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आधी हो जायेगी हाइकोर्ट में जजों की संख्या

रांची: जस्टिस एनएन तिवारी 22 मई को रिटायर होने वाले हैं. इनके रिटायर होने के बाद हाइकोर्ट में जजों की संख्या घट कर आधी हो जायेगी. हाइकोर्ट में जजों के 20 पद सृजित हैं. फिलहाल चीफ जस्टिस समेत 11 न्यायाधीश कार्यरत हैं. इधर राज्य सरकार ने हाइकोर्ट में जजों की संख्या बढ़ाने का प्रस्ताव केंद्र […]

रांची: जस्टिस एनएन तिवारी 22 मई को रिटायर होने वाले हैं. इनके रिटायर होने के बाद हाइकोर्ट में जजों की संख्या घट कर आधी हो जायेगी. हाइकोर्ट में जजों के 20 पद सृजित हैं. फिलहाल चीफ जस्टिस समेत 11 न्यायाधीश कार्यरत हैं.

इधर राज्य सरकार ने हाइकोर्ट में जजों की संख्या बढ़ाने का प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास भेजा है. सरकार ने झारखंड हाइकोर्ट में जजों के 25 पद सृजित करने का आग्रह किया है. जस्टिस तिवारी 28 जून 2004 को हाइकोर्ट जज बने थे.

नहीं मिल रहे योग्य वकील : हाइकोर्ट में जजों की बहाली के लिए योग्य वकील नहीं मिल पा रहे हैं. यही वजह है कि पिछले दो साल से बार कोटे में जज की बहाली नहीं हुई है. इस कोटे में आखिरी बार जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की बहाली 24 जनवरी 2012 को हुई थी. इसके बाद से अब तक कोई भी वकील हाइकोर्ट में जज नहीं बना है. जजों के दो तिहाई पद बार कोटे से भरने का प्रावधान है. जज की बहाली को लेकर कई बार हाइकोर्ट से नाम भेजे गये, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की कोलिजियम कमेटी ने इनके नाम वापस कर दिये हैं. वहीं दूसरी तरफ ज्यूडिशियरी कोटे में जस्टिस अमिताभ गुप्ता की अंतिम बहाली पिछले वर्ष हुई थी.

जजों पर बढ़ेगा मामलों का बोझ : हाइकोर्ट ने फिलहाल लगभग 60 हजार से अधिक मामले लंबित हैं. ऐसे में एक जज पर 5454 मामलों का बोझ है. एक जज कम होने से प्रत्येक जज पर लगभग छह हजार मामलों का बोझ बढ़ जायेगा. हाइकोर्ट में प्रतिदिन औसतन 150 मामले दायर होते हैं. इसमें अधिकांश मामले आपराधिक होते हैं.

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