बिहार दिवस समारोह . प्रमंडलीय आयुक्त ने किया रंगारंग कार्यक्रम का शुभारंभ
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गांवों को स्मार्ट बनाने की तैयारी में है राज्य सरकार
बिहार दिवस समारोह . प्रमंडलीय आयुक्त ने किया रंगारंग कार्यक्रम का शुभारंभ बिहार दिवस समारोह के दौरान आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में होली की छटा बिखरी रही. कलाकारों द्वारा शास्त्रीय नृत्य व स्वागत गीत से साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया. सुपौल : बिहार दिवस के मौके पर आयोजित दो दिवसीय समारोह के दौरान बुधवार की […]
बिहार दिवस समारोह के दौरान आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में होली की छटा बिखरी रही. कलाकारों द्वारा शास्त्रीय नृत्य व स्वागत गीत से साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया.
सुपौल : बिहार दिवस के मौके पर आयोजित दो दिवसीय समारोह के दौरान बुधवार की शाम गांधी मैदान स्थित मुख्य समारोह स्थल पर भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. समारोह का उद्घाटन प्रमंडलीय आयुक्त ललन कुमार, जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनिल कुमार सिंह, जिलाधिकारी बैद्यनाथ यादव, एसपी डाॅ कुमार एकले, डीडीसी अखिलेश कुमार झा, एडीएम अरुण कुमार, डीएओ प्रवीण कुमार झा, आचार्य धर्मेंद्र मिश्र आदि ने किया. मौके पर प्रमंडलीय आयुक्त श्री कुमार ने बिहार के गौरवशाली इतिहास पर प्रकाश डाला. कहा कि बिहार व बिहारियों का योगदान देश के विकास में काफी अधिक रहा है.
हालांकि अब भी यहां बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है. लेकिन राज्य सरकार इस दिशा में भी सार्थक प्रयास कर रही है. निश्चय योजना के माध्यम से राज्य सरकार ने सूबे के गांव को स्मार्ट बनाने की योजना तैयार की है. वही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए भी व्यापक सुधार किये जा रहे हैं. वही जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनिल कुमार सिंह ने कहा कि बिहार की संस्कृति ही उसकी पहचान है. अपनी ईमानदारी और कर्मठ स्वभाव की वजह से बिहार वासियों ने देश ही नहीं विदेशों में भी अपनी अलग पहचान स्थापित की है. जबकि डीएम श्री यादव ने कहा कि 22 मार्च 1912 को बंगाल से अलग होने के बाद बिहार ने अपना अलग इतिहास रचा है.
झारखंड के अलग होने के बाद भी विकास की रफ्तार पर कोई असर नहीं पड़ा है, जबकि खनिज संपदा का अधिकतर हिस्सा हमसे छिन चुका है. उन्होंने कोसी के इलाके को भी अनूठा बताया. कहा कि आपदाओं का बार-बार दंश झेलने के बावजूद यह इलाका विकास के पथ पर निरंतर अग्रसर रहा है. वही एसपी डाॅ एकले ने कहा कि बिहार का अद्वितीय इतिहास रहा है. लेकिन इस समृद्धशाली इतिहास को संजो कर रखने की आवश्यकता है. अन्य वक्ताओं ने भी अपने विचार रखे.
जिला गजेटियर का हुआ विमोचन
बुधवार को समारोह के दौरान जिला गजेटियर का भी विमोचन किया गया. बताया गया कि इसमें जिला से जुड़े ऐतिहासिक व दार्शनिक बिंदुओं का विस्तृत उल्लेख किया गया है और गजेटियर अध्ययन कर आसानी से जिले से जुड़ी तमाम जानकारी प्राप्त की जा सकती है. इससे पूर्व अधिकारियों ने 101 दीप भी जलाये. मौके पर डीएलएओ विमल कुमार मंडल, एसडीसी ब्रज किशोर लाल, सदर एसडीएम एनजी सिद्दीकी, सदर एसडीपीओ विद्या सागर, मेला समिति सचिव युगल किशोर अग्रवाल सहित काफी संख्या में अधिकारी व दर्शक मौजूद थे. मंच संचालय डीएओ प्रवीण कुमार झा व संगीत शिक्षक मुकेश मिलन ने किया.
