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गरमी में मतदान प्रतिशत बढ़ाना चुनौती

बोकारो: 16वीं लोकसभा चुनाव में राजनीतिक दलों व प्रशासन के लिए वोटरों को मतदान केंद्र तक खींच लाना बड़ी चुनौती है. कारण है गरमी का मौसम. वर्ष 1984 से अब तक हुए लोकसभा चुनावों में बोकारो में यह देखा गया है कि गरमी के दिनों में हुए चुनाव में मतदान का प्रतिशत अन्य मौसम में […]

बोकारो: 16वीं लोकसभा चुनाव में राजनीतिक दलों व प्रशासन के लिए वोटरों को मतदान केंद्र तक खींच लाना बड़ी चुनौती है. कारण है गरमी का मौसम. वर्ष 1984 से अब तक हुए लोकसभा चुनावों में बोकारो में यह देखा गया है कि गरमी के दिनों में हुए चुनाव में मतदान का प्रतिशत अन्य मौसम में हुए चुनाव की अपेक्षा काफी कम रहा.

अब जबकि इस बार भी अप्रैल यानी गरमी के मौसम में ही लोकसभा का चुनाव होने जा रहा है, ऐसे में मतदान का प्रतिशत बढ़ाने के लिए राजनीतिक दलों के साथ-साथ प्रशासन को भी कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी. गिरिडीह लोकसभा संसदीय क्षेत्र का मतदान 17 अप्रैल व धनबाद संसदीय क्षेत्र का मतदान 24 अप्रैल को है. इधर, गरमी का कहर भी शुरू हो गया है. पारा 40 के पार चला गया है.

वर्ष 1984 व 1989 के लोकसभा चुनाव में क्रमश: 63.56 फीसदी व 61.95 फीसदी वोटरों ने अपने मतों का प्रयोग किया था. वजह थी ठंड. गरमी का असर वोटरों पर कैसे पड़ता है, इसका अंदाजा वर्ष 1991, 1996 व वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव के मतदान के प्रतिशत को देख कर समझा जा सकता है. जब-जब मतदान गरमी के दिनों में हुए हैं, तब-तब मतदान का प्रतिशत घटा है. इस बार भी मतदान गरमी के दिनों में ही होगा. अब प्रत्याशियों व जिला प्रशासन को यह सोचना होगा कि मतदान केंद्रों पर मतदाताओं को किस प्रकार पहुंचाया जाय, जिससे मतदान के प्रतिशत में वृद्धि हो. 16वीं लोकसभा में मतदान प्रतिशत बढ़ाना प्रशासन ने चुनौती मान लिया है. इसके लिए आयोग एड़ी चोटी तक का जोर लगाये हुए हैं.

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