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पिता का सपना पूरा करने के लिए अपनी इच्छा का किया परित्याग, लोगों को खूबसूरत बनाने में मास्टर डॉ अनिंदो

बोकारो: बोकारो जेनरल अस्पताल के चिकित्सक डॉ अनिंदो मंडल रिकंस्ट्रक्टीव, माइक्रो वेस्कुलर, मेक्सीलो फेशियल, कॉस्मेटिक व बर्न सर्जरी में मास्टर हैं. उन्हें अक्तूबर 2010 में पुणे में आयोजित 45वीं एनुअल कांफ्रेेंस ऑफ एसोसिएशन प्लास्टिक सर्जन ऑफ इंडिया में बेस्ट प्लास्टिक सर्जन पुरस्कार से सम्मानित किया गया. केस स्टडी : वन वर्ष 2009 में धनबाद की […]

बोकारो: बोकारो जेनरल अस्पताल के चिकित्सक डॉ अनिंदो मंडल रिकंस्ट्रक्टीव, माइक्रो वेस्कुलर, मेक्सीलो फेशियल, कॉस्मेटिक व बर्न सर्जरी में मास्टर हैं. उन्हें अक्तूबर 2010 में पुणे में आयोजित 45वीं एनुअल कांफ्रेेंस ऑफ एसोसिएशन प्लास्टिक सर्जन ऑफ इंडिया में बेस्ट प्लास्टिक सर्जन पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
केस स्टडी : वन
वर्ष 2009 में धनबाद की एक युवती को गंभीर रूप से जख्मी स्थिति में परिजन बीजीएच लेकर आये. मरीज की आंख निकली हुई थी. सिर का दाहिना हिस्सा कुचला हुआ था. डॉ मंडल ने अपनी टीम के साथ उसकी लगातार सर्जरी की. आज वह युवती सामान्य हालत में रह रही है.

केस स्टडी : टू
वर्ष 2010 में बोकारो की एक बच्ची में जन्मजात जननांग की परेशानी थी. जांच के बाद डॉ मंडल ने बच्ची का जननांग बनाने का निर्णय लिया. बोकारो जेनरल अस्पताल में ही बच्ची का ऑपरेशन किया गया. आज बच्ची स्वस्थ्य है. समय-समय पर जांच के लिए अस्पताल आती है.
केस स्टडी : थ्री
वर्ष 2015 में बोकारो इस्पात संयंत्र में काम करने वाले एक अधिकारी के पुत्र का दाहिना हाथ खराब हो गया था. सीएचसीएच के चिकित्सकों ने हाथ काटने की सलाह दी थी. डॉ मंडल ने इसे चैलेंज के रूप में लिया. कुछ शल्य क्रिया करने के बाद युवक ठीक है और इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है.
झारखंड के अलावा अन्य राज्यों से आते हैं मरीज
डॉ मंडल बीजीएच के हर ओपीडी में लगभग 35 मरीज का इलाज करते हैं. साथ ही हर साल बीजीएच में दाखिल होने वाले बर्न केस के लगभग 450 सौ मरीजों की जांच करते हैं. शादी-विवाह में अड़चन होने के कारण सुंदर चेहरे की चाह में कॉस्मेटिक सर्जरी कराने के लिए युवतियां भी आती हैं. झारखंड के अलावा बिहार, ओडिशा, पश्चिम बंगाल से भी मरीज आते हैं.
ऐसे बने डॉक्टर : डॉ मंडल ने बताया कि इंजीनियरिंग में दाखिला लिया था. एक साल पढ़ाई भी की. पिता सुनील कुमार मंडल आर्थिक स्थिति ठीक नहीं रहने के कारण चिकित्सक नहीं बन पाये थे. उनकी जिद थी कि मैं डॉक्टर बनूं. इसके कारण इंजीनियरिंग की पढ़ाई छोड़ कर मेडिकल में दाखिला ले लिया. पिता के अलावा अपने गुरु प्लास्टिक सर्जरी हेड केजेएमएच लखनऊ के डॉ एके सिंह व पद्मभूषण डॉ एसके भटनागर के सपनों को पूरा करने का प्रयास कर रहा हूं.
कौन हैं डॉ अनिंदो मंडल
नाम : डॉ अनिंदो मंडल (बीजीएच में पदस्थापित)
पिता : सुनील कुमार मंडल (सेवानिवृत्त केंद्रीय कर्मचारी)
माता : अरुणा मंडल (हाउस वाइफ)
पत्नी : प्रतिमा मंडल (शिक्षिका)
पुत्री/पुत्र : तस्मय मंडल (कक्षा 11), त्रिनम मंडल (कक्षा तीन)
शैक्षणिक योग्यता : मैट्रिक, वर्ष 1987, केंद्रीय विद्यालय, कानपुर, उत्तर प्रदेश
प्लस टू, वर्ष 1989, केंद्रीय विद्यालय, कानपुर, उत्तर प्रदेश
एमबीबीएस, वर्ष 1997, किंग जार्ज मेडिकल कॉलेज लखनऊ, उत्तर प्रदेश
एमएस – सर्जरी, वर्ष 2001, किंग जार्ज मेडिकल कॉलेज लखनउ, उत्तर प्रदेश
एमसीएच – सुपर स्पेशलिस्ट, वर्ष 2005, किंग जार्ज मेडिकल कॉलेज लखनउ, उत्तर प्रदेश
इंटर्नशिप : एलएनजेपी अस्पताल दिल्ली, सफदरजंग नयी दिल्ली, गंगाराम अस्पताल दिल्ली, अपोलो कोलकाता आदि
वर्तमान पदस्थापना : वर्ष 2006 से बोकारो जेनरल अस्पताल, बोकारो, झारखंड
रिसर्च : एमएस के दौरान वर्ष 2002 में सीडीआरआइ लखनऊ द्वारा इंडिया में पहली बार कैंसर के वैक्सीन रिसर्च में सहयोगी
एमसीएच के दौरान वर्ष 2005 में इंडिया में पहली बार पैदाइशी जबड़ों की बीमारी को ठीक करने वाली मशीन बनायी
वर्ष 2001, वर्ष 2004 व वर्ष 2005 में (एमएस व एमसीएच) बेस्ट रेसिडेंट डॉक्टर सम्मान
वर्ष 2001 में किंग जार्ज मेडिकल कॉलेज लखनऊ की ओर से गोल्ड मेडल सम्मान
वर्ष 2008, वर्ष 2009, वर्ष 2011 में एपीएसआइ की ओर से नेशनल फेलोशिप सम्मान

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