रांची: राज्य में हाल में हुए बालू घाटों की नीलामी में व्यापक पैमाने पर नियमों का उल्लंघन किया गया. झारखंड लघु खनिज समनुदान नियमावली 2004 के मुताबिक, एक व्यक्ति या संस्था को पूरे राज्य में अधिकतम 100 हेक्टेयर (247 एकड़) तक हीबालू घाट का ठेका दिया जा सकता है. इसके विपरीत नीलामी में मुंबई की दो कंपनियों को सिर्फ रांची में 410.06 हेक्टेयर बालू घाट दिये गये, जबकि दोनों कंपनी एक ही व्यक्ति की है. हालांकि शपथ पत्र में ठेकेदार और पिता के नाम के कुछ अंश को छिपा कर इसे अलग-अलग साबित करने की कोशिश की गयी है. अन्य जिलों में भी इन कंपनियों को बालू घाट दिये गये. इससे सवाल उठने लगा है कि नियम का उल्लंघन कर कैसे घाटों की नीलामी हुई.
रांची, खूंटी, पलामू, पाकुड़, गिरिडीह व जमशेदपुर में पिछले दिनों बालू घाटों की नीलामी हुई थी. मुंबई के एक ठेकेदार ने तीन अलग-अलग कंपनियों के नाम से जमशेदपुर को छोड़ कर शेष पांच जिलों में लगभग सभी बालू घाटों का ठेका ले लिया. रांची जिले में कुल 48 बालू घाट हैं. इनमें से तीन घाटों की नीलामी नहीं हुई है. जिन 45 बालू घाटों की नीलामी हुई है, उनमें से 32 घाट महावीर इंफ्रा इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड को मिले. इन 32 बालू घाटों का कुल क्षेत्रफल 391.9 हेक्टेयर (968.04 एकड़) है. मुंबई की ही द मिल्स स्टोर कंपनी प्राइवेट लिमिटेड के नाम बाकी बचे 13 बालू घाटों का बंदोबस्त किया गया, जिनका कुल क्षेत्रफल 18.15 हेक्टेयर (44.82 एकड़) है.
गलत शपथ पत्र दिया
रांची में बालू घाटों का ठेका लेनेवाली दोनों कंपनियों का मालिक एक ही व्यक्ति है. नीलामी के दौरान दिये गये शपथ पत्र में नाम के कुछ अंश को छिपाया गया. महावीर इंफ्रा इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड की ओर से दाखिल शपथ पत्र में मालिक का नाम बालाजी कुंडलिक नागरे बताया गया है. पिता का नाम कुंडलिक भगवान राव नागरे है. पता में संत कबीर मार्ग, बुद्ध विहार तेतर टोली मोरहाबादी जिला रांची लिखा गया है. जबकि दूसरी कंपनी द मिल्स स्टोर मुंबई के नाम पर बालू घाटों की नीलामी के लिए दायर शपथ पत्र में कंपनी के मालिक का नाम बालाजी नागरे और पिता का नाम कुंडलिक नागरे दर्ज है. पता में टैगोर हिल रोड, मोरहाबादी लिखा गया है. इस तरह दूसरी कंपनी में मालिक के नाम से सिर्फ कुंडलिक शब्द हटा दिया गया है, जबकि पिता के नाम से भगवान राव शब्द हटा दिया गया. यह भी पता चला है कि शपथ पत्र में दर्ज पते पर कंपनी का कोई आदमी नहीं रहता है.
कैबिनेट के आदेश पर रोक दी गयी है नीलामी
सहयोगी दलों के दबाव में सरकार ने 12 दिसंबर को कैबिनेट की बैठक बुला कर राज्य के बालू घाट पंचायतों को ही सौंपने का निर्णय लिया. साथ ही बालू घाटों की नीलामी रद्द करने का फैसला लिया. अब खान विभाग विधि विशेषज्ञों की राय लेगा, उसके बाद ही बालू घाटों की नीलामी रद्द हो सकती है. हालांकि एक पक्ष का यह भी कहना है कि एग्रीमेंट नहीं हुआ है, तो नीलामी रद्द की जा सकती है.
अभी क्या है हाल
नहीं मिल रहा है बालू
फिलहाल स्थिति यह है कि निर्माण कार्य के लिए शहर में बालू नहीं मिल रहा है. ब्लैक में मिलता भी है, तो इसके लिए सात से आठ हजार रुपये प्रति ट्रक तक चुकाना पड़ रहा है. नीलामी से पहले बालू की दर दो से तीन हजार रुपये प्रति ट्रक ही थी.
जहां नीलामी हो चुकी है
कुल 48 में से 45 बालू घाटोंकी नीलामी हुई. इनमें से 32 घाट महावीर इंफ्रा इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड को. दि मिल्स स्टोर कंपनी प्राइवेट लिमिटेड को मिले 13 बालू घाट
खूंटी : द मिल्स को आठ व मेरिडयन रियल्टर्स प्राइवेट लिमिटेड को 11 बालू बालू घाट मिले
पाकुड़ : द मिल्स स्टोर व मेरेडियन रियल्टर्स प्राइवेट लिमिटेड को 24 बालू घाट मिले
गिरिडीह : द मिल्स स्टोर व महावीर इंफ्रा को आठ बालू घाट मिले
पलामू : द मिल्स स्टोर व मुंबई की अन्य कंपनियों के नाम 37 बालू घाट बंदोबस्त किये गये
धनबाद, गोड्डा व जामताड़ा में वर्ष 2011 में ही नीलामी हो चुकी है. सरकार ने बाद में इसे स्थगित कर दिया था. मामला न्यायालय में लंबित है.
विधानसभा में आज बालू पर विशेष बहस
बालू पर गुरुवार को दिन के दो बजे से विधानसभा में विशेष चर्चा होगी. स्पीकर ने बुधवार को कार्य मंत्रणा समिति की बैठक बुलायी थी. फैसला लिया गया कि सदन में दो घंटे बालू पर विशेष बहस होगी. मंगलवार को सदन में विपक्ष के हंगामे के बाद मंत्री राजेंद्र सिंह ने अश्वासन दिया था कि सरकार बालू के मसले पर विशेष बहस करायेगी.
क्या है नियमावली
झारखंड लघु खनिज समनुदान नियमावली 2004 के 26वें बिंदु में व्यक्ति को परिभाषित किया गया है. कहा गया है कि व्यक्ति का अर्थ व्यक्ति, फर्म, कंपनी, एक संगठन अथवा व्यक्तियों का निकाय, एक संस्थान अथवा राज्य या केंद्र सरकार का विभाग है. नियमावली की धारा छह में लघु खनिजों के लिए खनन पट्टा देने की शर्त्त निर्धारित की गयी है. इसमें कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति राज्य में सौ हेक्टेयर (247 एकड़) से अधिक क्षेत्रफल का खनन पट्टा नहीं प्राप्त कर सकता है.