चंदवा थाना क्षेत्र के मैनटोली गांव में हुई हत्या के मामले में पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेजा था. तब उसकी उम्र 18 साल से अधिक थी और वह शादीशुदा भी था. इतना ही नहीं रामचंद्र गंझू वर्ष 2001 में हुई एक हत्या के मामले में भी गिरफ्तार हुआ था. रिपोर्ट के मुताबिक चंदवा थाना क्षेत्र में झामुमो के दिवंगत नेता रामदेव गंझू के साले की हत्या हुई थी. इस हत्याकांड में भी रामचंद्र गंझू को अभियुक्त बनाया गया.
उल्लेखनीय है कि वर्ष 1995 में चंदवा पुलिस ने 18 साल के रामचंद्र गंझू को हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेजा था. उसने वर्ष 2016 में अदालत में यह साबित कर दिया कि तब (वर्ष 1995 में) वह सिर्फ एक साल का था. वर्ष 2015 में रामचंद्र गंझू द्वारा किये गये दावे की जांच अदालत ने मेडिकल बोर्ड से करायी. मे़डिकल बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में रामचंद्र गंझू की उम्र 22-23 साल बतायी थी. फिर 19 अप्रैल 2016 को जुबेनाइल जस्टिस बोर्ड ने रामचंद्र गंझू को हत्या के आरोप से बरी कर दिया. इस तरह रामचंद्र गंझू यह साबित करने में सफल रहा कि वर्ष 1995 में घटना के वक्त उसकी उम्र सात साल से कम सिर्फ एक साल थी. नियम के अनुसार सात साल से कम उम्र के बच्चे पर आपराधिक मुकदमा नहीं चलाया जा सकता. इस फैसले के खिलाफ लातेहार के एपीपी सुदर्शन मांझी ने लातेहार के प्रधान न्यायायुक्त के यहां अपील दाखिल की. जिसमें उन्होंने कहा कि अदालत ने रामचंद्र गंझू को बरी करने के दौरान उनकी आपत्तियों को ध्यान नहीं दिया. एपीपी की अपील की सुनवाई के बाद अदालत ने लातेहार के एसपी को पूरे मामले की जांच करने का आदेश दिया है.