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संकट के दौर से बाहर निकलना जानती है इलेक्ट्रोस्टील : कत्याल

पीडब्ल्यूसी के मार्गदर्शन में कंपनी कड़े कदम उठाकर मुख्य धारा में वापस आयेगी 2 5 मिलियन टन की जगह 1़ 5 मिलियन टन का ही उत्पादन कर रहा है प्लांट बोकारो : ‘पीडब्ल्यूसी के मार्गदर्शन में कड़े से कड़ा कदम उठाकर एक बार फिर कंपनी को मुख्य धारा में लाने का प्रयास होगा. पीडब्ल्यूसी द्वारा […]

पीडब्ल्यूसी के मार्गदर्शन में कंपनी कड़े कदम उठाकर मुख्य धारा में वापस आयेगी

2 5 मिलियन टन की जगह 1़ 5 मिलियन टन का ही उत्पादन कर रहा है प्लांट

बोकारो : ‘पीडब्ल्यूसी के मार्गदर्शन में कड़े से कड़ा कदम उठाकर एक बार फिर कंपनी को मुख्य धारा में लाने का प्रयास होगा. पीडब्ल्यूसी द्वारा प्राप्त यह अवसर कर्मचारियों, मजदूरों व कंपनी के लिए स्वर्णिम है. इसके लिए मजदूरों, कर्मचारियों व अधिकारियों को एक साथ मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है. कंपनी पर पूर्व में भी ऐसे बहुत से संकट आये हैं, जिसे कर्मचारी, मजदूरों व स्थानीय लोगों के सहयोग से दूर कर लिया गया है. इलेक्ट्रो स्टील संकट के दौर से बाहर निकलना जानता है.

आज प्लांट आर्थिक स्थिति से अवश्य जूझ रहा है. निश्चित रूप से निकट भविष्य में इस समस्या का समाधान होगा.” ये बातें इलेक्ट्रो स्टील के सीइओ सुनील कत्याल ने शुक्रवार को वह सेक्टर वन स्थित हंस रिजेंसी में पत्रकारों से कही. श्री कत्याल ने कहा : प्लांट अभी 2़ 5 मिलियन टन की जगह 1़ 5 मिलियन टन का ही उत्पादन कर पा रहा है.

जिससे लाभांश पर भी काफी प्रतिकूल असर पड़ रहा है. अब समस्या थोड़ी विषम हो गयी है. एक तरफ लाखों लोगों की रोजी-रोटी, तो दूसरी तरफ बैंकर्स की पूंजी की वापसी दोनों ही आवश्यक. ऐसे में सरकार व स्टेक होल्डर द्वारा बहुत सोच-समझकर तमाम बैठकों के बाद इस केस को एनसीएलटी में रेफर कर दिया गया. अन्तत: एनसीएलटी द्वारा निर्णय हुआ और प्राइस एंड वाटरकुपर (पीडब्लूसी)को इस समस्या की समाधान की जिम्मेदारी दी गयी. उपरोक्त सभी बातों पर पीडब्लूसी गुढ़ता से विचार कर अगले कुछ महीनों में अपनी रिपोर्ट देगी.

झारखंड का एकलौता ग्रीन फिल्ड इस्पात कारखाना : श्री कत्याल ने बताया : इलेक्ट्रोस्टील लिमिटेड झारखंड का एकलौता ग्रीन फिल्ड इस्पात कारखाना है, इसे बहुत-सी चुनौतियों के बावजूद भी स्थापित किया गया. तमाम झंझावतों को झेलते हुए अंतत: इस कारखाने से उत्पादन शुरू हो गया. अब इस कारखाने से 10 हजार लोगों को प्रत्यक्ष रूप से और एक लाख से अधिक लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार मिल रहा है. इधर, कुछ दिनाें से अच्छे लोगों की निष्क्रियता के कारण असामाजिक तत्वों की सक्रियता बढ़ रही है. ऐसे लोग प्लांट डिस्टर्ब करने का प्रयास कर रहे हैं. अच्छे लोगों को असामाजिक तत्वों पर निगरानी भी रखनी होगी. 19/04/2017 भी उसी का परिणाम था, जिसके लिए कंपनी ने दोषी लोगों पर सख्त कार्रवाई भी की थी.

अच्छे कर्मी को रिवार्ड, अनुशासनहीनता पर कार्रवाई : श्री कत्याल ने कहा : ऐसे ही लोग प्लांट में घुसपैठ करके कर्मचारियों/मजदूरों को भड़काने का प्रयास कर रहे हैं. इन्हीं के बहकावे में आकर कंपनी के कुछ लोग अनुशासन भंग कर रहे हैं. कार्यस्थल से चलती हुई मशीन को छोड़ कर चले जाते हैं, इससे भयंकर दुर्घटना हो सकती है. प्लांट के अंदर प्रदर्शन कर उत्पादन में बाधा पहुंचाते है. अच्छे काम करने वालों को अच्छा रिवार्ड दिया जायेगा, अनुशासनहीन लोगों पर कड़ी कार्रवाई भी की जायेगी. इलेक्ट्रोस्टील के वरिष्ठ महाप्रबंधक सीपी पांडेय उपस्थित थे.

इलेक्ट्रोस्टील : 2008 से अब तक का सफर

इलेक्ट्रोस्टील का निर्माण कार्य वर्ष 2008 में शुरू हुआ.

ग्लोबल टेंडर द्वारा चीनी कंपनी से प्लांट इरेक्शन व कमिशनिंग का कार्य करने का अनुबंध किया गया था.

प्लांट की कमिशनिंग के लिए लगभग 2500 चाइनीज के आने का प्रस्ताव था, परंतु भारत व चीन के मध्य वीजा संबंधी नियम काफी पेंचीदा होने के कारण कभी भी 1000-1200 से अधिक चाइनीज नहीं आ पाये.

उसमें भी काफी लोग वीजा नवीनीकरण नहीं होने के कारण बीच में ही कार्य छोड़कर चले गये. फिर, इलेक्ट्रोस्टील के इंजीनियरों द्वारा स्थानीय ठेकेदारों के सहयोग से प्लांट की कमिशनिंग संपन्न हुई.

इन परिस्थितियों के कारण समय तो अधिक लगा ही, साथ में कमिशनिंग की लागत भी बढ़ गयी. समय बढ़ने के साथ-साथ बैंकर्स का ब्याज भी बढ़ गया.

इलेक्ट्रोस्टील : 2008 से

जैसे-तैसे कंपनी के कुशल इंजीनियरों व स्थानीय लोगों के सहयोग से कमिशनिंग का कार्य पूर्ण होकर कंपनी में उत्पादन कार्य भी प्रारंभ हो गया.

– उत्पादन कार्य प्रारंभ होते ही प्रथम आर्थिक चोट तब पहुंची जब मार्च 2015 में कंपनी का कोल ब्लॉक असमय ही काल का ग्रास बनकर बंद हो गया.

– कंपनी को कोयला बाहर से क्रय करना पड़ रहा है. कोयला की कीमत बढ़ गयी है.

– उसके कुछ समय बाद मई 2016 में ऑक्सीजन प्लांट में ब्लास्ट हो गया, इससे कंपनी को काफी आर्थिक नुकसान हुआ.

– इसी बीच स्टील बाजार में काफी गिरावट आने से भी कंपनी को काफी आर्थिक क्षति हुई. उत्पाद कार्य पर काफी बुरा प्रभाव पड़ा.

– कंपनी ने लगातार घाटा व कर्ज बढ़ते रहने के बीच मजदूरों के वेतन में 30 प्रतिशत तक की वृद्धि की गयी.

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