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स्थानीय नीति की मांग: बंद का मिलाजुला असर, 575 समर्थक अरेस्ट

रांची: स्थानीय नीति लागू करने की मांग को लेकर आदिवासी-मूलवासी संगठनों की ओर से आहूत झारखंड बंद का राजधानी के कई इलाकों में असर देखा गया. हालांकि एचइसी इलाके में बंद का प्रभाव नहीं दिखा. हिनू चौक, मेन रोड, सकरुलर रोड, मोरहाबादी, कडरू, अरगोड़ा चौक, पुरानी रांची, बरियातू, बूटी मोड़ सहित अन्य क्षेत्रों में दुकानें […]

रांची: स्थानीय नीति लागू करने की मांग को लेकर आदिवासी-मूलवासी संगठनों की ओर से आहूत झारखंड बंद का राजधानी के कई इलाकों में असर देखा गया. हालांकि एचइसी इलाके में बंद का प्रभाव नहीं दिखा. हिनू चौक, मेन रोड, सकरुलर रोड, मोरहाबादी, कडरू, अरगोड़ा चौक, पुरानी रांची, बरियातू, बूटी मोड़ सहित अन्य क्षेत्रों में दुकानें बंद रहीं. शिक्षण संस्थान भी बंद रहे. शहर के कई रूट पर ऑटो का परिचालन ठप रहा. बंद समर्थकों ने सड़कों पर वाहनों के शीशे तोड़े. प्रशासन की ओर से सभी चौक-चौराहों पर पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था. कई जगहों पर बंद समर्थकों व पुलिस में नोक-झोंक भी हुई. पुलिस ने 575 बंद समर्थकों को गिरफ्तार कर कैंप जेल भेजा. देर शाम रिहा कर दिया.

राह चलते लोगों को पीटा, वाहनों को बनाया निशाना
रांची: पुरानी रांची, अरगोड़ा चौक आदि क्षेत्रों में झारखंड छात्र संघ व आमया के सदस्य बंद कराने निकले. पुरानी रांची व अरगोड़ा बाइपास में टायर जला कर रास्ते को अवरुद्ध किया गया. सदान संघर्ष मोरचा के कार्यकर्ता लालपुर सहित अन्य इलाकों में बंद कराने निकले. अरगोड़ा चौक, जेल चौक, कचहरी चौक पर बंद समर्थकों ने तोड़-फोड़ भी की. बहस करनेवाले कई राहगीरों से नोक -झोंक भी हुई. आदिवासी हॉस्टल के पास पाइप लगा कर सड़क को अवरुद्ध किया गया. रांची कॉलेज सेंट्रल लाइब्रेरी के सामने कुछ कार चालकों व दोपहिया चालकों को बंद समर्थकों ने खदेड़ा.

सुबह नौ बजे से ही जुटने लगे थे
शहर के विभिन्न चौक-चौराहों पर बंद समर्थक सुबह नौ बजे से ही जुटने लगे थे. आदिवासी जन परिषद के कार्यकर्ता बरियातू, करमटोली से निकल कर शहर के विभिन्न क्षेत्रों में बंद कराने निकले. अलबर्ट एक्का चौक पर इन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और कैंप जेल भेज दिया. 10.15 बजे चडरी सरना समिति एवं झारखंड दिशोम पार्टी के कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया. इस दौरान काफी देर तक बंद समर्थक नारेबाजी करते रहे. इस दौरान ऑटो और सिटी बसों का परिचालन बंद रहा. इक्का-दुक्का ऑटो का परिचालन हुआ, लेकिन कई स्थानों पर ऑटो के शीशे तोड़ डाले गये.

..भागो नहीं तो तोड़िये देंगे गाड़ी
रांची: ऐ! पता नहीं है कि आज झारखंड बंद है, भागो नहीं तो गाड़ी तोड़िये देंगे. अरे! पकड़ो, रोको उसे, देखो भाग रहा है. कुछ इसी तरह की स्थिति कचहरी चौक में देखने को मिली. दिन के करीब 12 बजे आदिवासी छात्रवास से 50 की संख्या में छात्र कचहरी चौक पहुंचे. वे आने-जाने वालों को दौड़ा रहे थे. इसके बाद सभी आयुक्त कार्यालय के पास पहुंचे और ठेले व खोंमचे वालों को भगाया. फिर कचहरी चौक लौटे. वहां दो पहिया व चार पहिया वाहनों को दौड़ा कर रुकवाया. तोड़फोड़ की धमकी देकर लौटाया. आदिवासी छात्रवास ने अखिल भारतीय सरना धार्मिक एवं सामाजिक समन्वय समिति के बैनर तले जुलूस निकाला. जुलूस का नेतृत्व जतरु उरांव कर रहे थे. करीब 12.30 बजे रातू रोड तरफ से दूसरा दल बंद कराते हुए कचहरी चौक पहुंचा. जुलूस का नेतृत्व बंधन तिग्गा कर रहे थे. इसके तुरंत बाद रांची कॉलेज की ओर से तीसरा दल कचहरी पहुंचा लेकिन, थोड़ी देर बाद वो अलबर्ट एक्का चौक की ओर निकल गया. दोनों दलों के सदस्य कचहरी चौक पर धरना पर बैठ गये. बाद में विद्यार्थियों ने पूरे चौक को मानव श्रृंखला बनाकर घेराबंदी की.

अपर बाजार में मिला जुला असर
रांची: अपर बाजार क्षेत्र में बंद का मिलाजुला असर रहा. अधिकतर दुकानें दोपहर बाद खुलीं. गाड़ियों का आवागमन कम होने के कारण नॉर्थ मार्केट रोड, इस्ट मार्केट रोड और वेस्ट मार्केट रोड के थोक व्यापारी पूरे दिन आराम करते रहे. बंद समर्थकों का जुलूस क्षेत्र से निकलने पर दुकानों का शटर गिर गया. हालांकि थोड़ी देर बाद ही दुकान खोल लिये गये. टेंपो और ट्रकों में माल की लोडिंग-अनलोडिंग प्रभावित रही. हालांकि अपर बाजार की गलियां जाम से मुक्त रही.

पंडरा में समर्थकों का उत्पात
रांची: बंद समर्थकों ने पंडरा में जम कर उत्पात मचाया. इस दौरान समर्थकों ने राह चलती महिलाओं के साथ भी र्दुव्‍यवहार किया. बाइक पर बैठी महिलाओं को उतार कर कई बाइक के टायर का हवा खोल दिया गया. इतना ही नहीं, ऑटो पर बैठी महिलाओं को भी उतारा गया और ऑटो के टायर का हवा खोल दिया गया. बाद में इसकी जानकारी पुलिस को मिली. पुलिस ने बंद समर्थकों को खदेड़ा.

समझाते रहे डीएसपी
अरे! क्या कर रहे हो. बेकार में क्यों हंगामा कर रहे हो. जुलूस में शामिल छात्रों को डीएसपी पीएन सिंह बार-बार समझा रहे थे. कभी आगे तो कभी पीछे भाग रहे थे. बीच-बीच में अपने पुलिस बल को भी तैनात रहने का निर्देश दे रहे थे.

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