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पूर्व नौकरशाह झारखंड में स्थिरता लाने में अपनी भूमिका के प्रति आश्वस्त नहीं

रांची: अलग-अलग राजनीतिक दलों के टिकट पर झारखंड से लोकसभा के चुनाव लड़ने जा रहे पूर्व नौकरशाह इस बाबत आश्वस्त नहीं है कि वे पिछले 13 साल में 09 सरकारों के गवाह बने राज्य में स्थिरता लाने की दिशा में कोई भूमिका निभा पाएंगे कि नहीं. चुनाव लड़ने जा रहे सभी नौकरशाहों का कहना है […]

रांची: अलग-अलग राजनीतिक दलों के टिकट पर झारखंड से लोकसभा के चुनाव लड़ने जा रहे पूर्व नौकरशाह इस बाबत आश्वस्त नहीं है कि वे पिछले 13 साल में 09 सरकारों के गवाह बने राज्य में स्थिरता लाने की दिशा में कोई भूमिका निभा पाएंगे कि नहीं. चुनाव लड़ने जा रहे सभी नौकरशाहों का कहना है कि वे सिर्फ लोगों के लिए काम करने के मकसद से राजनीति में शामिल हुए हैं.भाजपा में शामिल हुए सेवानिवृत आईएएस अधिकारी मुख्तियार सिंह ने कहा, ‘‘यह तो लोगों का काम है कि वे किसी एक पार्टी को वोट देकर सत्ता में लाएं या बिखरा जनादेश दें. पर गठबंधन सरकारें भी चलायी जा सकती हैं. मैंने राजनीति में शामिल होने का फैसला इसलिए किया क्योंकि मैं लोगों के विकास के लिए कड़ी मेहनत करना चाहता हूं.’’

यह पूछे जाने पर कि क्या नौकरशाहों के राजनीति में शामिल होने से राज्य में स्थिरता कायम की जा सकती है और क्या राज्य का विकास किया जा सकता है, इस पर सिंह ने कहा, ‘‘मैं यह नहीं कह सकता पर मैं अपने सेवाकाल में लोगों से जुड़ा हुआ था. मैं लोगों के लिए काम करते रहने के मकसद ही भाजपा में शामिल हुआ हूं.’’ पसंदीदा चुनाव क्षेत्र के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा कि यह फैसला करना तो भाजपा नेतृत्व का काम है. भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के पूर्व अधिकारी और भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व प्रबंधक अमिताभ चौधरी ने कहा कि यह फैसला करना तो लोगों का काम है कि नौकरशाह नेता की भूमिका में फिट बैठते हैं कि नहीं और भ्रष्टाचार खत्म कर पाने में सकारात्मक भूमिका निभा पाते हैं कि नहीं.

चौधरी ने पहले ही घोषणा कर दी है कि वह रांची लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे. हालांकि, वह किस पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे, इसका फैसला नहीं हो सका है. झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) के मौजूदा सांसद और पूर्व आईपीएस अधिकारी अजय कुमार एक बार फिर जमशेदपुर सीट से पार्टी का टिकट मिलने की उम्मीद कर रहे हैं. उन्होंने भी कहा कि वह लोगों के लिए काम करने के मकसद से राजनीति में आए. पंजाब कैडर के पूर्व आईपीएस अधिकारी और दुमका प्रक्षेत्र के पूर्व पुलिस महानिरीक्षक अरुण उरांव ने कहा कि उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृति (वीआरएस) लेकर लोहरदगा सीट से टिकट पाने की इच्छा से भाजपा में आवेदन किया है. उरांव ने कहा, ‘‘सब कुछ इस पर निर्भर करता है कि सिविल सेवक किस मानसिकता से राजनीति में आ रहे हैं. मैं झारखंड के लोगों के जीवन स्तर में सुधार की खातिर काम करने को उत्सुक हूं.’’ उन्होंने एक अन्य पूर्व आईपीएस अधिकारी के बारे में बताया जो कांग्रेस के टिकट पर 2004 का लोकसभा चुनाव जीतने के बाद दो चुनाव हार गए.

उरांव ने कहा, ‘‘पिछले 13 साल से झारखंड की स्थिति को काफी करीब से देखने के बाद मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि लोग ऐसा नेता चाहते हैं तो पढ़ा-लिखा हो और उनके लिए बेहतर काम करे.’’ झारखंड के विकास की बाबत अपनी सोच के बारे में उरांव ने कहा, ‘‘सिविल सेवकों को बेहतर काम करने के लिए एक अच्छा राजनीतिक नेतृत्व चाहिए. आप देख सकते हैं कि पड़ोसी बिहार की सरकार ने लालू प्रसाद के शासन के समय के ही नौकरशाहों के साथ कितना अच्छा काम किया. सिविल सेवक काम करना चाहते हैं पर राजनीतिक नेतृत्व अच्छा होना चाहिए.’’

पिछले साल भाजपा में शामिल हुए झारखंड के पूर्व पुलिस महानिदेशक :डीजीपी: विष्णु दयाल राम ने कहा कि वह लोगों के साथ काम करने के इच्छुक हैं. राम भाजपा से टिकट मिलने की उम्मीद कर रहे हैं. झारखंड के पूर्व डीजीपी जे बी महापात्र ने बेबाकी से कहा कि नौकरशाहों के राजनीति में आने से कुछ भी अच्छा नहीं होने वाला. बगैर स्पष्टीकरण दिए महापात्र ने कहा, ‘‘इससे राजनीति को ज्यादा फायदा नहीं मिलने वाला बल्कि नौकरशाहों को इससे तालमेल बिठाने में दिक्कत आएगी. वे राजनीति में फिट नहीं बैठ सकते.’’ राज्य के पूर्व पुलिस प्रमुख जी एस रथ ने कहा, ‘‘यह उनके समर्पण, सोच और स्वीकार्यता पर निर्भर करेगा. वे अपने आप को राजनीतिक आका की भूमिका में रख पाएंगे कि नहीं यह एक अलग मुद्दा है पर यह निश्चित तौर पर अच्छी बात है कि बुद्धिजीवी राजनीति में शामिल हो रहे हैं.’’ रथ ने उम्मीद जतायी कि झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले और नौकरशाह राजनीति में शामिल होंगे. बहरहाल, रथ और महापात्र ने कहा कि राजनीति में शामिल होने की कोई योजना नहीं है.

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