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सांसदों ने राज्यहित का मुद्दा संसद में नहीं उठाया : सुदेश

।। सलाउद्दीन ।। हजारीबाग : आजसू पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष सुदेश महतो ने कहा कि झारखंड गठन के बाद से आज तक लोकसभा में हुए कार्रवाई का कागजात जनता के बीच ले जाऊंगा. पिछले 14 साल में झारखंड के सांसदों ने राज्य के मुद्दों को लेकर कितना सवाल उठाया है, इसे बताऊंगा. झारखंड में क्षेत्रीय […]

।। सलाउद्दीन ।।

हजारीबाग : आजसू पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष सुदेश महतो ने कहा कि झारखंड गठन के बाद से आज तक लोकसभा में हुए कार्रवाई का कागजात जनता के बीच ले जाऊंगा. पिछले 14 साल में झारखंड के सांसदों ने राज्य के मुद्दों को लेकर कितना सवाल उठाया है, इसे बताऊंगा. झारखंड में क्षेत्रीय मुद्दों की बात करते हैं, लेकिन जहां इन मुद्दों को उठाना चाहिए था, वहां जाकर शांत हो जाते हैं.

जब झारखंड आते हैं, तो फिर इन मुद्दों की बात करते हैं. बड़ा भ्रामक राजनीति करते हैं. मुद्दों को लीड करने का अवसर जनता ने दिया, लेकिन इन मुद्दों को लेकर लोकसभा में एक दिन भी आवाज बुलंद नहीं किया.

ये जनप्रतिनिधि झारखंड की जनता की जरूरतों, मांगों व मुद्दों को लेकर कभी कुछ नहीं कहा. राज्य को लेकर केंद्र का नजरिया साफ नहीं है. चाहे कांग्रेस हो या भाजपा राष्ट्रीय चेहरा और आवाज केंद्र में झारखंड का बन नहीं पाया है. प्रभात खबर संवाददाता ने सुदेश महतो से लंबी बातचीत की. प्रस्तुत है बातचीत के मुख्य अंश.

सवाल : झारखंड को विशेष राज्य का दर्जा देने में राष्ट्रीय पार्टियों पर क्यों सवाल उठाते हैं?

जवाब : झारखंड का जब उदय हुआ था. उस समय यशवंत सिन्हा देश के वित्त मंत्री थे. वे चाहते तो उसी समय विशेष राज्य का दर्जा मिल जाता. झारखंड अलग राज्य देना ही पर्याप्त नहीं है. उस राज्य को दौड़ने, संभालने और संवारने का भी एक अवसर देना चाहिए था.

मूल्यांकन ज्यादा उन लोगों को करना चाहिए, जो लोग पटल पर बैठ कर विभाजन का हिस्सा बने हुए थे. विभाजन की शर्तो पर इन चीजों को रखना चाहिए था. यहां पर दो बातें होनी चाहिए थी, एक तो राज्य को विशेष दर्जा मिलता, दूसरा राज्य के जो संसाधन हैं उसे प्रदेश के हीत में इस्तेमाल करने की पहल करते तो राज्य में गुणवत्त बदलाव हो जाता. विभाजन के समय जो मूल्यांकन होना चाहिए उसमें एक बड़ी चूक हुई है. दिल्ली में दो गेस्ट हाउस थे. झारखंड को एक मिलना चाहिए था. इसी तरह वित्तीय बोझ झारखंड के ऊपर लाद दिया गया.

जो बिहार को दिया गया या देना है. विभाजन की शर्तो पर उस समय ज्यादा ध्यान केंद्रित करना चाहिए था, जो नहीं हो पाया. उसके बाद भी हमारे पास अवसर था. झारखंड राज्य को फोकस कर सकते थे. यशवंत सिन्हा वित्त मंत्री के रुप में चूक चुके हैं. वे चाहते तो झारखंड को संवारने में बहुत बड़ी भूमिका अदा कर सकते थे.

सवाल : लोकसभा उम्मीदवारों की घोषणा कब तक होगी ?

जवाब : 25 फरवरी को संसदीय बोर्ड की बैठक है. उम्मीदवारों की घोषणा इसके बाद हो जायेगी.

सवाल : आजसू पार्टी का चुनावी घोषणा पत्र कैसा होगा?

जवाब : घोषणा पत्र दो श्रेणी में पहला राज्य स्तरीय और दूसरा लोकसभा वार जारी होगा. क्षेत्रीय मुद्दे जो राष्ट्रीय स्तर पर हल होना है. उसे प्राथमिकता देंगे. इस घोषणा पत्र में सभी ज्वलंत मुद्दे शामिल होंगे.

