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गंदगी व जल-जमाव से परेशान है वार्ड नंबर 25 मुहल्लावासी (प्रभात पड़ताल)

सुपौल : नगर क्षेत्र का हृदय स्थली कहे जाने वाला वार्ड नंबर 25 में समस्याओं से जूझना लोगों की नियति बन गयी है. गंदगी की भरमार, नाले की साफ-सफाई का अभाव व जल-जमाव की स्थिति इस वार्ड की पहचान बन गयी है. नगर परिषद द्वारा साफ-सफाई व वार्ड के अधिकांश भाग में नाले का निर्माण […]

सुपौल : नगर क्षेत्र का हृदय स्थली कहे जाने वाला वार्ड नंबर 25 में समस्याओं से जूझना लोगों की नियति बन गयी है. गंदगी की भरमार, नाले की साफ-सफाई का अभाव व जल-जमाव की स्थिति इस वार्ड की पहचान बन गयी है.

नगर परिषद द्वारा साफ-सफाई व वार्ड के अधिकांश भाग में नाले का निर्माण नहीं किये जाने से लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पर रहा है. नगर परिषद द्वारा शहर सौंदर्यीकरण का दावा इस मुहल्ले में खोखला साबित हो रहा है. नगर क्षेत्र को चकाचक बनाने के लिए नियमित साफ-सफाई, नाले का निर्माण , रात्रि में वार्ड को रोशन करने के लिए जगह-जगह वेपर लाइट लगाने की व्यवस्था नगर परिषद द्वारा किया जाता है.

लेकिन इस मुहल्ले में नगर परिषद द्वारा मुहैया कराये जाने वाली कोई भी सुविधा लोगों को नहीं मिल रही है. जिससे मुहल्ले वासी काफी खफा है. वार्ड के अधिकांश हिस्सों में अब तक नाले का निर्माण नहीं किया गया है. जो भी नाले बने हैं वो कचरे की वजह से जाम पड़े हैं. जिसकी सुधि लेने वाला कोई नहीं है. हटिया से लेकर राम दास ठाकुरबाड़ी तक व रामदास ठाकुरबाड़ी से लेकर कीर्तन भवन तक अब तक नाले का निर्माण नहीं किया गया है.

जबकि शहर की आधे से अधिक आबादी का गंदा पानी कीर्तन भवन मोड़ से वीणा रोड जाने वाली सड़क के किनारे कच्चे नाले से शहर से बाहर जाता है. मुख्य नाला होने के बावजूद अब तक इस नाले का निर्माण नहीं किया गया है. महावीर चौक स्थित मंदिर से मरीक टोला की तरफ जाने वाली सड़क, मरीक टोला से केवट टोला व अन्य स्थानों पर नाले पर ढ़क्कन नहीं है. जिसके कारण हल्की बारिश होते ही कीचड़ व जल-जमाव की स्थिति यहां सामान्य बात हो गयी है.

मुहल्ले का केवट टोला, मरीक टोला व रामदास अखराहा रोड स्थित मुहल्ले में नियमित साफ सफाई नहीं होने का खामियाजा वार्ड वासियों को भुगतना पड़ता है. क्या कहते हैं वार्ड पार्षद वार्ड पार्षद गंगा साह का आरोप है कि नगर परिषद द्वारा इस वार्ड को उपेक्षा की नजर से देखा जाता है. जिसकी वजह से मुहल्ले का यह हाल बना हुआ है.

पूर्व में शहर की सफाई के लिए प्रति माह डेढ़ लाख के बजट का प्रावधान था. अब सफाई के लिए प्रति माह सात लाख का बजट हो गया है.

उसके बावजूद शहर की पूरी सफाई नहीं हो पाती है. केवल शहर के मुख्य सड़कों पर साफ-सफाई कर खानापूर्ति कर दी जाती है. मच्छर भगाने के लिए गली मुहल्लों में फोगिंग मशीन का प्रयोग भी शहर के मुख्य मार्गों तक ही सीमित है. क्या कहते हैं मुहल्लावासी सत्य नारायण पटवा कहते हैं गंदगी सबसे बड़ी समस्या है. नाला निर्माण नहीं होने के कारण हल्की बारिश होने पर जल-जमाव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है. रंजन कुमार कहते है नाला सफाई पर बिल्कुल ध्यान नहीं दिया जाता है. वीणा रोड में हल्की बारिश होने पर नाला व रोड में फर्क नहीं रह जाता है.

कुमोद कुमार बताते हैं साफ-सफाई की समुचित व्यवस्था नहीं की जाती है. नगर परिषद द्वारा लगाया गया वेपर लाइट खराब पड़ा है. जिससे रात में अंधकार छाया रहता है. रंजीत कुमार का कहना है कि जब से साफ-सफाई के लिए ठेकेदारी व्यवस्था हुई है. तब से जो भी कभी कभार सफाई होती थी वो भी नहीं हो पा रही है.

योगेंद्र मरीक कहते हैं साफ-सफाई तो बिल्कुल नहीं होता है. मैं भी पूर्व में नगर परिषद में सफाई का कार्य करता था. लेकिन अच्छा काम करने वाले लोगों को कोई तरजीह नहीं दी जाती है. जगिया देवी बताती हैं गंदगी में बच्चों के साथ रहना पड़ता है. कचड़ा के सड़ांध से हमेशा गंभीर बीमारी की संभावना बनी रहती है.

गीता देवी कहती हैं कि गंदगी में रहना पड़ता है. शौचालय की व्यवस्था नहीं है. कोई देखने वाला नहीं है. वीणा देवी कहती हैं बारिश होने के बाद जल-जमाव की भारी समस्या रहती है. सबसे पहले नाला की सफाई और जहां नाला का निर्माण नहीं हुआ है. वहां नाला का निर्माण करना आवश्यक है. कलमवती देवी कहती हैं साफ-सफाई नहीं होती है.

पीने का शुद्ध पानी व शौचालय की सबसे बड़ी समस्या है. फूलो देवी का कहना है साफ-सफाई,नाले की सफाई व जल-जमाव से निजात के लिए नाले का निर्माण व समुचित साफ-सफाई की व्यवस्था करना जरूरी है.

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