सुपौल : मिथिलांचल का प्रसिद्ध पर्व तीज एवं चौठचंद्र जिले में पूरे आस्था और विश्वास के साथ मनाया गया. तीज के मौके पर महिलाओं ने सोमवार को 24 घंटे का निर्जला उपवास रखा. इस दौरान उन्होंने नये कपड़े धारण किये और सोलहों शृंगार कर माता पार्वती एवं भगवान शिव की विधिवत पूजा-अर्चना की. मंगलवार की सुबह उपवास समाप्त होने के उपरांत पारण किया जायेगा.
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जिले भर में श्रद्धा व आस्था के साथ मनाया गया तीज व चौठचंद्र का पर्व
सुपौल : मिथिलांचल का प्रसिद्ध पर्व तीज एवं चौठचंद्र जिले में पूरे आस्था और विश्वास के साथ मनाया गया. तीज के मौके पर महिलाओं ने सोमवार को 24 घंटे का निर्जला उपवास रखा. इस दौरान उन्होंने नये कपड़े धारण किये और सोलहों शृंगार कर माता पार्वती एवं भगवान शिव की विधिवत पूजा-अर्चना की. मंगलवार की […]
वहीं दूसरी ओर सोमवार को जिले में चौठचंद्र पर्व का भी धूमधाम से आयोजन किया गया. पर्व को लेकर अधिकांश घरों में उत्सव का माहौल बना रहा. अधिकांश महिलाओं ने चौठचंद्र के मौके पर दिन भर का उपवास एवं व्रत रखा. संध्याकाल में पूजा-अर्चना व चंद्रमा के दर्शन के बाद व्रत की समाप्ति की गयी. हिन्दुओं के दो प्रसिद्ध पर्व एक दिन संपन्न होने के कारण लोगों में उत्साह और उल्लास का माहौल बना रहा. अधिकांश लोग अपने घरों में ही पूजा-अर्चना में लगे रहे.
जिसके कारण बाजार में आमलोगों की आवाजाही काफी कम दिखी. पर्व को लेकर सोमवार को भी दूध की बिक्री परवान पर रही. अहले सुबह से ही सुधा व अन्य मिल्क काउंटरों पर खरीदारों की भारी भीड़ जुटी रही. जानकारी मुताबिक सामान्य दिनों से चार गुणा दूध की खपत दर्ज की गयी.
गौरतलब है कि विशेष कर चौठचंद्र पर्व में दूध की बड़ी महत्ता है. इस दिन दूध से खीर बना कर पूजा-अर्चना की जाती है. वहीं पुए-पकवान भी बनते हैं. वहीं मिट्टी के नये बर्तन में दही भी जमाए जाते हैं. मिथिलांचल में चौठचंद्र के मौके पर रिश्तेदार व कुटुंबों के बीच दही की छांछी व संदेश भेजने की भी परंपरा है. यही वजह है कि इस पर्व के अवसर पर दूध की भारी डिमांड रहती है.
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