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विधायक हत्याकांड : पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह दोषी करार

हजारीबाग : छपरा जिला के मशरक विधायक अशोक सिंह की हत्या के मामले में हजारीबाग सत्र न्यायाधीश सुरेंद्र शर्मा की कोर्ट ने पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह समेत दो आरोपियों को दोषी करार दिया है. अदालत ने प्रभुनाथ सिंह के भाई दीनानाथ सिंह और पूर्व मुखिया रितेश सिंह को भी दोषी पाया है. वहीं, प्रभुनाथ सिंह […]

हजारीबाग : छपरा जिला के मशरक विधायक अशोक सिंह की हत्या के मामले में हजारीबाग सत्र न्यायाधीश सुरेंद्र शर्मा की कोर्ट ने पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह समेत दो आरोपियों को दोषी करार दिया है. अदालत ने प्रभुनाथ सिंह के भाई दीनानाथ सिंह और पूर्व मुखिया रितेश सिंह को भी दोषी पाया है. वहीं, प्रभुनाथ सिंह के भाई और बनियापुर के राजद विधायक केदार सिंह को कोर्ट ने रिहा कर दिया. अदालत ने कहा कि 23 मई को सजा सुनायी जायेगी़
इसके बाद अदालत के आदेश पर पुलिस ने प्रभुनाथ सिंह, दीनानाथ सिंह और रितेश सिंह को हिरासत में ले लिया. सभी आरोपियों को जयप्रकाश नारायण केंद्रीय कारा, हजारीबाग भेज दिया गया.
हजारीबाग कोर्ट में यह मामला 1997 में आया : मशरक विधायक अशोक सिंह की हत्या तीन जुलाई 1995 को पटना में उनके आवास पर हुई थी. छपरा जिला के कई मामलों से संबंधित मुकदमे उस समय प्रभुनाथ सिंह पर चल रहे थे.
एक अन्य मामले में प्रभुनाथ सिंह की गिरफ्तारी के बाद हजारीबाग केंद्रीय कारा में लाकर रखा गया. तत्कालीन बिहार सरकार ने हजारीबाग जेल में प्रभुनाथ सिंह को रखकर सभी मुकदमों का स्थानांतरण हजारीबाग कोर्ट में कर दिया था. इसी बीच मशरक विधायक अशोक सिंह का मामला पटना कोर्ट में शुरू हुआ. प्रभुनाथ सिंह ने हाइकोर्ट के जज गौरीशंकर चौबे के न्यायालय में आवेदन दिया था कि हजारीबाग जेल में बंद रहने के कारण पटना कोर्ट में चल रहा मुकदमा प्रभावित हो रहा है. कोर्ट ने इस आवेदन को स्वीकार कर विधायक अशोक सिंह हत्याकांड का मामला पटना कोर्ट से हजारीबाग कोर्ट स्थानांतरण कर दिया. हजारीबाग कोर्ट में यह मामला 1997 में आया. सत्रवाद 418/97 के तहत सुनवाई शुरू हुई. वर्ष 2008 में केस आरोप गठित किया गया. तब से यह केस विभिन्न कोर्ट में चलता रहा. 22 गवाह अभियोजन पक्ष में पेश हुए.
विभिन्न कोर्ट में मुकदमा स्थानांतरण और लंबी कानूनी प्रक्रिया के तहत 22 वर्षों के बाद इस मामले में अंतिम सुनवाई पूरी हुई.पहली बार प्रभुनाथ सिंह को मिली सजा : प्रभुनाथ सिंह के अधिवक्ता रामविनय सिंह ने बताया कि राजनीतिक जीवन में प्रभुनाथ सिंह पर कई मुकदमे हुए. सभी मुकदमों में प्रभुनाथ सिंह बरी होते गये. अशोक सिंह हत्याकांड में उन्हें दोषी पाया गया है. यह पहला मुकदमा है, जिसमें उन्हें सजा हुई है. विधायक अशोक सिंह की हत्या के समय राजनीतिक परिस्थिति पर मुकदमा दर्ज हुआ था. मशरक से प्रभुनाथ सिंह और अशोक सिंह दोनों चुनाव लड़े थे. प्रभुनाथ सिंह को चुनाव में हरा कर अशोक सिंह विधायक बने थे. अशोक सिंह की हत्या के बाद उपचुनाव में अशोक सिंह की पत्नी चांदनी देवी राजद के टिकट पर चुनाव लड़ी थीं, जबकि अशोक सिंह के बड़े भाई तारकेश्वर सिंह निर्दलीय चुनाव लड़े थे और विधायक बने थे. प्रभुनाथ सिंह के परिवार का कोई सदस्य उपचुनाव नहीं लड़ा था.
टाइम लाइन
9.30 बजे : प्रभुनाथ सिंह, बनियापुर के राजद विधायक केदार सिंह, दीनानाथ सिंह, पूर्व मुखिया रितेश सिंह, अधिवक्ता रामविनय सिंह, विजय सिंह समेत दर्जनों समर्थक कोर्ट में पहुंचे.
10.00 बजे : न्यायाधीश ने कोर्ट में सुनवाई शुरू की. कहा कि इस मामले में निर्णय सुनायेंगे.
11.00 बजे : प्रभुनाथ सिंह एवं सभी लोग न्यायाधीश कक्ष व प्रथम तल्ला से वापस कोर्ट परिसर में आ गये. एक पेड़ के नीचे प्रभुनाथ सिंह अपने समर्थकों के साथ बातचीत करने लगे. प्रभुनाथ सिंह के सभी समर्थक एवं सुरक्षा गार्ड घेरा बना कर घंटों खड़े रहे.
11.25 बजे : प्रभुनाथ सिंह व अन्य लोग एडीजी-नौ कोर्ट की ओर बढ़े.
11.40 बजे : न्यायाधीश ने सुनवाई शुरू की.
11.45 बजे : न्यायाधीश ने अपना फैसला सुनाया. प्रभुनाथ सिंह समेत अन्य दो लोगों को दोषी मानते हुए न्यायिक हिरासत में लेने का आदेश दिया. फैसला सुनते ही कोर्ट के बाहर खड़े समर्थकों के बीच उदासी छा गयी.
11.50 बजे : पुलिस जवान प्रभुनाथ सिंह, दीनानाथ सिंह, रितेश सिंह को साथ लेकर जेपी केंद्रीय कारा के लिए निकले. कैदी वाहन में बैठा कर तीनों को जेल ले जाया गया. पीछे से बनियापुर के विधायक केदार सिंह भी अपने वाहन से जेपी केंद्रीय कारा गये. वहां पर प्रभुनाथ सिंह से मिल कर सभी वापस आ गये.

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