लालगंज सदर : उम्मीद से भी कम बारिश होने के कारण इस वर्ष धान की खेती पूरी तरह से चौपट हो गयी. किसानों ने अन्न के लिए धान की खेती की थी, पर सुखाड़ की वजह से उन्हें धान के पौधों को काट कर मवेशियों को खिलाना पड़ रहा है या काट कर फेंकना पड़ रहा है कि खेत खाली होने पर दूसरी रबी की फसल लगायी जा सके.
किसानों ने धान की खेती को सिंचित करने के लिए 120-130 रुपये प्रति कट्ठा के हिसाब से खेतों को पानी दिया. लाखों रुपये डीजल में फूंक दिये धान की खेती के तैयारी में ऊंची कीमत पर खाद खरीदी, लेकिन धान का एक दाना उनके घर आने की उम्मीद नहीं है. किसान चिंता में हैं कि इस वर्ष का राशन-पानी कैसे चलेगा.
किसानों को उम्मीद थी कि बारिश होगी और धान की फसल अच्छी होगी, लेकिन उम्मीदों पर पानी फिर गया. जिन किसानों ने धान की रोपनी के बाद अपने खेतों में लगातार मेहनत की उनके खेतों में लगे धान के पौधों में बालियां तो आयीं, मगर बालियां में दाने नहीं आये. विदित हो कि लालगंज प्रखंड क्षेत्र में इस वर्ष किसानों ने सैकड़ों एकड़ धान की खेती की थी.
वर्तमान समय में जहां खेतों में पानी भरा रहना चाहिए था, वहीं प्रकृति में बदलाव के कारण वहां धूल उड़ रही है. खेतों में नमी नहीं होने के कारण किसान हताश और निराश हैं. किसान संजीव राय, धुव गुप्त, हरेंद्र प्रसाद आदि ने बताया कि सरकारी सिंचाई साधन पूरी तरह फ्लॉप हैं. क्षेत्र की सभी नहरें सूखी हुई हैं. नहरों की उड़ाही नहीं होने के कारण गांव तक पानी नहीं पहुंच सका.
प्रखंड क्षेत्र के सभी नलकूप वर्षों से बंद पड़े हैं. डीजल अनुदान के तहत मिलने वाली राशि अभी तक नहीं मिली है. किसानों का कहना है कि डीजल अनुदानित की राशि अगर मिली होती तो समय पर खेतों में पानी मिलता और हम बरबाद नहीं होते. किसान अरुण राय, दिनेश सहनी, मनोज राय, रवींद्र महतो आदि ने फसल क्षति मुआवजे की मांग की है.
साथ ही साथ प्रत्येक किसान को अनुदान मूल्य पर बोरिंग एवं पंपसेट की व्यवस्था करने एवं वर्षों से बंद पड़े नलकूपों को चालू कराने और नहरों की उड़ाही कराने की मांग की है.