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अस्थायी डिवाइडर से दुर्घटना की आशंका

सुपौल : गांव से लेकर शहर तक भले ही सड़कों का जाल बिछा दिया गया हो. लेकिन आज भी यातायात व्यवस्था को लेकर न तो सरकार और न ही स्थानीय प्रशासन गंभीर दिख रहा है. यही कारण है कि सड़कों पर वाहनों की लंबी कतार से सड़क जाम की समस्या आम बात हो गयी है. […]

सुपौल : गांव से लेकर शहर तक भले ही सड़कों का जाल बिछा दिया गया हो. लेकिन आज भी यातायात व्यवस्था को लेकर न तो सरकार और न ही स्थानीय प्रशासन गंभीर दिख रहा है. यही कारण है कि सड़कों पर वाहनों की लंबी कतार से सड़क जाम की समस्या आम बात हो गयी है.

कोई भी दिन ऐसा अछूता नहीं है कि सड़क दुर्घटना से लोगों को निजात मिल रही है. सड़क दुर्घटना में मौत का तांडव सिर चढ़ कर बोल रहा है. दूर की बात जाने दीजिए, खुद जिला मुख्यालय जहां नगर परिषद प्रशासन से लेकर डीएम और एसपी सहित अन्य अधिकारियों को सड़क की यातायात व्यवस्था और जाम से सामना करना पड़ रहा है.
मुख्यत: मुख्यालय स्थित लोहिया चौक, स्टेशन चौक, महावीर चौक, हुसैन चौक सभी प्रमुख चौक-चौराहों पर प्राय: जाम की स्थिति अक्सर बनी रहती है. प्रशासन द्वारा समस्या से निजात के लिये कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है. कुछेक जगह पहल भी की गयी है.
लेकिन इस तरह का अजूबा पहल समस्या से निजात दिलाने के बजाय समस्या को और भी बढ़ाता प्रतीत हो रहा है. जिससे आम शहरियों में असंतोष का माहौल व्याप्त है. हाल के दिनों में जिला प्रशासन द्वारा व्यस्ततम लोहिया नगर चौक से आगे बस पड़ाव के रास्ता में मंदिर के सामने समाहरणालय, बीएसएस कॉलेज एवं पिपरा रोड में दोनों ओर के रास्ते में रस्सी व अस्थायी डिभाइडर से लंबी सीमा रेखा खींच दी गयी है.
नतीजा यह है कि जिन लोगों को लोहिया चौक होते पिपरा रोड जाना है, उन्हें रेलवे क्रॉसिंग पार करने के बाद नगर परिषद के समीप बने डिभाइडर के पास से फिर वापस बस स्टैंड व पिपरा रोड की ओर मुड़ना पड़ता है. जिससे वाहनों के जाम के साथ ही दुर्घटना की संभावना भी बढ़ जाती है.
वहीं पिपरा रोड से समाहरणालय की ओर जाने वाले वाहनों को लंबी दूरी तय कर पहले लोहिया नगर स्थित डिभाइडर को पार करना पड़ता है, फिर वापस मुड़ कर पुन: लोहिया नगर होते समाहरणालय सड़क का रास्ता अख्तियार करना पड़ता है. जिसके कारण यहां भी अक्सर जाम की स्थिति उत्पन्न होती है. वहीं दोनों मोड़ पर वाहनों को वापस उक्त सड़क में मुड़ने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है.
जबकि लोहिया नगर रेलवे क्रॉसिंग से सटे पूरब मंदिर के समीप चौराहे पर ट्रैफिक पुलिस की तैनाती कर न सिर्फ वाहनों पर नियंत्रण पाया जा सकता है. बल्कि वाहनों को भी मंदिर के बगल से गुजर कर आसानी से अपने गंतव्य तक जाने की सुविधा प्रदान की जा सकती है.
चौक-चौराहों पर नहीं है ट्रैफिक पुलिस की तैनाती: गौरतलब है कि सुपौल को जिला बने करीब 28 वर्ष बीत चुके हैं. बावजूद अब तक जिला मुख्यालय में ट्रैफिक पुलिस की तैनाती नहीं की गयी है.
जबकि शहर के लोहिया नगर चौक, स्टेशन चौक और महावीर चौक समेत अन्य चौक-चौराहों पर अक्सर वाहनों का भारी दबाव बना रहता है. जिले में एनएच 57, फोरलेन सड़क बनने के बाद सड़कों पर गुजरने वाली वाहनों की संख्या में भी अप्रत्याशित वृद्धि हुई है. यही वजह है कि इन चौक-चौराहों पर विशेष रूप से जाम की समस्या उत्पन्न होती रहती है. कई बार तो इस जाम में जिले के आलाअधिकारी भी फंसते हैं.
बावजूद समस्या के निदान की पहल अब तक नहीं हुई है. चौक-चौराहों पर ट्रैफिक पुलिस नहीं रहने से वाहन चालक भी मनमाने तरीके से वाहनों का परिचालन करते हैं. इस दौरान ट्रैफिक नियमों की जम कर धज्जियां उड़ाई जाती है. लोगों का मानना है कि शहर के सभी चौराहे पर ट्रैफिक पुलिस की शीघ्र तैनाती की जानी चाहिए.
विकराल होती जा रही अतिक्रमण की समस्या
शहर के प्रमुख सड़कों एवं चौक-चौराहों पर अतिक्रमण की भी भीषण समस्या मौजूद है. छोटे-छोटे दुकानदारों द्वारा सड़कों पर सैकड़ों की संख्या में फुटकर दुकान लगाया जाता है. फल व सब्जी के ठेले सड़कों पर ही लगाये जाते हैं. वहीं सड़कों पर यत्र-तत्र ऑटो भी खड़ी की जाती है.
जिसके कारण वाहनों को आने-जाने में काफी मुश्किलें उठानी पड़ती है. हालांकि कई बार प्रशासन द्वारा सड़क को अतिक्रमण मुक्त कराने का प्रयास भी किया जाता रहा है. लेकिन दृढ़ इच्छा शक्ति के अभाव में इसका स्थायी समाधान अब तक नहीं निकल पाया है.

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