हाजीपुर : संदिग्ध एईएस चमकी बुखार से जिले में अब तक नौ बच्चों की मौत के बाद स्वास्थ्य महकमे में अलर्ट की स्थिति बनी हुई है. स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव लगातार इसकी मॉनीटरिंग कर रहे हैं और सिविल सर्जन को आवश्यक निर्देश भी दे रहे हैं. इसके बावजूद यह बीमारी धीरे-धीरे भगवानपुर प्रखंड में अबतक नौ बच्चों की मौत संदिग्ध एईएस चमकी बुखार से हो चुकी है.
स्वास्थ्य विभाग की टीम प्रभावित इलाके में कैंप कर रही है. बीते बुधवार को बिदुपुर के विशनपुर में संदिग्ध एईएस से एक और पीड़ित बच्चे के मिलने से इस बीमारी के तेजी से फैलने के संकेत मिल रहे हैं. संदिग्ध एईएस से बीमार विशनपुर के शिला राम के नौ वर्षीय पुत्र सुभाष कुमार को बीते बुधवार को इलाज के लिए सदर अस्पताल लाया गया. बच्चे की गंभीर स्थिति को देखते हुए उसे पटना रेफर कर दिया गया लेकिन परिजन उसे इलाज के लिए नगर के जौहरी बाजार स्थित गणपति हॉस्पिटल ले गये.
चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ दीपक कुमार, न्यूरो (एमसीएच) डॉ पवन कुमार, न्यूरो (डीएम) डॉ मुनीश कुमार ने बच्चे का इलाज किया. हॉस्पिटल के व्यवस्थापक क्रांति ने बताया कि बच्चा अब खतरे से बाहर है. एईएस से पीड़ित बच्चे का इलाज करने वाली गणपति हॉस्पिटल के डॉक्टरों की टीम का कहना है कि बीमार पड़ने पर अगर बच्चे को सही समय पर इलाज की सुविधा मिले तो उसकी जान बचायी जा सकती है.
सदर अस्पताल में खोला गया 10 बेड का एइएस वार्ड
वैशाली जिले में संदिग्ध एइएस के प्रकोप देखते हुए स्वास्थ्य महकमा सचेत हो गया है. जानलेवा बीमारी इंसेफलाइटिस से बच्चों के बचाव को लेकर जिले के सभी पीएचसी क्षेत्र में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. सदर अस्पताल में 10 बेड का एइएस वार्ड खोला गया है. एइएस वार्ड में चिकित्सा पदाधिकारी और पारा मेडिकल स्टाफ के अलावे तीन नर्स और तीन वार्ड अटेंडेंट की तैनाती की गयी है.
इसके अलावे सभी पीएचसी प्रभारियों को एलर्ट किया गया है. उधर जिले के भगवानपुर प्रखंड के हरिवंशपुर गांव में जहां बीते दिनों पांच बच्चों की मौत हो गयी थी, मेडिकल कैंप लगाया गया है. पीएचसी की प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डा धर्मशीला के नेतृत्व में गुरूवार को भी गांव में मेडिकल कैंप लगाया गया.इधर सदर अस्पताल परिसर गुरूवार को यूनिसेफ के तत्वावधान में कार्यशाला आयोजित की गयी.
कार्यक्रम में यूनिसेफ के ब्लॉक कम्युनिटी मोबेलाइजर्स के एइएस के बारे में आवश्यक जानकारी दी गयी. मौके पर जिला वेक्टर बॉर्न डिजिज कंट्रोल पदाधिकारी डॉ सत्येंद्र प्रसाद सिंह, सीडीओ डा एसके रावत, डा अनिल कुमार सिन्हा आदि ने रोग की रोकथाम के लिए जरूरी सुझाव दिये.
क्या हैं लक्षण
एईएस चमकी बुखार से पीड़ित मरीजों को काफी तेज दर्द के साथ शरीर ऐंठने लगता है और तेज बुखार आता है. कई बार तो बुखार इतना तेज होता है कि बच्चे बेहोश तक हो जाते हैं. इससे पीड़ित मरीजों को कई बार उल्टी होती है और उनके स्वभाव में चिड़चिड़ापन आ जाता है. लेकिन अगर इलाज में देर होने पर बीमारी बढ़ जाए तो मरीज में निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं.
इसमें रोगी का दिमाग काम करना बंद कर देता है और वो भ्रम का शिकार भी हो जाता है.
चिड़चिड़ेपन के कारण कई बार दिमागी संतुलन बिगड़ जाता है.
- ज्यादा बीमारी बढ़ने पर कई अंग काम करना बंद कर देते हैं और शरीर को लकवा मार जाता है.
- इस बीमारी से पीड़ित लोगों को सुनने और बोलने में भी तकलीफ होने लगती है.
- कई बार मरीज गश खाकर बेहोश होकर गिर भी पड़ता है.
ऐसे करें बचाव
- बच्चे को धूप से बचाये क्योंकि इससे डिहाइड्रेशन हो जाता है और इसकी वजह से बच्चों की रुचि भोजन व पानी में कम हो जाती है.
- बच्चों को रात में खाली पेट न सोने दें.
- सोने के समय नींबू पानी, शक्कर अथवा ओआरएस का घोल पिलाएं
- चमकी बुखार होने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लें.