रांची: भारत सरकार द्वारा आयोजित ‘प्री बजट कंसल्टेशन’ में राज्य के वित्त मंत्री शामिल नहीं हुए. दूसरे कई राज्यों के वित्त मंत्री के साथ ही मुख्यमंत्री भी अपने-अपने राज्य का पक्ष पेश करने के लिए इस बैठक में शामिल हुए.
झारखंड की ओर से वित्त सचिव ने राज्य का पक्ष पेश किया. उन्होंने रायल्टी दर पुनरीक्षित करने के अलावा विभिन्न मदों में बकाया 4000 करोड़ रुपये विमुक्त करने की मांग की. साथ ही 10 प्रतिशत की दर से ग्रीन टैक्स लगाने के अधिकारी की मांग की. राज्य के वित्त सचिव एपी सिंह ने खनिजों का रायल्टी दर पुनरीक्षित करने की मांग उठायी.
उन्होंने राज्य का पक्ष पेश करते हुए कहा कि हर तीन साल पर रायल्टी रेट पुनरीक्षित करने का प्रावधान है. पर, 2009 से रेट पुनरीक्षित नहीं हुआ है. 2012 में रायल्टी रेट पुनरीक्षित नहीं होने से सरकार को 450 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.
उन्होंने रायल्टी रेट 14 से बढ़ा कर 20 प्रतिशत करने की मांग की. खनन कार्यो से पर्यावरण को होनेवाले नुकसान की भरपाई के लिए 10 प्रतिशत की दर से ग्रीन टैक्स लगाने का अधिकार राज्य को देने की मांग की. साथ ही ट्राइ की तर्ज माइनिंग रेगुलेशन के लिए प्राधिकारी बनाने को जरूरी बताया. कोयला कंपनियों पर गैर मजरूआ जमीन (जीएम लैंड) मद में सरकार का बकाया 2500 करोड़ दिलाने की मांग की. राज्य में आधारभूत संरचना और पिछड़ेपन को देखते हुए सालाना बीआरजीएफ ग्रांट के रूप में 3000 करोड़ रुपये देने की मांग की. सारंडा विकास योजना के तहत नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में और प्रोजेक्ट की जरूरत बतायी. नयी रेल परियोजनाओं को नेशनल प्रोजेक्ट मानते हुए उसे जल्द पूरा करने की मांग की. साथ ही यह भी कहा कि इस मद में राज्य सरकार ने एकरारनामे के अनुसार अपने हिस्से का पैसा दे दिया है. इसके बावजूद रेल मंत्रालय द्वारा और पैसों की मांग करना सही नहीं है. वित्त सचिव ने एनएच-33 को जल्द पूरा करने की मांग की और उसकी खस्ताहाली की जानकारी भी केंद्रीय वित्त मंत्री को दी.