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धान बिका नहीं, कैसे हो आगे की खेती

धान बिका नहीं, कैसे हो आगे की खेती सरकारी स्तर पर धान नहीं बिकने से किसान औने-पौने दाम में बेच रहे धानफोटो-02 से 07 तक कैप्सन- किसानों का फाइल फोटो.प्रतिनिधि, निर्मली रबी फसल की बोआई व अच्छे पैदावार के लिए सरकार द्वारा किसानों को जागरूक करने के लिए कार्यक्रम चलाया जा रहा है. पर, अनुमंडल […]

धान बिका नहीं, कैसे हो आगे की खेती सरकारी स्तर पर धान नहीं बिकने से किसान औने-पौने दाम में बेच रहे धानफोटो-02 से 07 तक कैप्सन- किसानों का फाइल फोटो.प्रतिनिधि, निर्मली रबी फसल की बोआई व अच्छे पैदावार के लिए सरकार द्वारा किसानों को जागरूक करने के लिए कार्यक्रम चलाया जा रहा है. पर, अनुमंडल क्षेत्र के किसानों को आर्थिक परेशानी के कारण रबी फसल की बोआई में परेशानी झेलनी पड़ रही है. इसका प्रमुख कारण किसानों के धान की बिक्री नहीं होना बताया जा रहा है. गौरतलब है कि किसानों के धान की खरीदारी पैक्स द्वारा की जाती है, ताकि किसानों को धान की बिक्री में सुविधा हो. पर, पैक्स द्वारा धान की खरीदारी नहीं करने से किसानों को औने-पौने दाम पर धान बेचने को मजबूर होना पड़ रहा है. इससे किसानों को आर्थिक नुकसान उठाने के साथ रबी फसल की बोआई में काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है. किसानों की नाराजगी की वजह सरकार की नीति बतायी जा रही है. किसानों का आरोप है कि सरकार द्वारा जो भी घोषणाएं की जाती हैं, वह जमीनी स्तर पर कुछ खास किसानों के लिए होती हैं. यही कारण है कि ज्यादातर किसान सरकार द्वारा मुहैया करायी जाने वाले अधिकांश योजनाओं का लाभ नहीं ले पाते हैं. रबी फसल की बोआई व उसके अधिक पैदावार के लिए सरकार द्वारा भले ही किसानों को जागरूक किया जा रहा है. पर, किसान की सबसे बड़ी समस्या फसल की लागत में लगने वाली राशि है. किसानों का वित्तीय संतुलन फसलों की बिक्री पर ज्यादा निर्भर करता है. प्रशासनिक उदासीनता के कारण किसानों को रबी फसल की बोआई में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.कहते हैं किसानकिसान सत्य नारायण यादव कहते हैं कि एक तो धान की बिक्री नहीं हो पा रही है. ऊपर से बाजार में बीज व खाद की कीमत आसमान छू रही है. इस हालत में वैज्ञानिक तरीके से कैसे रबी फसल की बोआई संभव है. पैक्स द्वारा धान की खरीदारी नहीं करने से किसानों को बाजार में नौ सौ रुपये क्विंटल धान बेचनी पड़ रही है. वहीं बाजार में खाद का भाव डीएपी 1350 से 1450 रुपये , पोटाश 750 से 850 रुपये, गेहूं बीज 1000 से 1200 रुपये है. ऐसे में किसान करे तो क्या. जबकि सरकार द्वारा रबी फसल की अच्छी पैदावार के लिए किसानों को प्रोत्साहित और प्रशिक्षण दिया जा रहा है. किसान के पास पैसा नहीं होगा, तो किसान वैज्ञानिक तरीके से खेती कैसे कर सकते हैं. सरकार को किसानों की समस्या को लेकर कोई विशेष नीति बनानी होगी, तब जा कर किसानों के समस्या का निदान संभव हो पायेगा. किसान राजकिशोर यादव कहते हैं कि हम लोगों के जीविका साधन खेती है. खेती की आमदनी पर ही दूसरी खेती निर्भर करती है. हमलोगों ने सोचा था कि धान की फसल से आमदनी के बाद रबी की फसल की बोआई होगी, लेकिन धान की बिक्री नहीं होने से हम लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. शिव नारायण यादव ने कहा कि रबी फसल की अच्छी पैदावार के लिए सरकार द्वारा किसानों को प्रशिक्षित जरूर किया जा रहा है. पर, सबसे बड़ी समस्या खेती के लिए अर्थ है. जो धान की बिक्री नहीं होने से किसानों के सामने उत्पन्न हुई है. पैक्स द्वारा धान की खरीदारी नहीं की जा रही है. इसके कारण अन्य व्यवसायियों के हाथ औने पौने दाम पर धान बेचनी पड़ रही है. गिरिजा देवी कहती हैं कि धान की फसल की वजह रबी की फसल बहुत ज्यादा प्रभावित हो रही है. बाजार में मिल रहा खाद व गेहूं के बीज के दाम आसमान छू रहे हैं. इससे किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. एक तो महंगाई, ऊपर से धान की बिक्री का नहीं होना समस्या बना है. धनिक लाल ठाकुर कहते हैं कि पंचायत स्तर पर पैक्स की व्यवस्था की गयी है. पर, यह बेकार साबित हो रहा है. पैक्स समय पर किसानों के लिए कुछ काम का नहीं रह जाता है. अभी किसान के लिए सबसे बड़ी समस्या धान की बिक्री है. उस पर रबी फसल की पैदावार निर्भर है. किसानों के सामने विकट परिस्थिति उत्पन्न हो गयी है. सोहन यादव कहते हैं कि सबसे बड़ी समस्या रह गयी है कि रबी फसल की बोआई कैसे की जाये. बाजार में खाद से लेकर बीज तक की कीमत आसमान पर है. किसानों के धान की बिक्री नहीं हो पा रही है.कहते हैं अधिकारीइस बाबत बीडीओ परशुराम सिंह ने बताया कि पैक्स अध्यक्ष द्वारा जल्द ही धान की खरीदारी की जायेगी. इसकी प्रक्रिया चल रही है.

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