दवा घोटाला. जांच के दौरान औषधि निरीक्षक उलझे दंडाधिकारी से
Advertisement
टंकी से बरामद दवा हुआ गायब
दवा घोटाला. जांच के दौरान औषधि निरीक्षक उलझे दंडाधिकारी से दवा घोटाले की जांच में जुटी जांच टीम की शिथिलता के कारण आखिरकार स्वास्थ्य विभाग के माफिया शौचालय की टंकी से दवा गायब करने में सफल रहे. अधिकारियों की टीम टंकी में बचे शेष दवाओं को करीब आधा दर्जन मजदूरों के सहयोग से निकालने में […]
दवा घोटाले की जांच में जुटी जांच टीम की शिथिलता के कारण आखिरकार स्वास्थ्य विभाग के माफिया शौचालय की टंकी से दवा गायब करने में सफल रहे. अधिकारियों की टीम टंकी में बचे शेष दवाओं को करीब आधा दर्जन मजदूरों के सहयोग से निकालने में जुट गयी.
सुपौल : करोड़ों रुपये की दवा घोटाले की जांच में जुटी जांच टीम की शिथिलता के कारण आखिरकार स्वास्थ्य विभाग के माफिया शौचालय की टंकी से दवा गायब करने में सफल रहे. गुरुवार को जब दंडाधिकारी सुशील कुमार मिश्र के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा गठित जांच टीम के अधिकारियों के समक्ष शौचालय की टंकी से ढक्कन हटाया गया तो टंकी से भारी मात्रा में दवा गायब पाया गया.
ज्ञात हो कि मंगलवार को जब जांच टीम ने स्वास्थ्य विभाग के औषधि भंडार केंद्र पर धावा बोला था तो भंडार केंद्र के समीप स्थित बंद पड़े एक शौचालय की टंकी में छुपाकर रखे गये करोड़ों रुपये मूल्य की दवाओं को भी जब्त किया था. अधिकारियों के दल ने तत्काल टंकी के ढक्कन को हल्का सरका कर दवाओं से भरे टंकी का मुआयना किया और शौचालय टंकी को लावारिस छोड़कर गोदाम में रखी दवाओं की सूची तैयार करने में जुट गये.
इस दौरान मौका मिलते ही करोड़ों रुपये की दवा घोटालों को अंजाम देने वाले माफियाओं ने शौचालय की टंकी से अधिकतर दवाओं को गायब कर दिया. बहरहाल गुरुवार की सुबह पहुंचे अधिकारियों की टीम टंकी में बचे शेष दवाओं को करीब आधा दर्जन मजदूरों की सहयोग से निकालने में जुटी है. गुरुवार की संध्या तक जांच दल के नेतृत्व में शौचालय की टंकी से भारी मात्रा में दवा निकाली गयी थी.
जांच दल में शामिल औषधी निरीक्षक नवीन कुमार ने बताया कि टंकी से सभी दवाओं को निकालने के बाद सूची बनायी जायेगी. वहीं करोड़ों रुपये की दवा घोटाले मामले के शिकायत कर्ता राजद नेता शमसूल कमर सिद्दीकी ने शौचालय टंकी से गायब हुए दवाओं को लेकर जांच टीम के कार्यों पर गहरा असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि जांच टीम घोटालेबाज अधिकारियों व कर्मियों को साक्ष्य मिटाने का मौन रूप से मौका प्रदान कर रही है. इस मामले से स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव सहित मुख्यमंत्री कार्यालय को अवगत करवा कर
उच्च स्तरीय जांच की मांग
करवायी जायेगी.
रातोंरात रोकड़पाल से भंडारपाल बने पवन सिंह
करोड़ों रुपये के दवा घोटाले मामले में आरोपित वर्तमान भंडारपाल पवन सिंह अधिकारियों की मेहरबानी से रातोरात रोकड़पाल के साथ-साथ भंडारपाल का भी कार्य करने के लिए अधिकृत कर दिये गये. जानकारी अनुसार वित्तीय वर्ष 2015- 16 में जीवनरक्षक दवाओं की खरीदारी के लिए एक करोड़ 50 लाख रुपये का आवंटन विभाग द्वारा जिला को प्राप्त हुआ था.
