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चीरा चास की सूरत बदली, हालत नहीं
चास: चीरा चास की पहचान 15 वर्ष पहले महज एक गांव के रूप में होती थी. लेकिन चीरा चास अब पूरी तरह से शहर का आकार ले चुका है और यहां दर्जनों बड़े-बड़े अपार्टमेंट व सैकड़ों फ्लैट्स बन चुके हैं, जिसमें दर्जनों निर्माणाधीन भी है. इसके अगल-बगल बसे भलसुंधा, गंधाजोर, परसाबेड़ा सहित कई गांव भी […]
चास: चीरा चास की पहचान 15 वर्ष पहले महज एक गांव के रूप में होती थी. लेकिन चीरा चास अब पूरी तरह से शहर का आकार ले चुका है और यहां दर्जनों बड़े-बड़े अपार्टमेंट व सैकड़ों फ्लैट्स बन चुके हैं, जिसमें दर्जनों निर्माणाधीन भी है. इसके अगल-बगल बसे भलसुंधा, गंधाजोर, परसाबेड़ा सहित कई गांव भी अब विकसित हो चुके हैं. यहां रिटायर्ड कर्मियों से लेकर अन्य लोगों ने अपने सपनों का घर बनाया है.
लोगों की सुविधा के लिये सैकड़ों आवासीय भवन व मार्केट बन चुके हैं, पर इसकी दशा नहीं बदली. चीरा चास को नगर निगम ने चार वार्डों में बांटा है, जो कि वार्ड संख्या दो, तीन, चार व सात शामिल हैं. फिर भी चीरा चास पूरी तरह से उपेक्षा का शिकार है. यहां मूलभुत सुविधाओं का भी अभाव है. निगम के क्षेत्र में होने के बावजूद चीरा चास साफ-सफाई से लेकर अतिक्रमण का शिकार है. निगम के जिम्मेवार अधिकारियों को यहां हो रहे अतिक्रमण दिखायी नहीं दे रहा है. चीरा चास से होकर गुजरने वाली एक मात्र सिंगारी जोरिया पूरी तरह से अतिक्रमण कर संकुचित कर दिया है. जरूरत के हिसाब से यहां बिजली की सप्लाई नहीं हो पाती है, परिणास्वरूप लो-वोल्टेज से ही काम चला रहे हैं लोग.
बिल्डरों ने सपना दिखाकर दिया धोखा : चीरा चास में दर्जनों बिल्डरों ने बड़े-बड़े अर्पाटमेंट बनाये. इसे बेचने के लिये बिल्डरों ने लोगों को सपना दिखाया और बाद में धोखा दे दिया. लोगों को सिर्फ रहने के लिये उपलब्ध करा दिया और बाकी सुविधाओं से कन्नी काट लिया. चीराचास में बिल्डरों के आने से पहले यहां काफी घना जंगल हुआ करता था, जिसे काटकर अपार्टमेंट बनाये गये, लेकिन किसी भी बिल्डर ने ना खुद पौधा लगाया और ना ही लोगों को पौधा लगाने के प्रति जागरूक किया.
चीरा चास थाना बनने में हो रही देरी
चीरा चास के बढ़ते क्षेत्र को देखते हुये पुलिस प्रशासन ने यहां एक नया थाना बनाने की घोषणा की. इसके लिये जमीन भी चिह्नित कर लिया गया, इसके बावजूद चीराचास थाना बनाने का काम अभी तक शुरू नहीं हो पाया है. जिला प्रशासन ने चीराचास में वास्तु विहार के बगल में स्थित फुदनीडीह मौजा के खाता नंबर 11, प्लाट नंबर 355 के 50 डिसमिल जमीन पर ओपी बनाने का प्रस्ताव भेजा था. विधान सभा निवेदन समिति द्वारा जमीन की जांच भी की गयी.
सिंगारी जोरिया बना नाला
चीरा चास से होकर गुजरने वाली एकमात्र सिंगारी जोरिया पूरी तरह से अतिक्रमण का शिकार है. जोरिया अब धीरे-धीरे नाला का रूप लेती जा रही है. अगर जल्द ही अधिकारी इस ओर ध्यान नही दिये तो एक समय आयेगा जब जोरिया पूरी तरह से लुप्त हो जायेगी.
अधर में लटका फुदनीडीह सब स्टेशन
फुदनीडीह सबस्टेशन का शिलान्यास वर्ष 2013 में ही तत्कालीन ऊर्जा मंत्री राजेंद्र सिंह ने किया था. दो साल बाद वर्ष 2015 में सबस्टेशन का काम शुरू हुआ. लेकिन 40 काम प्रतिशत होने के बाद ही रुक गया. इस पर किसी जनप्रतिनिधि या अधिकारियों का ध्यान नहीं है. फुदनीडीह सबस्टेशन की चहारदीवारी का काम पूरा हुआ है. इसमें नियंत्रण कक्ष बनाने का काम वर्ष 2015 में ही पूरा हो चुका था, लेकिन बाकी का काम करने की जगह खंभे में डिस्क इंसुलेटर लगाकर छोड़ दिया और इसके बाद काम करना ही बंद कर दिया. सबसे स्टेशन चालू होने से डुमरजोर, गुरुद्वारा व चास फीडर की बिजली में सुधार होगा.
सड़कों की स्थिति है दयनीय
चीराचास का मुख्य सड़क से लेकर इसके संपर्क सड़क तक अधिकतर जर्जर अवस्था में है. मुख्य सहित संपर्क सड़क में जगह-जगह गड्ढे उभर आये हैं तो कहीं बड़े-बड़े बोल्डर दिखायी देने लगे हैं. स्थानीय लोगों ने बताया कि दिन में लोग देखकर गुजरते हैं, लेकिन रात में दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं. स्थानीय पार्षद व जनप्रतिनिधि मौन धारण किये हुये हैं. इसके अलावा कई कॉलोनियों में नाली भी नहीं बनायी गयी है.
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