अनुशंसा. जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने सचिव को भेजा पत्र
Advertisement
तीन इइ के विरुद्ध हाेगी कार्रवाई
अनुशंसा. जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने सचिव को भेजा पत्र सरकारी राशि की वसूली नहीं करने के मामले में तीन कार्यपालक अभियंताओं पर कार्रवाई हाेगी. लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने सरकार के सचिव से तीनों के विरुद्ध कार्रवाई की अनुशंसा की है. मामला प्रधानमंत्री सड़क योजना में करोड़ों रुपये के बंदरबांट का है. सुपौल […]
सरकारी राशि की वसूली नहीं करने के मामले में तीन कार्यपालक अभियंताओं पर कार्रवाई हाेगी. लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने सरकार के सचिव से तीनों के विरुद्ध कार्रवाई की अनुशंसा की है. मामला प्रधानमंत्री सड़क योजना में करोड़ों रुपये के बंदरबांट का है.
सुपौल : कार्य प्रमंडल सुपौल में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत निर्मली-हटवरिया पथ तथा जीवछपुर-दुबियाही पथ के निर्माण में अभियंताओं द्वारा एक करोड़ 63 लाख 79 हजार की राशि गबन करने का मामला प्रकाश में आया है.
विभागीय आदेश का अनुपालन नहीं कर सरकारी राशि की वसूली में लापरवाही व अनियमितता किये जाने पर जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने वर्तमान सहित दो तत्कालीन कार्यपालक अभियंता के ऊपर ग्रामीण विकास विभाग के सचिव से कार्रवाई किये जाने का अनुशंसा किया है. परिवादी मुख्यालय के विद्यापुरी निवासी अनिल कुमार सिंह की शिकायत पर सोमवार को सुनवाई के दौरान ग्रामीण कार्य प्रमंडल सुपौल के सहायक अभियंता द्वारा राशि वसूली से संबंधित समर्पित प्रतिवेदन को खारिज कर लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने सोमवार को आदेश पारित किया है तथा परिवाद की सुनवाई की समय सीमा दो माह बीत जाने के कारण परिवाद की कार्रवाई समाप्त कर दिया.
कार्रवाई की जद में ग्रामीण कार्य प्रमंडल सुपौल के वर्तमान कार्यपालक अभियंता चंद्रशेखर आजाद व दो पूर्व कार्यपालक अभियंता रामदेव चौधरी व चंदेश्वर सिंह यादव शामिल हैं. आदेश की प्रति जिला पदाधिकारी एवं अधीक्षण अभियंता ग्रामीण कार्य विभाग कार्य अंचल मधेपुरा को भी दिया है. गौरतलब है कि कार्य प्रमंडल सुपौल अंतर्गत हटवरिया-निर्मली पथ व जीवछपुर-दुबियाही पथ के निर्माण में अभियंताओं द्वारा व्यापक पैमाने पर अनियमितता बरती गयी थी.
बिना कार्य के ही मापी पुस्तिका में कार्य दिखा कर करोड़ों की राशि का भुगतान कर बंदर बांट कर लिया गया. मामले को उजागर करते हुए शिकायतकर्ता श्री सिंह द्वारा मुख्यमंत्री, वरीय पदाधिकारी व आर्थिक अपराध इकाई को शिकायत पत्र दाखिल कर कार्रवाई का अनुरोध किया गया. जिसके बाद ग्रामीण कार्य विभाग व आर्थिक अपराध इकाई द्वारा स्थल पर पहुंच कर जांच प्रारंभ किया गया. जांच के दौरान परिवाद पत्र में दायर शिकायत की पुष्टि हुई और व्यापक पैमाने पर बरती गयी अनियमितता एवं सरकारी राशि के गबन का खुलासा हुआ.