सांस्कृतिक कार्यक्रम में दिखी होली की छटा : बिहार दिवस समारोह के दौरान बुधवार की शाम आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में होली की छटा बिखरी रही. स्थानीय कलाकारों द्वारा शास्त्रीय नृत्य व स्वागत गीत से साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया. इसके उपरांत गीतांजलि डांस ग्रुप के कलाकारों ने ऐसा शमा बांधा कि सभी मंत्रमुग्ध हो गये. राधा-कृष्ण के प्रेम को इंगित करते हुए कलाकारों ने कई रिकॉर्डिंग गीतों पर नृत्य की प्रस्तुति दी. खास बात यह थी कि इस क्रम में मथुरा की फूल व लठमार होली का भी मंचन किया गया. ‘मोरा रसिया’, ‘आज होली खेलन आये हैं नटवर नंद किशोर’, ‘आज बिरज में होरी रे रसिया’ आदि गीतों पर ग्रुप के कलाकारों द्वारा एक से बढ़ कर एक नृत्य प्रस्तुत किया गया.
…जब चरम पर पहुंचा दर्शकों का उत्साह : समारोह के दौरान गीतांजलि डांस ग्रुप द्वारा ब्रज की होली का मंचन नृत्य के माध्यम से किया जा रहा था. इस बीच अचानक मंच लगभग खाली हो गया और एक कलाकार मंच पर बिखरे फूल एकत्रित करने लगा. हालांकि गीत का बज रहा था. ऐसे में दर्शकों को कुछ समझ नहीं आ रहा था. लेकिन अचानक दर्शक दीर्घा में फूलों की बारिश होने लगी. नजर दौड़ी तो मंच के कलाकार मैदान में थे. कलाकारों ने एक के बाद एक दर्शकों पर फूल बरसाये और इस बीच दर्शकों का उत्साह चरम पर पहुंच गया. पूरे पंडाल में किलकारियां गुंजने लगी.
बेहतर आगाज के बाद फीका रहा अंजाम
गीतांजलि डांस ग्रुप के बेहतरीन प्रदर्शन के बाद दरभंगा आकाशवाणी केंद्र की गायिका ममता ठाकुर ने एक के बाद एक कई गीत प्रस्तुत किये. ‘गांव के अधिकारी बड़का भैया हो’ गीत पर उन्होंने सबसे अधिक तालियां बटोरी. हालांकि जैसे ही उनका गायन आरंभ हुआ, कुछ कुर्सियां खाली होनी शुरू हो गयी. इसके बाद बारी असम के कलाकारों की आयी. कलाकारों द्वारा असम के पारंपरिक लोक नृत्य बीहू, प्रसिद्ध गायक भूपेन हजारी के गाये गीत ‘वृष्टि पारा रे’ व अन्य गीतों पर प्रस्तुत नृत्य का मंचन किया गया. लेकिन बेहतर नृत्य प्रस्तुति के बावजूद लोगों को गीत के बोल समझ नहीं आ रहे थे. यही कारण था कि पंडाल खाली होने का सिलसिला तेज हो गया. दर्शक दीर्घा से बाहर निकलते पिंकी कुमारी, सोनी कुमारी, विनिता, सरोज, सुनीता कुमारी,
राजेश कुमार, मनोज सिंह, कंचन ठाकुर, उमाकांत सिंह आदि ने बताया कि बिहार दिवस के मौके बिहार की संस्कृति से जुड़े कार्यक्रम की प्रस्तुति होनी चाहिए थी. लेकिन असम व अन्य प्रदेशों के कलाकारों को बुलाया गया. जिनकी भाषा व संस्कृति बिहार के लोगों के लिए समझना मुश्किल है. ऐसे में बिना समझ के कार्यक्रम का आनंद नहीं आ सकता है. यही कारण है वे वापस घर लौट रहे हैं. कार्यक्रम का समापन ममता ठाकुर के गीत से ही हुआ. लेकिन तब तक दर्शक दीर्घा लगभग खाली हो चुकी थी. ऐसे में कहना गलत नहीं होगा कि सांस्कृतिक कार्यक्रम का आगाज जितना बेहतर हुआ, अंजाम उतना ही फीका रहा.
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