गांधीनगर : बोकारो जिले के गांधीनगर के कोयला खदान की राख में समायी साबो देवी के पति, उनके सात पुत्र-पुत्रियां बार-बार घटनास्थल पर जाकर स्थिति की जानकारी ले रही थीं. काफी देर वहां बैठने के बाद सभी घर लौट आते. साबो देवी की दो पुत्री मीना देवी तथा गीता देवी शादीशुदा हैं. रीना कुमारी, साबो के पुत्र नवीन कुमार, दीपक कुमार, दीपू कुमार, चंदन कुमार अभी काफी छोटे हैं.
उन्हें घर में आयी इस विपदा का उन्हें ठीक से एहसास भी नहीं है. रह-रह कर मां और दादी को खोजने लगते हैं. मुखिया रूपा देवी ने कहा कि साबो देवी घर के मर्द की तरह परिश्रम कर पूरे परिवार को बांधे रखती थी. सास-बहू में काफी लगाव था. कुछ दुधारू मवेशी के सहारे परिवार का भरण पोषण करती थी. सास-बहू की मौत से पूरा परिवार सकते में है. लोगों ने कहा साबो देवी छाई में ही ले ली समाधि.
बीडीओ अखिलेश कुमार ने कहा कि शुक्रवार को भी छाई व मिट्टी का बड़ा भार धंस गया, जिसकी वजह से दो तीन लेयर में साबो देवी के शव के दब जाने की आशंका है. घटनास्थल ऐसी जगह है, जहां भारी मशीनों को ले जाना असंभव है. इसलिए परिस्थिति को देखते हुए एसडीएम के आदेश के बाद ऑपरेशन को बंद कर दिया गया है.
बेरमो स्टेशन के गोताखोर नगीना साहनी ने बीडीओ से पूरी टीम को पारिश्रमिक देने का आग्रह किया. कहा कि यशोदा देवी का शव निकालने में पूरी टीम का काफी योगदान रहा. प्रशासन व सीसीएल उन्हें उचित पारिश्रमिक दे. आज खेतको के गोताखोर मुमताज अंसारी, सरमत अंसारी, महताब, छोटकन, छोटे व करीम ने भी एनडीआरएफ की टीम को सहयोग किया.