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यहां स्पिरिट, ईथर, क्लोरोफेनिकल भी मरीजों को बाहर से लाना पड़ता है

हाजीपुर : कैसे हो मरीजों का इलाज, जब सूई दवा ही उपलब्ध न हो. जिले का सदर अस्पताल मरीजों के इलाज में सक्षम साबित नहीं हो रहा है. अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में जहां कई जीवनरक्षक दवाइयां नदारद हैं, वहीं इनडोर की हालत भी दवाओं के मामलों में खस्ता है. आउटडोर में जरूर काम चलने […]

हाजीपुर : कैसे हो मरीजों का इलाज, जब सूई दवा ही उपलब्ध न हो. जिले का सदर अस्पताल मरीजों के इलाज में सक्षम साबित नहीं हो रहा है. अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में जहां कई जीवनरक्षक दवाइयां नदारद हैं, वहीं इनडोर की हालत भी दवाओं के मामलों में खस्ता है.
आउटडोर में जरूर काम चलने भर की राहत मिल जा रही है. हालांकि पीएमसीएच की तुलना में देखें तो यहां सदर अस्पताल की स्थिति सूई-दवाओं के मामले में उससे बेहतर जरूर है. इसके बावजूद यहां इलाज के लिए आनेवाले अधिकतर रोगियों को बाहर से दवाएं खरीदनी पड़ रही है.
इनडोर में है दवाओं का टोटा : सदर अस्पताल का इन डोर दवाओं की भारी कमी ङोल रहा है. इसके कारण यहां भरती मरीज बाहर की दवाओं के सहारे अपना स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं.
इनडोर में अभी 112 में मात्र 56 तरह की दवाएं ही उपलब्ध है. मतलब कि यहां आधी दवाएं नहीं है. अन्य जरूरी दवाओं की बात तो जाने दें, यहां स्पिरिट, इथर, क्लोरोफेनिकल आदि भी मरीजों को बाहर से लाना पड़ता है. जीवन रक्षक दवाओं के अभाव में गंभीर हालत में आये मरीजों के इलाज में बाधा पहुंच रही है. इमरजेंसी में कई महीनों से डायलोना, मेट्रोनिडाजोल, आरएल स्लाइन, सेफ्ट्राजोन, रिबेप्राजोल, डेक्सोना, डेरीफाइल, इफकॉर्लिन आदि दवाएं उपलब्ध नहीं है. ये दवाएं जब मरीज के परिजनों को बाहर से लाने को कहा जाता , तो वे भड़क उठते हैं.
आउटडोर में भी समाप्त होने को हैं दवाएं : सदर अस्पताल के आउट डोर में कुल मिला कर लगभग 30 प्रकार की दवाएं अभी उपलब्ध हैं. चिंता की बात यह है कि अभी मरीजों को जो भी दवाएं मिल जा रही हैं वह भी कुछ दिनों के बाद नहीं मिल पायेगी.
दवा भंडार से मिली जानकारी के अनुसार 8 से 10 दिनों में दवाओं का स्टॉक खत्म हो जायेगा. इस बीच अगर दवाओं की खरीद नहीं की गयी, तो अगले पखवारे में सदर अस्पताल दवा विहीन हो जायेगा.
नहीं हैं यह जरूरी दवाएं
एमॉक्सीसिलिन, क्लोक्सासिलिन सीरप, आउटडोर में
आइसोक्ससुप्रिन 10 एमजी टैबलेट,आउटडोर में
एमॉक्सीसिलिन+क्लेवेनिक एसिड इंजेक्शन, इनडोर मे
एम्पीसिलिन इंजेक्शन, इनडोर में
एंटी टेटेनस हयूमन इम्यूनोग्लोबिन, इनडोर में
अल्प्राजोलम टैबलेट, इनडोर में
बिटामेथासोन वायंटमेंट, इनडोर में
क्लोरोफेनार्मिन इंजेक्शन, इनडोर में
ओएफोटैक्सिम इंजेक्शन, इनडोर में
क्लोरिनेटेड इंजेक्शन, इनडोर में
क्लोरिनेटेड लाइम वाटर, इनडोर में
डाइजिपाम इंजेक्शन, इनडोर में
डेक्सामेथासेन इंजेक्शन, इनडोर में
डोबूटामिन इंजेक्शन , इनडोर में
डोपामिन इंजेक्शन, इनडोर में
बेहोशी के लिए इथर, इन डोर में
फॉलिज कैथटर एंड यूरो बैग, इनडोर में
जेंटामाइसिन इंजेक्शन, इनडोर में
सॉक्ससुप्रिन इंजेक्शन व टैबलेट, इनडोर में
लिगAोकाइन हाइड्रोक्लोराइड इंजेक्शन, इनडोर में
मैनकोमाइसिन इंजेक्शन, इनडोर में
सोडियम बाइकाबरेनेट इंजेक्शन, इनडोर में
क्या कहते हैं मरीज और परिजन
मैं बहन का इलाज कराने आया था. डॉक्टर ने परची पर तीन दवाएं लिखीं. उनमें से एक भी दवा अस्पताल में नहीं मिली. मजबूरन बाहर से दवा खरीदनी पड़ी.
सुजीत कुमार, अंजानपीर चौक
पैर की हड्डी टूट जाने पर सदर अस्पताल के सजिर्कल वार्ड में भरती हुआ. डॉक्टर ने जो सूई वगैरह लिखी, वह बाहर मंगवानी पड़ी. नर्स ने बताया के ये दवाएं अस्पताल में उपलब्ध नहीं है. बेहोशी की दवा तक बाहर से लानी पड़ी.
रामेश्वर चौधरी, जहानाबाद लालगंज
क्या कहते हैं अधिकारी
आउट डोर में लगभग सभी आवश्यक दवाएं उपलब्ध हैं. इनडोर में कुछ दवाओं की कमी से इनकार नहीं किया जा सकता. यह कमी भी शीघ्र दूर होगी. दवाओं के मामले में अभी सदर अस्पताल सहित जिले के सभी सरकारी अस्पतालों की स्थिति अन्य जिलों से बेहतर है.
डॉ रामाशीष कुमार, सिविल सजर्न

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