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जल निकासी नहीं होने से खेतिहर भूमि प्रभावित, किसानों में मायूसी

सुपौल : पिछले एक दशक से गोठबरूआरी पंचायत स्थित जगतपुर एवं बरैल गांव के ग्रामीण एवं किसान जल जमाव की समस्या से जूझ रहे हैं. समस्या दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही है. जल जमाव से खेती योग्य जमीन भी प्रभावित है. पिछले एक दशक से उक्त परेशानी यहां के किसान झेलते आ रहे हैं. लेकिन […]

सुपौल : पिछले एक दशक से गोठबरूआरी पंचायत स्थित जगतपुर एवं बरैल गांव के ग्रामीण एवं किसान जल जमाव की समस्या से जूझ रहे हैं. समस्या दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही है. जल जमाव से खेती योग्य जमीन भी प्रभावित है. पिछले एक दशक से उक्त परेशानी यहां के किसान झेलते आ रहे हैं. लेकिन आलाधिकारियों के द्वारा किसानों के प्रति उदासीनता व लापरवाही का रवैया अपनाया जा रहा है. मालूम हो कि पिछले एक दशक से जगतपुर और बरैल गांव के लोग जलजमाव का सामना कर रहे हैं.

इससे करीब 100 एकड़ जमीन में लगा खरीफ फसल नष्ट होता है. इसके कारण एक वर्ष में केवल छह महीने ही खेती जैसे-तैसे हो पाती है. उक्त समस्या को लेकर प्रत्येक वर्ष अधिकारियों को सूचित भी किया जाता रहा है. लेकिन आज तक इसका स्थायी निदान नहीं हो सका है. इस समस्या को लेकर पंचायत के किसानों ने सहरसा-सुपौल पथ को परसरमा चौक के समीप घंटों जाम भी किया था. मौके पर तत्कालीन डीएम ने पहुंच कर किसानों को आश्वासन दिया था कि अगले वर्ष बारिश से पहले तक समस्या का स्थायी निदान हो जायेगा.

कुछ ही दिनों के बाद तत्कालीन डीएम तो चले गये लेकिन समस्या जस का तस रह गयी. गत वर्ष वर्तमान जिलाधिकारी को भी लिखित में उक्त समस्या से अवगत कराया गया था. लेकिन उनके द्वारा भी अब तक इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की गयी.

मॉनसून शुरू होने से पहले किसानों में चिंता
इस वर्ष भी बरसात प्रारंभ होते ही उक्त दोनों गांव के किसान जल जमाव व फसल क्षति की आशंका से भयभीत हैं. क्योंकि कई किसानों ने बैंक से ऋण व महाजन से कर्ज लेकर खेती में तो लगा दिया. लेकिन दिनोंदिन कर्ज के बोझ तले दबते जा रहे हैं. जिसे देखने वाला कोई नहीं है. बैठक के दौरान कई किसानों ने उक्त समस्या को लेकर गोलबंद होना भी शुरू कर दिया.
किसानों ने कहा है कि अगर समय रहते समस्या का समाधान जिला प्रशासन द्वारा अविलंब नहीं किया जाता है तो एक बहुत बड़ा आंदोलन चलाया जायेगा. जिसकी जबावदेही जिला प्रशासन की होगी. साथ ही किसानों ने कहा है कि आंदोलन के दिन पंचायत के किसान करो या मरो की तर्ज पर अंतिम लड़ाई लड़ेगें. इस क्रम में घेराव, आमरण अनशन, जगह-जगह पर सड़क जाम और आवश्यकता पड़ने पर मुख्यमंत्री के आवास पर धरना कार्यक्रम भी किया जा सकता है.
दो पंचायतों के बीच फंसा नाला निर्माण कार्य
आंदोलन के मूड में हैं ग्रामीण व किसान
परेशानी को लेकर पंचायत कार्यालय जगतपुर के परिसर में पंचायत की मुखिया सरिता देवी की अध्यक्षता में किसानों के साथ एक आपातकालीन बैठक आयोजित की गयी. इसमे आंदोलन का निर्णय लिया गया. ग्रामीण समाजसेवी गोविंद झा, विजय कुमार वर्मा, सुबोध झा, मुंगालाल साह, अनिल वर्मा, दीपक वर्मा, नारायण कामत, लक्ष्मण मुखिया, मिथिलेश सिंह, महेंद्र सादा, विजय मुणि, शनिचर सादा, फलाय मियां, नारायण चौधरी, धर्मदेव ठाकुर, डॉ जीतनारायण, रामजी कामत, राजेंद्र महतो, नर्मदेश्वर सिंह, शिव नारायण चौधरी, असर्फी चौधरी, सुमित कुमार, अनुज कुमार सहित कई किसानों ने जिला प्रशासन से समस्या से निजात दिलाने की मांग की है.
कहते हैं अधिकारी
मनरेगा योजना अब पंचायतों के अधीन आ गया है. लिहाजा दोनों संबंधित पंचायतों के पंचायत समिति में निर्णय लेकर योजना का कार्य पूर्ण किया जा सकता है. इससे जल जमाव की समस्या दूर हो जायेगी.
आर्य गौतम, प्रखंड विकास पदाधिकारी, सुपौल

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