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अपना काम छोड़ने को विवश हाथ के हुनरमंद

जैनामोड़: बांस से बनी वस्तुएं हमारे दैनिक जीवन में काफी उपयोगी है. इससे बनी चीजें शुद्धता का प्रतीक भी मानी जाती है. बांस से कई आकर्षक सामान भी बनाये जाते है, जो घर को सजाने का काम आता है. सबसे बड़ी बात बांस के हस्तशिल्प इको-फ्रेंडली होते हैं. पर्यावरण को इससे कोई खतरा नहीं होता […]

जैनामोड़: बांस से बनी वस्तुएं हमारे दैनिक जीवन में काफी उपयोगी है. इससे बनी चीजें शुद्धता का प्रतीक भी मानी जाती है. बांस से कई आकर्षक सामान भी बनाये जाते है, जो घर को सजाने का काम आता है. सबसे बड़ी बात बांस के हस्तशिल्प इको-फ्रेंडली होते हैं. पर्यावरण को इससे कोई खतरा नहीं होता है. फिलहाल प्लास्टिक से बनी चीजों का भी प्रचलन बढ़ा है, जो पर्यावरण को बड़ा नुकसान पहुंचाते हैं. हालांकि इन बातों से दूर बांस का सामान बनाने वाले कारीगर जितनी मेहनत करते हैं, उतना उन्हें मेहनताना नहीं मिल पाता है.

उन्हें अपने सामान को बेचने के लिए बाजार भी नहीं मिल पाता है. वे गांव के हटिया में अपना सामान लेकर बेचने जाते हैं, तो उसकी कीमत भी नहीं मिल पाती है. इन सब से आजिज हाथ के ये हुनरमंद अपना पुश्तैनी काम छोड़ना चाहते हैं. मुख्यत: इस काम को महली और आदिवासी समाज के लोग करते हैं. पूरे जरीडीह प्रखंड में लगभग 150 घर हैं, जहां बांस का सामान बनाया जाता है. इनकी आबादी लगभग 950 है. लेकिन ये कम मुनाफे के चलते यह काम छोड़ना चाहते हैं या फिर छोड़ चुके हैं.

खुटरी पंचायत में इन कारीगरों की संख्या ज्यादा है. कारीगरों का कहना है कि उन्हें सरकारी स्तर से भी कोई मदद नहीं मिलती है. सूर्योपासन का पर्व जब आता है, तो उस वक्त बांस के सूप और डाली की मांग रहती है. बाकी समय आर्थिक तंगी से जूझना पड़ता है.

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