बोकारो : बोकारो को विश्व मानचित्र पर उकेरने वाला ‘बोकारो स्टील प्लांट’ के स्थापना के लिए 25 जनवरी 1965 को भारत व सोवियत सरकार के बीच बोकारो स्टील प्लांट बनाने पर सहमति हुई थी. 24 जनवरी 1973 को स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) की स्थापना हुई, तब यह सेल की इकाई बना. आज यह सेल की महत्वपूर्ण इकाई है. इस प्लांट ने 53 सालों में काफी उतार-चढ़ाव देखा. मगर, स्टील की मजबूती सा अपनी जगह मुनाफे के साथ बरकरार रहा. 60 के दशक में तत्कालीन माराफारी समेत अन्य कई गांवों की धरती पर स्थापित बोकारो स्टील प्लांट देश को इस्पात के साथ-साथ आर्थिक आत्मनिर्भरता देने में मील का पत्थर साबित हुआ है.
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विश्व मानचित्र पर बोकारो के उभार के 53 साल
बोकारो : बोकारो को विश्व मानचित्र पर उकेरने वाला ‘बोकारो स्टील प्लांट’ के स्थापना के लिए 25 जनवरी 1965 को भारत व सोवियत सरकार के बीच बोकारो स्टील प्लांट बनाने पर सहमति हुई थी. 24 जनवरी 1973 को स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) की स्थापना हुई, तब यह सेल की इकाई बना. आज यह […]
आज की तारीख में बोकारो स्टील प्लांट सेल की सबसे महत्वपूर्ण इकाई है. इस प्लांट के कारण ही बोकारो जैसा एक सुंदर, सुव्यवस्थित व सुसंपन्न शहर स्थापित हुआ. देश-दुनिया के लाखों लोगों को यहां आकर बसने, रोजी-रोटी कमाने का मौका मिला. यह कहना उचित होगा कि आज स्टील प्लांट है,
तभी बोकारो शहर है. बोकारो स्टील प्लांट अपने स्थापना काल से ही इस्पात उत्पादन के क्षेत्र में निरंतर प्रगति की ओर अग्रसर है. कंटिन्यूअस कास्टिंग की सुविधा से हॉट स्ट्रीप मिल का आधुनिकीकरण कर प्लांट ने अपनी विश्वस्तरीय पहचान बना ली है. दूसरे देश के सहयोग से स्थापित होकर इस्पात के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने वाला यह प्लांट आज स्वयं आत्मनिर्भर बन चुका है.
बीएसएल की तकनीक, सामग्री व उपकरण में से अधिकतर स्वदेशी : बोकारो स्टील प्लांट को सही मायने में स्वदेशी प्लांट कहा जा सकता है. प्लांट की तकनीक, सामग्री व उपकरण में से अधिकतर स्वदेशी ही हैं. तृतीय पंचवर्षीय परियोजना में एक नया स्टील प्लांट बोकारो में लगाने का प्रस्ताव आया. शुरू में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी के प्रशासन ने इसमें रुचि ली. अमेरिकी इस्पात निगम की एक टीम ने भारत का दौरा किया. स्थल के तौर पर बोकारो को चुना गया. लेकिन, अमेरिका ने अकारण विलंब की नीति अपनायी और अंतत: सच्चाई तक उजागर हुई, जब अमेरिका ने यह कह दिया कि भारत में अलग से स्टील प्लांट लगाने की जरूरत नहीं है. अंतत: सोवियत समाजवादी संघ के सहयोग से बोकारो स्टील प्लांट के निर्माण का फैसला लिया गया.
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