बोकारो: पानी की कीमत बोकारो इस्पात संयंत्र अच्छी तरह से समझता है. पानी की कमी के कारण बीएसएल को करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ा है. कई दिनों तक काम ठप पड़ा रहा. इसलिए जरूरी है कि पानी का ज्यादा से ज्यादा बचाव करें. यह बात बीएसएल के इडी (वर्क्स) एसके सिंह ने कहा. रविवार को दी इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स बोकारो चैप्टर की ओर से आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला संपन्न हुई. श्री सिंह सेक्टर 05 स्थित इंस्टीट्यूशन कार्यालय में आयोजित कार्यशाला के समापन समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे.
टाउनशिप में जीरो डिस्चार्ज मैनेजमेंट : श्री सिंह ने कहा : प्लांट के अंदर पानी बचाने के कई आयामों पर एक साथ काम हो रहा है. इसका असर भी हो रहा है. टाउनशिप में जीरो डिस्चार्ज मैनेजमेंट पर काम हो रहा है. टाउनशिप में फ्लोटिंग वाल्व पर भी काम हो रहा है. कहा : हर विभाग व हर व्यक्ति को पानी की कीमत समझनी होगी. इससे पानी बचाना संभव होगा. कहा : कुल पानी का मात्र तीन प्रतिशत हिस्सा ही ताजा है, इसमें से मात्र एक प्रतिशत हिस्सा ही पीने योग्य है.
ऐश मैनेजमेंट के जरिये पानी के इस्तेमाल को कम करने की कोशिश : बीपीएससीएल के सीइओ के हरिनारायण ने कहा : ऐश मैनेजमेंट के जरिये पानी इस्तेमाल को कम करने की कोशिश हो रही है. ड्राइ ऐश को डिस्पोज किया जा रहा है. नेशनल हाइवे ऑथिरिटी ऑफ इंडिया, विभिन्न सीमेंट फैक्ट्री को ऐश दिया जा रहा है. कहा : 60,000 टन ऐश बेचा गया है. इससे पानी का इस्तेमाल कम हो सके. साथ ही आर्थिक मदद भी मिले. कहा : पानी संरक्षण समय की मांग है. इसे ज्यादा प्रभावशाली बनाने के लिए हर विभाग व संस्था को काम करना होगा.
इससे पहले रेन वाटर हारर्वेसटिंग व प्राकृतिक जल संरक्षण पर बीएसएल के मनोज कुमार ने, दैनिक जीवन में जल संरक्षण पर बीएसएल के लंबोदर उपाध्याय ने, इस्पात इंडस्ट्रीज में जल प्रबंधन पर एफआइइ के डीपी झा ने, कोक ओवन में री-साइकिल पर बीएसएल के एन कुमार व एसके प्रधान, जल संरक्षण प्रबंधन पर एफआइइ के सीपी सहाय व अनुरेश कुमार ने, जल संचयन पर एफआइइ के बीसी रॉय व बीएसएल के एके गुप्ता ने जानकारी दी.
संस्थान के बोकारो चैप्टर के चेयरमैन एसी गोयल व महासचिव वाइएन सिंह ने कहा : उपयोगिता के आधार पर ही पानी का इस्तेमाल करने से जल की कमी को दूर किया जा सकता है. थोड़ी से सतर्कता से पानी की बर्बादी रोकी जा सकती है. कार्यशाला में वाटर रीड्यूस, री-साइकिल एंड री-यूज पर चर्चा हुई. बीएसएल, राउरकेला इस्पात संयंत्र, आरआइएनएल, मेकॉन, सीइटी, आरडीसीआइएस, भेल, आइआइटी धनबाद, बीपीएससीएल, यूपी बिजली विभाग के 200 से अधिक इंजीनियर्स ने हिस्सा लिया.