दबिश. उपेंद्र हत्याकांड के अभियुक्त ने कोर्ट में किया आत्म समर्पण
Advertisement
दिसंबर 2010 में हुई थी हत्या
दबिश. उपेंद्र हत्याकांड के अभियुक्त ने कोर्ट में किया आत्म समर्पण पुलिसिया दबिश बढ़ने के बाद बहुचर्चित उपेंद्र यादव हत्याकांड में अभियुक्त शिव नारायण यादव ने बुधवार को न्यायालय में आत्म समर्पण कर दिया. 26 दिसंबर 2010 को त्रिवेणीगंज स्थित बस पड़ाव में उपेंद्र यादव की गोली मार कर हत्या कर दी गयी थी. सुपौल […]
पुलिसिया दबिश बढ़ने के बाद बहुचर्चित उपेंद्र यादव हत्याकांड में अभियुक्त शिव नारायण यादव ने बुधवार को न्यायालय में आत्म समर्पण कर दिया. 26 दिसंबर 2010 को त्रिवेणीगंज स्थित बस पड़ाव में उपेंद्र यादव की गोली मार कर हत्या कर दी गयी थी.
सुपौल : त्रिवेणीगंज थाना क्षेत्र में बहुचर्चित उपेंद्र यादव हत्याकांड में अभियुक्त शिव नारायण यादव ने बुधवार को ही अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश आलोक रंजन के न्यायालय में आत्म समर्पण कर दिया. प्रभात खबर में 22 मार्च (बुधवार) को इस बाबत ‘आदेश बेअसर, उपेंद्र हत्याकांड के आरोपित गिरफ्त से बाहर’ शीर्षक से प्रमुखता से खबर प्रकाशित की थी.
जिसके बाद पुलिस की नींद खुली और पुलिसिया दबिश बढ़ने के बाद अभियुक्त ने न्यायालय में आत्म समर्पण कर दिया. वादी अनिल कुमार ने भी इसको लेकर पुलिस अधिकारियों को साधुवाद दिया है. साथ ही खबर को उचित स्थान देने के लिए प्रभात खबर के प्रति आभार प्रकट किया है. गौरतलब है कि 26 दिसंबर 2010 को त्रिवेणीगंज स्थित बस पड़ाव में उपेंद्र यादव की गोली मार कर हत्या कर दी गयी थी. जिसको लेकर उपेंद्र के भाई अनिल कुमार द्वारा त्रिवेणीगंज थाना कांड संख्या 137/10 दर्ज करवाया गया.
मामले में पांच लोगों को अभियुक्त बनाया गया. जिसकी पुष्टि पुलिसिया अनुसंधान में भी हुई. सेशन ट्रायल कोर्ट में न्यायाधीश रंजन कुमार द्वारा पांचों अभियुक्तों को आजीवन कारावास और 30 हजार रुपये अर्थदंड की सजा भी सुनायी गयी थी. लेकिन शार्प शूटर दिलीप कुमार यादव को छोड़ अन्य चार अभियुक्तों को पटना उच्च न्यायालय से 10 सितंबर 2016 को जमानत मिल गयी. इसके बाद वादी अनिल ने सर्वोच्च न्यायालय में अभियुक्त गुड़िया निवासी शिव नारायण यादव के जमानत को चुनौती दी.
उनका तर्क था कि गोली चलाने का आदेश देने वाले को भी सजा मिलनी चाहिए. पटना उच्च न्यायालय के एपीपी राजेश सिन्हा ने सर्वोच्च न्यायालय में वादी की ओर से पक्ष रखा. जिसके बाद न्यायालय द्वारा गत 06 मार्च को ही मामले में अंतिम आदेश पारित किया गया. न्यायाधीश पिनाकी चंद्र घोष व न्यायाधीश रोहीतन फली नरिमन की पीठ ने शिव नारायण की जमानत रद्द करते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि अभियुक्त को आदेश निर्गत होने की तिथि से एक सप्ताह के अंदर सक्षम न्यायालय में आत्म समर्पण करना होगा. न्यायालय ने निर्धारित समय सीमा में आदेश का अनुपालन नहीं होने की स्थिति में पुलिस को भी उचित कार्रवाई का निर्देश दिया था.
लेकिन वादी द्वारा आवेदन तथा न्यायालय का आदेश उपलब्ध कराने के बावजूद पुलिस अधिकारी चैन की नींद सो रहे थे. जबकि आदेश पारित होने के 15 दिन बाद भी अभियुक्त गुड़िया स्थित अपने पैतृक आवास पर ही आराम फरमा रहा था. प्रभात खबर में खबर प्रकाशन के बाद अधिकारी हरकत में आये और छापेमारी आरंभ की गयी. जिसके बाद शिव नारायण ने उसी दिन न्यायालय में आत्म समर्पण कर दिया.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement