भाकपा माओवादी ने उसे संगठन से बाहर भी कर दिया है. उसकी गतिविधि भी न के बराबर है. इसके बाद भी उसके खिलाफ 25 लाख रुपये इनाम की घोषणा है. उसके खिलाफ इनाम की घोषणा तब की गयी थी, जब वह राज्य का सबसे कुख्यात नक्सली हुआ करता था. इसी तरह पिछले माह खूंटी पुलिस के समक्ष सरेंडर करनेवाला नक्सली डिंबा पाहन भी पिछले छह सालों से संगठन के लिए काम नहीं कर रहा था. वर्ष 2010 के बाद उसके खिलाफ कोई प्राथमिकी किसी भी थाना में दर्ज नहीं हुई थी.
लोहरदगा पुलिस ने एक जनवरी को तारा बिरजिया उर्फ बहुमनि कुमारी उर्फ सुनीता उर्फ गुड़िया को पेशरार के करार गांव स्थित उसके घर से गिरफ्तार किया था. उस पर भी पांच लाख रुपये इनाम की घोषणा थी, लेकिन उसके खिलाफ सिर्फ एक मामला लोहरदगा जिला में दर्ज था. बताया जाता है कि हाल के वर्ष में वह संगठन में सक्रिय नहीं थी. समीक्षा के दौरान यह भी पता लगाया जायेगा कि ऐसे नक्सलियों की संख्या कितनी है, जिनके खिलाफ इनाम तो जारी है, लेकिन उसके खिलाफ कुर्की-जब्ती की कार्रवाई पूरी नहीं की गयी है. सरेंडर पॉलिसी के मुताबिक उसी नक्सली के खिलाफ इनाम की घोषणा की जा सकती है, जिसके खिलाफ पुलिस कुर्की-जब्ती की कार्रवाई पूरी कर चुकी हो.