जांच में मिले दोषी
सरकार के आदेश पर मुख्य अभियंता की अध्यक्षता में गठित कमेटी द्वारा सड़क निर्माण में बरती गयी अनियमितता की जांच की गयी. संयुक्त जांच कमेटी द्वारा समर्पित जांच प्रतिवेदन के आधार पर समीक्षोपरांत सड़क निर्माण में की गयी अनियमितता के लिए तत्कालीन कार्यपालक अभियंता सुरेश कुमार सिंह, सहायक अभियंता विमल कुमार, कनीय अभियंता सुनील कुमार सिंह व संवेदक को दोषी पाया गया. जिनके विरुद्ध प्राथमिकी भी दर्ज की गयी तथा तीनों अभियंताओं को निलंबित भी किया गया.
सरकार ने वित्तीय क्षति के रूप में आकलित एक करोड़ 63 लाख 79 हजार 416 रुपये की वसूली समानुपातिक रूप से कार्यपालक अभियंता, सहायक अभियंता, कनीय अभियंता व संवेदक से वसूली करने का आदेश सुपौल के तत्कालीन कार्यपालक अभियंता को दिया. ग्रामीण कार्य विभाग बिहार पटना के पत्रांक 3084 दिनांक सात अगस्त 2013 के द्वारा यह आदेश कार्यपालक अभियंता सुपौल को दिया गया, लेकिन तीन वर्ष बीत जाने के बावजूद कार्यपालक अभियंता द्वारा राशि वसूल किये जाने के लिए कोई कार्रवाई नहीं किया. जहां लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी अजय कुमार झा द्वारा कार्यपालक अभियंता चंदेश्वर सिंह यादव, राम देव चौधरी व वर्तमान कार्यपालक अभियंता चंद्रशेखर आजाद को दोषी माना गया.
तीन वर्षों में भी गबन की राशि की वसूली नहीं
बिहार सरकार ग्रामीण कार्य विभाग ने दिया था राशि वसूली का आदेश
बिहार सरकार ग्रामीण कार्य विभाग के पत्रांक 3048 दिनांक 07 अगस्त 2013 के द्वारा आरोपी अभियंताओं एवं संवेदक से 01 करोड़ 63 लाख 79 हजार 416 रुपये की सामानुपातिक रूप से वसूली करने के आदेश को तीन वर्ष बीत गये. लेकिन राशि की वसूली नहीं हो पायी. इस अवधि के दौरान अभियंता एवं संवेदक मामले को दबाने के प्रयास में जुटे रहे.
कार्यपालक अभियंता ने ही अपने कनीय अभियंता एवं संवेदक को बचाने में लगे रहे. सरकार के आदेश के बावजूद तीन वर्ष बाद भी राशि वसूली की कार्रवाई के लिए प्रतीक्षारत परिवादी श्री सिंह जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी को वस्तु स्थिति से अवगत कराते हुए परिवाद पत्र दायर किया तथा गबन की गयी सरकारी राशि की वसूली सुनिश्चित करवाने के साथ-साथ मामले को ठंडे बस्ते मे डालने के लिए दोषी पदाधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई का अनुरोध किया. जिसके बाद मामले की सुनवाई प्रारंभ की गयी.
शिकायत निवारण पदाधिकारी को भी किया गुमराह
गत छह जून को दायर परिवाद में अभी तक तीन अलग-अलग तिथियों में लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी द्वारा मामले की सुनवाई की गयी, लेकिन एक तिथि को छोड़ कर लोक प्राधिकार कार्यपालक अभियंता स्वयं उपस्थित नहीं हुए. सहायक अभियंता के माध्यम से अपना पक्ष प्रस्तुत किया. सहायक अभियंता द्वारा प्रतिवेदन के माध्यम से लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी को गुमराह करने का प्रयास किया गया. पहली सुनवाई में जहां इस मामले को पटना उच्च न्यायालय में लंबित होना बताया गया. व
हीं दूसरी सुनवाई में प्राथमिकी दर्ज होने की बात कही गयी. जबकि तीसरी सुनवाई में अधीक्षण अभियंता से मार्गदर्शन मांगने की बात कही गयी. लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने अभियंताओं की इस चालाकी को पकड़ लिया और प्रस्तुत सभी प्रतिवेदन को खारिज करते हुए आदेश पारित किया गया.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement