रांची: अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के मौके पर जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग व झारखंड जन संस्कृति मंच की ओर से सेमिनार आयोजित किया गया. इस अवसर पर प्रेरणा टीम की सोनी तिरिया ने ‘अपन देस कर भाषा के करू परचार’ गीत प्रस्तुत किया़ सेमिनार का विषय ‘मातृभाषा की चुनौतियां और हम’ था.
सेमिनार के दौरान बुद्धिजीवी व साहित्यकार डॉ बीपी केशरी ने कहा कि राज्य में हर सरकार के कार्यकाल में झारखंडी भाषाओं की उपेक्षा हुई है, लेकिन हमें इससे हतोत्साहित नहीं होना चाहिए. हमें अपनी भाषाओं में रचना करते जाना है.
विभागाध्यक्ष डॉ केसी टुडू ने कहा कि मातृभाषा के प्रति लगाव उत्पन्न करना एक सतत प्रक्रिया है. इसमें काफी धैर्य की जरूरत है़ अनिल अंशुमन ने कहा कि अपनी मातृभाषा के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए हमें स्वयं सक्रिय होना होगा. डॉ बीएन ओहदार ने कहा कि हमें अपनी मातृभाषा से जुड़ी हीनता के बोध को त्यागना होगा़ वीरेंद्र महतो ने कहा कि अपनी भाषा के प्रति जब तक स्वयं जिम्मेवार नहीं बनेंगे, तब तक इसकी प्रगति में सहभागी नहीं बन सकत़े इस अवसर पर डॉ राम प्रसाद व प्रो हरि उरांव ने भी अपने विचार रख़े धन्यवाद ज्ञापन उमेश तिवारी ने किया़
मातृभाषा को सम्मान दिया जाये : सेमिनार के दौरान सरकार से मांग की गयी कि मातृभाषा में विशेष लेखन करने वाले युवाओं को मातृभाषा सम्मान दिया जाय़े भाषा की पढ़ाई सुनिश्चित की जाये. झारखंडी भाषा साहित्य अकादमी का गठन किया जाये. शिक्षक नियुक्ति व अन्य नौकरियों में झारखंडी भाषाओं को प्राथमिकता दी जाय़े.