रांची: झारखंड हाइकोर्ट ने सिविल जज सीनियर डिवीजन कैडर के चार न्यायिक अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्णय लिया है. मेदिनीनगर के सीजेएम सुरेश प्रसाद, गढ़वा के एसीजेएम पीके शुक्ला, पाकुड़ के सब जज अनिल जायसवाल और राजमहल के सब जज (टू) अशोक चतुर्वेदी को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने का फैसला लिया है.
हाइकोर्ट ने इन अधिकारियों के काम करने पर रोक लगा दी है. इन पर अकर्तव्य परायणता (डाउटिंग द इंटीग्रिटी) का आरोप है. सूत्रों के अनुसार, चारों जजों पर कार्रवाई के संबंध में शुक्रवार को हाइकोर्ट की ओर से विशेष दूत के माध्यम से गोपनीय पत्र व्यवहार न्यायालयों को भेजे गये. इससे संबंधित अनुशंसा राज्य सरकार को भी भेज दी गयी है.
हाइकोर्ट के न्यायाधीशों ने की थी समीक्षा
जानकारी के अनुसार, पिछले दिनों हाइकोर्ट के माननीय न्यायाधीशों ने इन चारों न्यायिक अधिकारियों के काम-काज की समीक्षा की थी. समीक्षा के दौरान चारों के कामकाज को संतोषजनक नहीं पाया गया. पाया गया कि चारों जजों की ओर से मुकदमों के निबटारे की दर काफी कम है. समीक्षा में इन न्यायिक अधिकारियों की कार्यशैली मापदंड के अनुरूप नहीं पायी गयी. इसी कारण हाइकोर्ट ने इन न्यायिक अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने का फैसला लिया. हाइकोर्ट की ओर से की गयी अनुशंसा पर कैबिनेट की सहमति के बाद इन न्यायिक अधिकारियों को अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त किये जाने संबंधी अधिसूचना जारी कर दी जायेगी.