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आंबेडकर कल्याण छात्रावास में नहीं है सुविधा, 10 कमरे में 40 छात्र हैं आवासित

सुपौल : समाहरणालय से महज कुछ ही दूरी पर अवस्थित अंबेदकर कल्याण छात्रावास जिसका निर्माण लगभग 20 वर्ष पूर्व महादलित समुदाय के आर्थिक रूप से कमजोर छात्राओं को शहर में रहकर अपनी शिक्षा ग्रहण करने के उद्देश्य से निर्माण किया गया था. लगभग ढाई तीन कट्ठे में मात्र 10 कमरों में 40 छात्र विभिन्न समस्याओं […]

सुपौल : समाहरणालय से महज कुछ ही दूरी पर अवस्थित अंबेदकर कल्याण छात्रावास जिसका निर्माण लगभग 20 वर्ष पूर्व महादलित समुदाय के आर्थिक रूप से कमजोर छात्राओं को शहर में रहकर अपनी शिक्षा ग्रहण करने के उद्देश्य से निर्माण किया गया था. लगभग ढाई तीन कट्ठे में मात्र 10 कमरों में 40 छात्र विभिन्न समस्याओं से जूझते हुए आवासित हैं.

छात्रावास में रह रहे छात्र विकास कुमार, रूपेश कुमार, प्रमोद कुमार, मनजीत कुमार, गणेश कुमार, मनोज कुमार, राजीव कुमार, रौशन कुमार, धर्मदेव कुमार, रंजीत कुमार, पारस मणी कुमार आदि ने बताया कि एक मंजिला इमारत में सुविधाओं का घोर अभाव है.
भवन के सामने वाले दरवाजा को छोड़ कर तीनों ओर जंगल झाड़ी का साम्राज्य स्थापित है. रात में सांप-बिच्छू के डर से बाहर निकलना मौत को दावत देना जैसा है. बताया कि बरसात के दिनों में हालत और भी भयावह रूप अख्तियार कर लेता है. छात्रावास के चारों ओर बारिश के पानी घिरे रहने से आवागमन में परेशानियों का सामना करना पड़ता है. छात्रावास में बिजली, पानी की व्यवस्था सुदृढ़ नहीं है.
बिजली कनेक्शन रहने के बावजूद तार के जगह-जगह खुले रहने से खतरे की संभावना बनी रहती है. प्यास बुझाने, खाना बनाने और छात्रों को स्नान करने के लिए मात्र एक चापाकल की व्यवस्था है. कहने को तो छात्रावास में 08 शौचालय है. परंतु मात्र 02 शौचालय ही उपयोग के लायक है.
जिससे छात्रावास के छात्रों को शौचालय जाने में भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. भवन में चार नल होने के बावजूद पाइप फ़टे रहने से बेकार पड़ा है. भवन के सामने और अगल-बगल तीन सीसीटीवी कैमरा लगे हुए हैं, जो अक्सर खराब ही रहता है. चापाकल से आयरनयुक्त पानी होने के कारण पानी पीने के लायक नहीं है. परंतु मजबूरी में आयरन युक्त पानी छात्रों को पीना पड़ता है.
मनोरंजन के लिए एक टीवी सेट लगाया गया है. जबकि खेल के सामानों की भारी कमी बताया गया. भवन एवं छात्रों की सुरक्षा के लिए कोई सुरक्षा गार्ड नहीं होने की जानकारी दी गयी. भवन में लगे दरवाजा और खिड़की की हालत भी जर्जर है. छात्रों ने एक स्वर से बताया कि छात्रावास की व्यवस्था की देखरेख और छात्रों की सुविधा की जिम्मेवारी छात्रावास अधीक्षक की होती है.
परंतु छात्रावास अधीक्षक प्रो चंद्रिका प्रसाद यादव बगल के डिग्री कॉलेज में रहते हुए भी कभी छात्रावास में दर्शन नहीं देते हैं. वे लोग यहां भगवान भरोसे ही आवासित हैं. छात्रों ने एक और छात्रावास भवन निर्माण की मांग की है. इस संबंध में जानकारी के लिये कल्याण पदाधिकारी अरूण कुमार एवं छात्रावास अधीक्षक प्रो चंद्रिका प्रसाद यादव के मोबाइल पर कई बार रिंग किया गया. लेकिन उनसे वार्तालाप नहीं हो सकी.

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