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डेढ़ लाख रुपये लेकर घर से भागी थी लड़की, नाबालिग लड़की व युवकों को ले गयी नवगछिया पुलिस हरियाली की फिक्र में एक जगेश्वर
कसमार: कसमार के बगियारी निवासी जगेश्वर गोसाईं को पेड़-पौधों से खास लगाव है़ इसके संरक्षण-संवर्द्धन के प्रति इनकी दीवानगी देखते बनती है़ कैसे अधिक से अधिक पौधे लगाये जाएं, उसकी सुरक्षा की जा सके और हर ओर हरियाली लायी जाये, इस प्रयास में लगे रहते हैं. यूं कह लें, अपना पूरा दिन पेड़-पौधों की हिफाजत […]
कसमार: कसमार के बगियारी निवासी जगेश्वर गोसाईं को पेड़-पौधों से खास लगाव है़ इसके संरक्षण-संवर्द्धन के प्रति इनकी दीवानगी देखते बनती है़ कैसे अधिक से अधिक पौधे लगाये जाएं, उसकी सुरक्षा की जा सके और हर ओर हरियाली लायी जाये, इस प्रयास में लगे रहते हैं. यूं कह लें, अपना पूरा दिन पेड़-पौधों की हिफाजत में लगाते है़ं जगेश्वर न तो वन विभाग के कर्मचारी हैं, न किसी एनजीओ से जुड़े हैं. सामाजिक वानिकी के रेंजर ए त्रिपाठी इनके कार्यों और पेड़-पौधों के प्रति लगाव को देखते हुए खाद, पौधों के अलावा कभी-कभार कुछ पैसों का इंतजाम कर देते हैं.
घूम-घूम कर संस्थानों में किया पौधरोपण : जगेश्वर गोसाईं बरसात जैसे खास मौसम में व्यक्तिगत खर्चा और निजी संसाधन से घूम-घूम कर पौधे लगाते हैं. इस बरसात में अब-तक मध्य विद्यालय जामकुदर, उत्क्रमित मध्य विद्यालय बगदा, स्वास्थ्य उपकेंद्र खैराचातर, पंचायत सचिवालय टांगटोना, उत्क्रमित मध्य विद्यालय बगियारी, आरआरपीएस खैराचातर जैसी कई जगहों पर खुद जाकर पौधे लगा चुके हैं. बताते हैं कि पौधे लगा कर उन्हें काफी संतुष्टि मिलती है़
उनका सोचना है कि स्कूल, कॉलेज, हॉस्पिटल, पंचायत सचिवालय, सड़क के किनारे हर जगह हरियाली हो़ इसी सोच के तहत अपनी स्कूटी में पौधे बांधकर निकलते हैं और पहुंच जाते हैं पौधरोपण करने़ लगाये गये पौधों का हाल जानने भी बार-बार जाते हैं. इनके इन कार्यों की चर्चा और प्रशंसा क्षेत्र के लोग भी करते हैं.
सपने में भी पेड़-पौधे ही : पौधों में पानी और खाद डालने से लेकर खर-पतवार की सफाई खुद करते रहे़ लगभग चार साल तक जगेश्वर ने जो मेहनत की. इसका परिणाम अब दिखने लगा है़ सारे के सारे पौधे खिल उठे हैं. खास बात यह है कि इस योजना के तहत लगभग 2500 पौधे लगाये गये हैं. इनमें से संभवत: एक भी पौधा को जगेश्वर गोसाईं ने मरने नहीं दिया़ ऐसी शायद ही दूसरी कोई योजना कहीं देखने को मिले, जो शत-प्रतिशत सफल रही हो. जगेश्वर आज भी इन पौधों की देखभाल में वह समर्पित हैं. पौधों की रखवाली को बगदा से रांगामाटी के बीच वह हमेशा टहलते रहते हैं. इन पौधों के कारण इस सड़क का रूप ही बदल गया़ दोनों ओर हरियाली आ गयी है़ जगेश्वर ने बताया कि उन्हें रात को सपने में भी पेड़-पौधे ही नजर आते हैं. हालांकि, आर्थिक कठिनाई के कारण घर-परिवार चलाने में कठिनाई होती है़ बावजूद इसके वह पूरा समय इसी काम को देते है़ं.
सड़क किनारे लायी हरियाली
करीब पांच वर्ष पूर्व रांगामाटी-खैराचातर मुख्य पथ में रांगामाटी से बगदा के बीच वन विभाग, सामाजिक वानिकी के तहत सड़क किनारे पौधरोपण प्रारंभ हुआ तो सभी को यही अंदाजा था कि अन्य योजनाओं की तरह इसका भी बुरा हस्र होगा़ योजना सफल नहीं होगी़ कदाचित सफल नहीं भी होती, अगर जगेश्वर गोसाईं नहीं होते़ जगेश्वर को इस योजना के तहत महज एक वाचर के रूप में नियुक्त किया गया था, परंतु जगेश्वर ने अन्य वाचर की तरह केवल खानापूर्ति नहीं की़ इन पौधों की देखभाल में जगेश्वर ने खुद को पूरी तरह से समर्पित कर दिया़ .
सुबह-शाम, रात-दिन हर पल वह इन पौधों की रखवाली में मुस्तैद रहे़
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