प्रयास. गिरते जल स्तर से उबरने के लिए केंद्रीय भू-जल बोर्ड की रिपोर्ट पर भूमि संरक्षण विभाग ने उठाया कदम
Advertisement
अब वर्षा जल संचय पर होगा काम
प्रयास. गिरते जल स्तर से उबरने के लिए केंद्रीय भू-जल बोर्ड की रिपोर्ट पर भूमि संरक्षण विभाग ने उठाया कदम केंद्रीय भू-जल बोर्ड की रिपोर्ट के आधार पर भूमि संरक्षण विभाग ने इन प्रखंडों में वर्षा जल संचय की योजना पर काम करने का निर्णय लिया है. बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक वैशाली से सटे […]
केंद्रीय भू-जल बोर्ड की रिपोर्ट के आधार पर भूमि संरक्षण विभाग ने इन प्रखंडों में वर्षा जल संचय की योजना पर काम करने का निर्णय लिया है. बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक वैशाली से सटे पटना, मुजफ्फरपुर और सारण समेत राज्य के 23 जिलों में 184 प्रखंडों में भू-जल स्तर में भू-जल स्तर में भारी गिरावट दर्ज की गयी है.
हाजीपुर : कृषि पर आधारित वैशाली जिले के जनजीवन पर दुर्भिक्ष का खतरा मंडराने लगा है. सूखी नहरें, ताल-तलैया, पोखर, तालाब और कुएं इस खतरे का संकेत दे रहे हैं. भूमिगत जल स्तर में भारी गिरावट आनेवाली तबाही की ओर इशारा कर रही है. जल संकट के कारण न सिर्फ खेती चौपट होने के कगार पर है, बल्कि आम जन को पेयजल की समस्या भी झेलनी पड़ रही है.
प्रखंडों में गिरा भू-जल स्तर : केंद्रीय भू-जल बोर्ड की सर्वे रिपोर्ट के अनुसार वैशाली जिले के सात प्रखंडों में भू जल स्तर में गिरावट आयी है. जिन प्रखंडों में भूमिगत जल स्तर गिरा है, उनमें भगवानपुर,गोरौल, महुआ, जंदाहा, बिदुपुर, महनार और
पातेपुर प्रखंड शामिल हैं. केंद्रीय भू-जल बोर्ड की रिपोर्ट के आधार पर भूमि संरक्षण विभाग ने इन प्रखंडों में वर्षा जल संचय की योजना पर काम करने का निर्णय लिया है. बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, वैशाली से सटे पटना, मुजफ्फरपुर और सारण समेत राज्य के 23 जिलों में 184 प्रखंडों में भू-जल स्तर में भू-जल स्तर में भारी गिरावट दर्ज की गयी है.
जल संचय पर जून में होगी कार्यशाला : जल संरक्षण को लेकर लंबे समय से काम कर रही संस्था जागृति कला केंद्र अपनी सहयोगी संस्थानों की मदद से इस मुद्दे पर समाज में जागरूकता लाने के लिए जून में कार्यशाला आयोजित करने का निर्णय लिया है. लालगंज के पंचदमिया स्थित संस्था के प्रधान कार्यालय में बैठक हुई. बैठक में जल स्तर में गिरावट वाले क्षेत्रों को भूमि संरक्षण कार्यक्रम से जोड़ने और लोगों को जल संचय के लिए जागरूक बनाने का निर्णय लिया गया. वर्षा जल संचय, न्यूनतम जल उपयोग से कृषि कार्य, जल की बरबादी रोकने आदि मुद्दों पर कार्यशाला आयोजित की जायेगी. कार्यशाला में कृषि विशेष, सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि एवं अन्य जानकार लोग शामिल होंगे.
जल संचय से दूर होगी सिंचाई की समस्या : इस कृषि प्रधान जिले में जल प्रबंधन की भारी अहमियत है. जानकारों के मुताबिक, शासन-प्रशासन अगर ठोस प्रबंध नीति बना कर जल भंडारण की योजना पर काम करें, तो जिले में न सिर्फ सिंचाई की समस्या दूर होगी, बल्कि बाढ़ और सुखाड़ से भी लड़ना आसान होगा. जानकार बताते हैं कि जल संचय और प्रबंधन के अभाव में ही खेतों की सिंचाई नहीं हो पाती है. जिले में कृषि के लिए अनुकूल जलवायु, पर्याप्त जल की उपलब्धता, उर्वर भूमि और मानव श्रम के बावजूद खेती-किसानी से जुड़े लोगों का जीवनयापन मुश्किल होता जा रहा है.
वैशाली से सटे पटना, मुजफ्फरपुर व सारण में भी आयी भारी गिरावट
जल संचय को लेकर गंभीर नहीं हैं लोग
इन हालात में संतोष की बात यह है कि जल प्रबंधन और जल संरक्षण की अहमियत धीरे-धीरे लोग समझने लगे हैं. सरकार और समाज, दोनों स्तर पर जल संचय के प्रयास दिखने लगे हैं. जानकार कहते हैं कि जल संरक्षण की दिशा में यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाये गये, तो इसके भयंकर परिणाम भुगतने पड़ेंगे. इस मुद्दे पर लोगों के जागरूक होने का समय आ गया है.
वर्ष 2004 से प्रयास कर रही थी संस्था
जागृति कला केंद्र के सचिव डॉ अभय नाथ सिंह ने बताया कि सरकार की उदासीनता से जल संकट बढ़ता चला गया. वर्ष 2004 में संस्था के प्रयास से जिले के तीन प्रखंडों पातेपुर, महुआ और वैशाली को जल छाजन कार्यक्रम में सम्मिलित कराया गया था. इसके लिए छह करोड़ 39 लाख रुपये की स्वीकृति भी मिली थी. सरकार की उपेक्षा के कारण इस पर कोई काम नहीं हो सका और राशि लौट गयी थी.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement