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वारदात करने में माओवादी और पीएलएफआइ बराबर

रांची: घटनाओं को अंजाम देने के मामले में पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएलएफआइ), भाकपा माओवादियों के बराबर पहुंच गया है. राज्य में जनवरी से लेकर नवंबर माह तक 360 नक्सली-उग्रवादी वारदात हुए हैं. इनमें 107 वारदातों को भाकपा माओवादी के नक्सलियों ने अंजाम दिया, जबकि पीएलएफआइ के उग्रवादियों ने भी इतनी ही घटनाओं को […]

रांची: घटनाओं को अंजाम देने के मामले में पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएलएफआइ), भाकपा माओवादियों के बराबर पहुंच गया है. राज्य में जनवरी से लेकर नवंबर माह तक 360 नक्सली-उग्रवादी वारदात हुए हैं. इनमें 107 वारदातों को भाकपा माओवादी के नक्सलियों ने अंजाम दिया, जबकि पीएलएफआइ के उग्रवादियों ने भी इतनी ही घटनाओं को अंजाम दिया.

अन्य घटनाओं को राज्य में सक्रिय टीपीसी, जेपीसी, एसजेएमएम, एसपीएम, आरसीसी, पहाड़ी चीता गिरोह जैसे संगठनों ने अंजाम दिया है. आंकड़ों से साफ है कि राज्य में अब दोनों संगठनों की गतिविधियां लगभग बराबर हो गयी हैं.

पुलिस अब तक पीएलएफआइ को हल्के में लेती रही है, जबकि भाकपा माओवादी को बड़ी चुनौती मानती है. ताजा आंकड़े के बाद पुलिस विभाग के सामने एक-साथ दो-दो संगठनों से लड़ने की चुनौती है.

पांच जिलों में संघर्ष की स्थिति
राज्य के पांच जिलों में भाकपा माओवादी और पीएलएफआइ के उग्रवादियों के बीच संघर्ष की स्थिति है. रांची, खूंटी, सिमडेगा, गुमला व चाईबासा जिले में दोनों में वर्चस्व की लड़ाई है. खूंटी में तो दोनों संगठनों के बीच में खूनी संघर्ष की स्थिति है, जबकि लातेहार व पलामू जिले में दोनों संगठनों के नक्सली-उग्रवादी आपस में नहीं लड़ते हैं.

जिन जिलों में है माओवादियों की गतिविधि
रांची, खूंटी, सिमडेगा, गुमला, लोहरदगा, गढ़वा, पलामू, लातेहार, जमशेदपुर, सरायकेला, चाईबासा, हजारीबाग, चतरा, गिरिडीह, कोडरमा, बोकारो, धनबाद, पाकुड़ व दुमका.

पीएलएफआइ की गतिविधि
रांची, खूंटी, सिमडेगा, लोहरदगा, गुमला, चाईबासा, पलामू, लातेहार व चतरा.

अक्षम अफसर नहीं कर सके विकास
हाइकोर्ट ने सोमवार को पर्यटन योजनाओं में करोड़ों की गड़बड़ी को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस डीएन पटेल व जस्टिस पीपी भट्ट की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार व इंडिया टूरिज्म डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (आइटीडीसी) के अधिकारियों को फटकार लगायी. कहा कि काम अत्यंत धीमी गति से चल रहा है. पर्यटन सचिव की अध्यक्षता में गठित मॉनेटरिंग कमेटी प्रत्येक 15 दिन पर योजना के तहत किये गये कार्यो की समीक्षा करें.

जगन्नाथपुर मंदिर, चुटिया राम मंदिर, पहाड़ी मंदिर सहित दशम, हुंडरू ,जोन्हा जल प्रपातों में 26 जनवरी तक न्यूनतम बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने वाले कार्यो को प्राथमिकता से पूरा किया जाये. खंडपीठ ने कहा कि अधिकारियों की अक्षमता के कारण राज्य के पर्यटन स्थलों का विकास नहीं हो पा रहा है. केंद्र से मिले पैसे भी खर्च नहीं कर पा रहे है. केंद्र ने झारखंड को अगस्त 2012 में ही 38.12 करोड़ रुपये दिये हैं. 18 माह में काम पूरा होना था, लेकिन एक भी काम पूरा नहीं हुआ. पर्यटन सचिव नोडल ऑफिसर हैं. सचिव की अध्यक्षतावाली मॉनिटरिंग कमेटी को निर्माण कार्यो पर नजर रखनी है. अधिकारी कैसे मॉनिटरिंग कर रहे हैं कि अब तक एक भी योजना पूरी नहीं हो पायी है. खंडपीठ ने कहा कि देवघर में लाइट एंड साउंड पर 1.37 करोड़ रुपये खर्च कर दिया गया, पर किसी ने न लाइट देखी और न ही साउंड सुना. सुनवाई के दौरान उपस्थित आइटीडीसी के ऑफिसर अभिषेक मोहन व पीके विश्वाल की ओर से बताया गया कि निर्माण कार्य के लिए बालू नहीं मिल रहा है. बालू की कमी है. कार्य बाधित हो गया है. इस पर एएजी अजीत कुमार ने कहा कि राज्य सरकार इस पर ध्यान देगी, ताकि बालू की कमी नहीं हो सके. सुनवाई के बाद प्रार्थी के अधिवक्ता राजीव कुमार ने बताया कि खंडपीठ ने अधिकारियों के कार्यो पर टिप्पणी की है. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी बबलू कुमार ने जनहित याचिका दायर की है.

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