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बोकारो : आठ माह में मलेरिया के 856 मरीज चिह्नित

बोकारो: आठ माह (जनवरी से अगस्त 2017) के दौरान जिले में मलेरिया के कुल 856 मरीजों की पहचान की गयी. मलेरिया के सबसे अधिक 207 मरीज चास प्रखंड में मिले. गोमिया, नावाडीह, पेटरवार व कसमार में सालों भर मलेरिया के मरीज मिलते हैं. इसलिए स्वास्थ्य विभाग इस क्षेत्र में लगातार कैंप करती है और कार्यक्रम […]

बोकारो: आठ माह (जनवरी से अगस्त 2017) के दौरान जिले में मलेरिया के कुल 856 मरीजों की पहचान की गयी. मलेरिया के सबसे अधिक 207 मरीज चास प्रखंड में मिले. गोमिया, नावाडीह, पेटरवार व कसमार में सालों भर मलेरिया के मरीज मिलते हैं. इसलिए स्वास्थ्य विभाग इस क्षेत्र में लगातार कैंप करती है और कार्यक्रम चलाया जाता है. इसके बाद भी क्षेत्र में मलेरिया का प्रकोप बना रहता है.

डेंगू पर नियंत्रण के लिए विभाग तैयार : अगस्त माह में चंदनकियारी व सेक्टर दो में डेंगू मरीज मिलने की खबर आयी थी. दोनों मामले में मरीज के खून का सैंपल रांची जांच के लिए भेजा गया. चंदनकियारी के मरीज में डेंगू के लक्षण नहीं मिले थे. सेक्टर दो में रहने वाले एक बीएसएल कर्मी में डेंगू के लक्षण मिले थे. इलाज के बाद बीएसएल कर्मी स्वस्थ है. इधर, डेंगू को लेकर जिला स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से तैयार है. सदर अस्पताल में आश्यूलेशन वार्ड बनाया गया है. सीएस डॉ एस मुर्मू द्वारा जिला व प्रखंड स्तर पर एक-एक टास्क फोर्स का गठन किया गया है. दोनों टास्क फोर्स की मॉनिटरिंग सिविल सर्जन व जिला मलेरिया पदाधिकारी एके पोद्दार कर रहे हैं.

डेंगू : लक्षण, पहचान व बचाव : डेंगू एक वायरल व गंभीर फ्लू की तरह तेज बुखार वाली बीमारी है. इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को सिरदर्द, शरीर के जोड़ों व मांसपेशियों में दर्द, त्वचा पर खसरा जैसे चकते निकलना, नाक बहना, उल्टी होना, आंखों के पिछले हिस्से में दर्द की शिकायत होती. यदि रैपिड किट से मरीज की जांच परिणाम धनात्मक हो, तो यह डेंगू का संभावित मरीज हो सकता है.

डेंगू संक्रमण से बचाव के लिए कोई विशेष दवा या टीका नहीं है. इसकी रोकथाम का उपाय एडिस मच्छरों को पनपने से रोकना है. घर या अन्य स्थानों में कूलर, बाल्टी, फूलदान, फ्रिज ट्रे में जमा पानी को प्रति सप्ताह बदलें, आसपास टूटे बरतन, प्रयोग में नहीं आने वाले बोतल, टीन, बेकार के टायरों में जमा पानी को हटा दें. इन्हीं स्थानों पर अक्सर डेंगू के मच्छर पनपते हैं.

यहां है जांच की नि:शुल्क व्यवस्था

डेंगू की पहचान के लिए नि:शुल्क जांच की जाती है. झारखंड में रिम्स रांची, पीएमसीएच धनबाद, एमजीएम जमशेदपुर, डीपीएचएल चाइबासा व मणिपाल यूनिवर्सिटी के सहयोग से सदर अस्पताल सिमडेगा में संचालित एएफआइ सेंटर में डेंगू की जांच की जाती है. इन स्थानों में झारखंड सरकार की ओर से डेंगू के संभावित मरीजों की नि:शुल्क जांच की सुविधा उपलब्ध करायी जाती है.

सिविल सर्जन का स्थानांतरण रद्द

बोकारो के सिविल सर्जन डॉ एस मुर्मू का स्थानांतरण रद्द कर दिया गया है. पहले उनका स्थानांतरण दुमका कर दिया गया था और गुमला के एसीएमओ को बोकारो का सिविल सर्जन बनाया गया था. गुमला के एसीएमओ के बोकारो नहीं आने पर डॉ मुर्मू का स्थानांतरण मुख्यालय ने रद्द कर दिया है. ज्ञात हो कि जिले में एसीएमओ के प्रभार में भी सिविल सर्जन डॉ एस मुर्मू हैं. इस स्थिति में डॉ मुर्मू किसी को प्रभार सौंप कर भी दुमका नहीं जा सकते थे.

वर्तमान में डेंगू के एक भी मरीज बोकारो जिले में नहीं है. मलेरिया के चिह्नित 856 मरीजों का इलाज किया गया है. दर्जनों मरीज स्वस्थ हो चुके हैं. कुछ मरीजों का इलाज चल रहा है. मलेरिया से बचाव के सभी उपाय लगातार किये जा रहे हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष ध्यान रखा जा रहा है. दवायुक्त मच्छरदानी व डीडीटी का छिड़काव भी किया जा रहा है. पर्याप्त मात्रा में दवा सभी सेंटरों पर उपलब्ध है.

एके पोद्दार, जिला मलेरिया पदाधिकारी, बोकारो

डेंगू के मरीजों के लिए सदर अस्पताल में आइश्यूलेशन वार्ड बनाया गया है. डेंगू के गंभीर मरीज को बोकारो जेनरल अस्पताल के विशेष आइश्यूलेशन वार्ड में रखा जाता है. पूरी तैयारी रखी गयी है. अभी तक वैसी जरूरत नहीं पड़ी है. मलेरिया के मरीजों का इलाज विशेष अभियान चला कर किया जा रहा है.

डॉ सोबान मुर्मू, सिविल सर्जन, बोकारो

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