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डीपीओ के गलत आदेश को आरडीडीइ ने किया निरस्त

डीपीओ के गलत आदेश को आरडीडीइ ने किया निरस्त नियम को ताक पर रख कर डीपीओ ने किया कनीय अभियंता का स्थानांतरणआरडीडीइ ने इसे विभागीय प्रावधान के प्रतिकूल मानाडीइओ को तीन दिनों के अंदर नियमानुसार पदस्थापन का दिया निर्देश प्रभात फॉलोअप ————– फोटो -04कैप्सन- अखबार में प्रकाशित खबरप्रतिनिधि, सुपौलशिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा नियम-कानून को […]

डीपीओ के गलत आदेश को आरडीडीइ ने किया निरस्त नियम को ताक पर रख कर डीपीओ ने किया कनीय अभियंता का स्थानांतरणआरडीडीइ ने इसे विभागीय प्रावधान के प्रतिकूल मानाडीइओ को तीन दिनों के अंदर नियमानुसार पदस्थापन का दिया निर्देश प्रभात फॉलोअप ————– फोटो -04कैप्सन- अखबार में प्रकाशित खबरप्रतिनिधि, सुपौलशिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा नियम-कानून को ताक पर रख कर फैसले लिये जाते हैं. स्थिति यह है कि आदेश जारी करने में इस बात का भी ख्याल नहीं रखा जाता है कि कार्य उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर है. जिला कार्यक्रम पदाधिकारी प्राथमिक शिक्षा एवं सर्व शिक्षा अभियान द्वारा गलत ढंग से जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा जारी आदेश को संशोधित कर कनीय अभियंताओं को प्रखंड आवंटित किये जाने संबंधित पत्र को क्षेत्रीय उप शिक्षा निदेशक प्रभा शंकर सिंह ने निरस्त कर दिया है. उक्त कार्रवाई पब्लिक विजिलेंस कमेटी के सचिव अनिल कुमार सिंह द्वारा दायर परिवाद पत्र के आलोक में की गयी है. इसमें उन्होंने डीपीओ द्वारा निर्गत पत्र को चुनौती देते हुए आयुक्त कोसी प्रमंडल एवं आरडीडीइ से मामले की जांच कर कार्रवाई का अनुरोध किया था. प्रभात खबर ने 07 जनवरी के अंक में ‘ शिक्षा विभाग में नियम ताक पर’ शीर्षक से प्रमुखता के साथ खबर प्रकाशित की गयी थी. इसके बाद आरडीडीइ ने डीपीओ द्वारा जारी आदेश को निरस्त कर दिया है.डीपीओ के आदेश को किया निरस्त क्षेत्रीय शिक्षा उप निदेशक प्रभा शंकर सिंह ने ज्ञापांक 26 (नि) 07 जनवरी के माध्यम से जिला शिक्षा पदाधिकारी को भेजे पत्र में कहा है कि प्राप्त शिकायत से स्पष्ट है कि जिला कार्यक्रम पदाधिकारी प्राथमिक शिक्षा एवं सर्व शिक्षा अभियान सुपौल द्वारा निर्गत ज्ञापांक 489 (नि) 23 मई, 2015 विभागीय प्रावधान के प्रतिकूल है. चूंकि उक्त आदेश डीइओ के स्तर से निर्गत होना चाहिए. इसलिए डीइओ के स्तर से निर्गत आदेश के विरुद्ध डीपीओ द्वारा जारी आदेश को निरस्त किया जाता है. तीन दिनों के अंदर कार्रवाई का निर्देश आरडीडीइ ने जारी आदेश में जिला शिक्षा पदाधिकारी को अपने स्तर से समीक्षा कर तीन दिनों के भीतर विभागीय प्रावधान के अनुरूप नियमानुसार कनीय अभियंताओं के पदस्थापन का आदेश निर्गत कर प्रतिवेदित करने का निर्देश दिया है. साथ ही यह भी सूचित करने को कहा है कि कार्य की गुणवत्ता में हुई कमी पर आपके स्तर से क्या-क्या कार्रवाई की गयी है. ताकि उनके स्तर से विभाग को प्रतिवेदित किया जा सके.क्या है मामलाराज्य परियोजना निदेशक, बिहार शिक्षा परियोजना परिषद पटना द्वारा जारी निर्देश के आलोक में जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा जिले में कनीय अभियंताओं के योगदान के बाद कार्यालय ज्ञापांक 1683 (एसएसए) 18 नवंबर, 2014 द्वारा कनीय अभियंताओं को प्रखंड आवंटित किया गया. पुन: डीइओ द्वारा तीन माह के बाद 26 फरवरी, 2015 को ज्ञापांक 183 (एसएसए) के माध्यम से असैनिक निर्माण कार्य में गुणवत्ता एवं तकनीकी कारणों से आंशिक संशोधन कर तीन कनीय अभियंताओं को आवंटित प्रखंड में फेरबदल कर दिया गया. पुन: तीन माह बाद डीपीओ सर्व शिक्षा अभियान ने डीइओ द्वारा जारी आदेश को संशोधित कर अभियंताओं को आवंटित प्रखंड में फेरबदल कर दिया, जबकि उन्हें डीइओ के आदेश को संशोधित करने का अधिकार नहीं है.डीपीओ के आदेश में कई गड़बड़ी एक तो डीपीओ द्वारा नियम को ताक पर रख कर डीइओ के आदेश को संशोधित कर पत्र निर्गत कर दिया गया. वहीं उनके द्वारा जारी पत्र में कई प्रकार की गड़बड़ी सामने आयी है. डीपीओ द्वारा जारी कार्यालय आदेश ज्ञापांक 489 (नि)(एसएसए) 23 मई 2015 में कनीय अभियंता का नाम मो मोबश्शीर दर्शाया गया है, जबकि जिला में योगदान एवं डीइओ द्वारा जारी पूर्व के अन्य पत्रों में उक्त कनीय अभियंता का नाम मो आलम बताया गया है. इससे यह प्रतीत होता है कि जान बूझ कर इस प्रकार का पत्र निर्गत किया गया है. इससे फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी पाने वाले कनीय अभियंता को बचाने की कोशिश भी कही जा सकती है.

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