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छात्रवृत्ति घोटाला: जांच दल ने सौंपी रिपोर्ट, बड़े गबन की आशंका डीडब्ल्यूओ किये गये पदमुक्त
सुपौल: कल्याण विभाग की जिला शाखा की मिलीभगत से छात्रवृत्ति राशि की अवैध निकासी मामले की जांच के बाद घोटाले की अब परत दर परत खुलने लगी है. जांच रिपोर्ट में कल्याण शाखा द्वारा छात्रवृत्ति राशि के आवंटन में बड़ी गड़बड़ी व गबन की आशंका जतायी गयी है. डीएम द्वारा इस मामले में गठित जांच […]
सुपौल: कल्याण विभाग की जिला शाखा की मिलीभगत से छात्रवृत्ति राशि की अवैध निकासी मामले की जांच के बाद घोटाले की अब परत दर परत खुलने लगी है. जांच रिपोर्ट में कल्याण शाखा द्वारा छात्रवृत्ति राशि के आवंटन में बड़ी गड़बड़ी व गबन की आशंका जतायी गयी है. डीएम द्वारा इस मामले में गठित जांच दल ने अपने प्रतिवेदन में जिला कल्याण पदाधिकारी सहित प्रधान सहायक, नाजिर, वितरण प्रभारी व कंप्यूटर ऑपरेटर को दोषी बताते हुए उनके विरुद्ध कार्रवाई की अनुशंसा की है. जांच दल ने इस मामले में व्यापक गड़बड़ी की संभावना जताते हुए इसकी विस्तृत जांच वित्त विभाग पटना के अंकेक्षण दल द्वारा कराने की आवश्यकता जतायी है.
गौरतलब है कि कल्याण शाखा द्वारा स्टेट बैंक की चकला निर्मली शाखा से छात्रवृत्ति की राशि की अवैध निकासी की जानकारी के बाद जिला पदाधिकारी एलपी चौहान ने मामले को गंभीरता से लेते हुए पांच सदस्यीय दल का गठन कर जांच का आदेश दिया था. एडीएम आपदा कुमार अरुण प्रकाश के नेतृत्व में गठित जांच दल में वरीय उप समाहर्ता सुशील कुमार, कोषागार पदाधिकारी किशोर कुमार कामत, डीआरडीए के लेखा पदाधिकारी कामेंद्र कुमार एवं स्थापना के प्रधान सहायक सुदीप कुमार वर्मा शामिल थे.
आरटीजीएस के माध्यम से की गयी निकासी
जांच दल ने अपने प्रतिवेदन में कहा है कि 17 मई को निर्गत चेक संख्या 001428 द्वारा स्टेट बैंक चकला निर्मली से 08 लाख 60 हजार 400 रुपये आरटीजीएस के माध्यम से कॉरपोरेशन बैंक से निकासी का प्रयास किया गया. रकम आदर्श उच्च विद्यालय बसंतपुर के नाम अंतरित था, जबकि खाताधारक का नाम बबन कुमार पिता कमलेश्वरी यादव ग्राम तेलवा, सुपौल पाया गया. वहीं विगत 25 मई को निर्गत चेक संख्या 001429 से उच्च मध्य विद्यालय हरिजन टोला निर्मली के नाम 04 लाख 19 हजार 400 रुपये की राशि सेंट्रल बैंक सुपौल द्वारा निकाली गयी. खाते की जांच की गयी, तो उक्त खाता सदर प्रखंड के जगतपुर निवासी मुकेश कुमार पासवान के नाम पाया गया.
विशेष अंकेक्षण कराने की मांग
जांच दल द्वारा प्राप्त रिपोर्ट के आलोक में डीएम ने जिला कल्याण पदाधिकारी सहित अन्य दोषी कर्मियों के निलंबन के लिए कल्याण विभाग को लिखा है. साथ ही विभाग के क्रियाकलाप व योजनाओं के विशेष अंकेक्षण कराने की मांग की है. उन्होंने बताया कि दोषी पदाधिकारी को पदमुक्त करते हुए धर्मेश कुमार सिंह को जिला कल्याण पदाधिकारी का पद्भार सौंपा गया है.
14 लाख से अधिक अवैध निकासी का खुलासा
जांच रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2012-13 एवं 2013-14 मद में विभिन्न विद्यालयों के नाम पर कुल 14 लाख 47 हजार 800 रुपये की अवैध निकासी व गबन किया गया. जांच दल ने कहा है कि विभाग द्वारा योजना की राशि नौ बैंकों के कुल 14 खातों में रखी गयी है. चेक बुक आगत पंजी संधारित नहीं है. आरटीजीएस संबंधी पत्र व एडवाइस का संधारण भी नहीं किया गया है. फलत: विद्यालयों को अंतरित राशि में अत्यधिक गड़बड़ी की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. जांच टीम ने बैंक व विद्यालयों से राशि का मिलान करने पर बड़े गबन की संभावना व्यक्त की है.
आर्थिक अपराध के तहत कार्रवाई की अनुशंसा
जांच दल ने पूरे मामले की जांच के बाद जिला कल्याण पदाधिकारी राजेंद्र चौबे, प्रधान सहायक दिगंबर झा, नाजिर सुरेश प्रसाद, कार्यपालक सहायक संतोष कुमार पप्पू तथा छात्रवृत्ति वितरण प्रभारी सहायक प्रकाश चंद्र यादव को गबन के लिए दोषी बताया है. साथ ही उनके विरुद्ध आर्थिक अपराध के तहत कार्रवाई की अनुशंसा की है. जांच दल ने कल्याण विभाग में छात्रवृत्ति व अन्य योजनाओं की गहन एवं विस्तृत जांच बिहार सरकार के वित्त विभाग अंकेक्षण दल द्वारा कराने की भी अनुशंसा की है.
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