सवाल : यूपीए, एनडीए या तीसरे मोरचे में शामिल क्यों नहीं होना चाहते हैं?

जवाब : यह केवल एक खाखा तैयार करके कैसे संसद तक पहुंचा जाये इस रणनीति से ज्यादा जरूरी है राज्य के मुद्दे, देश के चुनिंदे मुद्दे जो इस राज्य से संबंधित है. इन मुद्दों के साथ हल्ला बोला जाये. जनता को गोलबंद करने में ज्यादा विश्वास करते हैं. इस चुनाव में क्षेत्रीय राजनीति का माहौल पूरे प्रदेश में तैयार किया हूं. हमारी तैयारी वास्तविकता के साथ है. इस प्रदेश के गठन से लेकर या पूर्व में प्रदेश का नेतृत्व जिस रूप से हुआ है. अभी तक राष्ट्रीय पार्टी या क्षेत्रीय पार्टी से प्रतिनिधि भेजा है. लेकिन राष्ट्रीय चेहरा बन कर नहीं उभर पाया है. हम अपनी बातों को मुखर होकर लोकसभा में राज्य के मुद्दों को नहीं उठा पा रहे हैं. फिर वो किसी दल का हो. एक बार जायें या 10 बार जायें. इससे राज्य की जनता का भला नहीं होगा. इसलिए अकेले मुद्दों को लेकर चुनाव पार्टी लड़ेगी.

सवाल : जन लोकपाल पर क्या कहना है?

जवाब : भारत सरकार ने जन लोकपाल का जो डिजाइन तैयार किया है. हम समझते हैं कि आज के दिन में सबसे ज्यादा जरूरी है कि शासन को प्रभावशाली बनाना. केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं के संचालन के लिए ऊपर से नीचे तक के अधिकारियों को जवाबदेह बनाना होगा. हम कानून तो रोज बनाते हैं. संविधान में कितने संशोधन हुए हैं. सबसे जरूरी है सिस्टम को जनता के प्रति जवाबदेह बनाना.

सवाल : झारखंड में विस्थापन की समस्या में भूमि अधिग्रहण बिल कितना कारगर होगा?

जवाब : विस्थापन केंद्रीय एजेंसियों के कारण हुए हैं. सीसीएल, बीसीसीएल राज्य में ज्यादा खनन का काम किये हैं. विस्थापन का एक बड़ा क्षेत्र इसी से विकसित हुआ है. खनन के कारण विस्थापन का दंश तीसरी पीढ़ी झेल रही है. जिसने जमीन विकास कार्यो के लिए दिया. रोजगार और उनकी पीढ़ी आगे बढ़ेगी. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. वहां एक बड़ा आंदोलन आज के दिन में खड़ा है. कानून और अधिनियम पर कार्रवाई से समस्या का समाधान होगा.

सवाल : युवा मतदाता का प्रतिशत बढ़ने से राजनीति में बदलाव आयेगा?

जवाब : युवा बदलाव चाहता है. जिस गति से दुनिया बढ़ रही है, सूचना तकनीक का प्रभाव बढ़ रहा है. पूरी दुनिया नजदीक आते जा रही है. युवा वर्ग का एक बढ़ा हिस्सा अब झारखंड के लिए सोचता है. युवतियों के सोच में भी बदलाव आया है. आजसू पार्टी सारे चीजों का अध्ययन कर रही है. युवाओं को वर्तमान राजनीतिक धाराओं पर ले जाना है.

सवाल : राजनीति में कौन सा रोल मॉडल को उदाहरण मनाते है.

जवाब : हम किसी के उदाहरण की प्रतीक्षा नहीं करते हैं. हम खुद उदाहरण बनते हैं. हम उन्हीं चीजों का उदाहरण तैयार करते हैं जिसे लोग कर सके. हम राज्य को फोकस कर राष्ट्रीय राजनीति करना चाहते हैं. सीमांध्र प्रदेश को विशेष पैकेज देने की घोषणा की. एक दल ने लीड लिया. दूसरे राष्ट्रीय दल ने इस पैकेज को बढ़ाने को कहा. झारखंड प्रदेश के सांसद लोकसभा में मुखर होकर आवाज क्यों नहीं बुलंद किया. इसलिए किसी के रोल मॉडल को अपनाने की बात नहीं है.

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