दिनांक तीन अगस्त 2015 को जिला क्रय समिति की बैठक की गयी और सिविल सर्जन के कार्यालय ज्ञापांक 883 के द्वारा प्रतिनियुक्त भंडारपाल को भंडार में उपलब्ध दवा के साथ-साथ छह माह के लिए आवश्यकता के अनुरूप मात्रा के साथ दवा उपलब्ध करवाने का निर्देश दिया गया था. भंडारपाल द्वारा 113 प्रकार की दवा व उपकरणों की सूची सिविल सर्जन को उपलब्ध करवायी गयी थी,
लेकिन भंडारपाल द्वारा दिये गये सूची से अलग हटकर सरकारी राशि का बंदर बांट करते हुए अनावश्यक दवाओं की खरीदारी दरभंगा पटना के चार एजेंसियों से की गयी और विक्रेता फर्म को तत्काल एक करोड़ 26 लाख 36 हजार 300 रुपये का भुगतान भी किया गया. संबंधित आपूर्ति कर्ता द्वारा दिनांक 10 अगस्त 2015 को दवाओं की आपूर्ति सिविल सर्जन सुपौल के कार्यालय में किया गया. पूर्व भंडारपाल ने जब अपने द्वारा उपलब्ध करवाये गये सूची से भिन्न दवाओं को देखा तो वे क्रय की गयी दवा को प्राप्त करने से इनकार कर दिया.
तब आनन-फानन में सिविल सर्जन ने अपने कार्यालय के रोकड़पाल पवन कुमार सिंह को भंडारपाल का अतिरिक्त प्रभार देते हुए पूर्व भंडारपाल को प्रशासनिक दृष्टिकोण से स्थानांतरित कर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र निर्मली में पदस्थापित कर दिया. जानकार बताते हैं कि दवा की खरीदारी में भारी धांधली बरतते हुए ऐसे दवाओं की खरीदारी की गयी थी, जो महज एक या दो माह बाद एक्सपायर होने वाला था.
अजीबोगरीब स्थिति उत्पन्न हुई
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों द्वारा दवा खरीदगी के दौरान करोड़ों रुपये के घोटाले किये जाने के मामले में चल रहे प्रथम चरण के जांच के दौरान गुरुवार को अजीबोगरीब स्थिति उत्पन्न हो गयी. जांच टीम में शामिल औषधि निरीक्षक ने दंडाधिकारी सह नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी से ही उलझ गये. दंडाधिकारी श्री मिश्र ने इस मामले को तुल देने से परहेज करते हुए औषधि निरीक्षक को उनके कर्तव्य का बोध कराते हुए अपने वाहन में जाकर बैठ गये.
जानकारी के अनुसार दवा घोटाले के जांच के दौरान गत मंगलवार को शौचालय की टंकी से दवा बरामद किया गया था. दवाओं से भरे टंकी को लावारिस छोड़ कर जांच टीम के अधिकारी गोदाम के दवाओं की सूची तैयार करने में लगे हुए थे. इस दौरान बुधवार की रात शौचालय की टंकी से भ्रष्टाचार में लिप्त माफियाओं ने दवाओं की एक बड़ी खेप को गायब कर दिया, जिसकी शिकायत मामले के शिकायतकर्ता शमसूल कमर सिद्दीकी सहित कई अन्य लोगों ने दंडाधिकारी सुशील कुमार मिश्र से किया.
साक्ष्य से हो रहे छेड़ छाड़ को देखते हुए तत्काल दंडाधिकारी ने जांच टीम को शौचालय की टंकी से बरामद दवाओं को जब्त करने का निर्देश दिया. अपने मनमानी कार्यशैली से इतर कार्य का निर्देश मिलने पर जांच टीम के सदस्य आक्रोशित हो गये और दंडाधिकारी से उलझ गये. इस दौरान औषधि निरीक्षक ने यहां तक बोल दिया कि वे भी दंडाधिकारी स्तर के पदाधिकारी है.
उन्हें अपने स्तर से कार्य करने की स्वतंत्रता है. लेकिन दंडाधिकारी के कड़े तेवर के सामने जांच टीम के अधिकारियों की एक नहीं चली और शौचालय की टंकी से चोरी के बाद बचे शेष दवाओं को देर शाम तक निकलवा कर जब्त किया गया.
दंडाधिकारी की मौजूदगी में शौचालय टंकी खोलते मजदूर (ऊपर) व टंकी से निकाली गयी दवा के साथ जांच दल के अधिकारी. फोटो। प्रभात खबर
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement