के कर्जदाताओं की समिति (सीओसी) ने खारिज कर दिया था. इलेक्ट्रोस्टील स्टील्स पर 13,000 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है. इसमें से लगभग 5,000 करोड़ रुपये तो केवल भारतीय स्टेट बैंक के हैं. एनसीएलएटी ने एक मई को इलेक्ट्रोस्टील स्टील्स की वेदांता स्टील को बिक्री के मामले में यथास्थिति बनाये रखने को कहा था.

वेदांता की पात्रता पर उठाया गया था सवाल : एनसीएलटी ने सभी पक्षों को वेदांता की ओर से जमा करायी गयी समाधान योजना पर यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश दिया. ट्रिब्यूनल में रीनेसंस की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया गया है.

अपील याचिका में कर्ज शोधन व दिवालिया कानून की धारा 29ए के तहत इलेक्ट्रोस्टील स्टील के लिए वेदांता की पात्रता पर सवाल उठाया गया. रीनेसंस ने यह भी कहा है इलेक्ट्रोस्टील के लिए उसकी बोली वेदांता की बोली के मुकाबले अधिक है.

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