सुपौल : दिल्ली के एक विश्वविद्यालय में नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत द्वारा दिये गये व्याख्यान में देश के पिछड़े होने की वजह बिहार जैसे राज्यों का होना वाले बयान से लोगों में असंतोष का माहौल व्याप्त है. आम जन इस बयान को गलत करार दे रहे हैं. लोगों का कहना है कि बिहार अब बीमारू राज्य नहीं रहा.
यहां विकास के कई कार्य हो रहे हैं. बिहारी छात्र काफी प्रतिभावान हैं. यही वजह है कि देश की सर्वोच्च परीक्षा आइएएस, आइपीएस व आइआईटी जैसी प्रतियोगिताओं में हर वर्ष सबसे ज्यादा बिहारी छात्र उत्तीर्ण होते हैं. बिहार के निवासी काफी मेहनती हैं. जिसके कारण सीमित संसाधन के बावजूद वे प्रगति के पथ पर अग्रसर हैं. राज्य का जीडीपी दर भी राष्ट्रीय जीडीपी से अधिक है.
पूर्व विधायक सह भाजपा नेता किशोर कुमार मुन्ना ने कहा कि लोगों द्वारा नीति आयोग के बयान को गलत संदर्भ में ले रहे हैं. कहा कि उनका कहना था कि पश्चिमी और दक्षिणी हिस्से के राज्य तेजी से विकास कर रहे हैं. जबकि बिहार, यूपी, छत्तीसगढ़ एवं राजस्थान जैसे राज्यों का जिस प्रकार विकास होना चाहिए था.
उस प्रकार विकास नहीं हो पाया. उनका कहना था कि कांग्रेस के शासन काल में बिहार को जिस प्रकार की केंद्रीय मदद मिलनी चाहिए थी. उस प्रकार की मदद नहीं मिली. लिहाजा बिहार का विकास अवरुद्ध हुआ. उन्होंने कहा कि जब इन राज्यों का विकास हर क्षेत्र में हो जायेगा. तब भारत एक बार फिर दुनिया के देशों में शिखर पर रहेगा. कहा कि देश के प्रधानमंत्री सबका साथ सबका विकास को मूल मंत्र मानते सभी राज्यों के समुचित विकास के लिए तत्पर हैं.
भारत सेवक समाज महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ संजीव कुमार ने कहा कि नीति आयोग के सीइओ का यह गैर जिम्मेदाराना है. राज्य अपने स्थापना काल से ही विकास के पथ पर अग्रसर है. संसाधनों के अभाव में जिस प्रकार से तेजी से बिहार विकास कर रहा है. वह काबिले तारीफ है. वर्तमान समय में राज्य में संसाधन उपलब्ध नहीं रहने के बावजूद प्रतिभा की कमी नहीं है. यहां के युवा एवं छात्र संघर्ष करके अपने प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं. देश के सभी प्रतियोगिता परीक्षा में बिहार के छात्र की सफलता पर राज्य के लोग गौरवान्वित हैं.
ऐसे में इस तरह का बयान देना अशोभनीय है. देश और दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में बिहार के छात्रों ने अपनी प्रतिभा की बदौलत कीर्तिमान स्थापित किया है.
नीति आयोग के बयानों का खंडन करते पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष अंजू देवी ने कहा कि देश के प्रमुख आयोगों में शामिल नीति आयोग का बिहार के संदर्भ में यह बयान दुर्भाग्यपूर्ण है. उनके बयान से बिहार वासी काफी दुखी हैं. कहा कि शूरवीरों की यह धरती आदि काल से ही देश का सम्मान बढ़ा रही है. वहीं देश में तेजी से विकास करने वाले राज्यों में बिहार शामिल है. फिर भी नीति आयोग के अधिकारी को लगता है कि बिहार के कारण देश पिछड़ा हुआ है तो उन्हें नयी योजना बना कर बिहार को विशेष पैकेज दिलाने में मदद करनी चाहिए. बिजली, सड़क व पानी की प्रचुरता वाले इस राज्य में विकास के क्षेत्र में अपार संभावनाएं है. केंद्र की सरकार खासकर कोसी इलाके में उद्योग धंधे स्थापित कर राज्य के विकास को और भी गति दे सकते हैं.
बाटों का नहीं होता है नियमित सत्यापन
बाट के साथ तराजू से भी हो रहा छेड़छाड़
नकली बाट का हो रहा खुलेआम इस्तेमाल
जिला मुख्यालय सहित विभिन्न बाजारों के सब्जी मंडी, किराना दुकानों, मीट-मांस की दुकानों में ईंट-पत्थर के नकली बाटो का खुलेआम इस्तेमाल किया जा रहा है. यहां तक कि जनवितरण प्रणाली के दुकानों में भी कम वजन वाले बाटों के प्रयोग की शिकायत उपभोक्ताओं द्वारा की जाती है. लेकिन, माप-तौल विभाग के अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं देते है. नाम नहीं छापने की शर्त पर एक व्यवसायी ने बताया कि विभाग की मिलीभगत से यह धंधा काफी फलफूल रहा है. बताया कि एक दशक पूर्व माप-तौल विभाग के अधिकारी हरेक दुकान का जायजा लेते थे. साथ ही बाट में थोड़ी बहुत कमी रहने पर रंगा या फिर पीतल का उपयोग कर उसपर विभागीय मुहर लगाया जाता था. ताकि ग्राहक द्वारा माप संबंधित सवाल पर दुकानदारों द्वारा विभागीय मुहर को दिखाया जा सके. लेकिन विभाग द्वारा महज खानापूर्ति की जा रही है. उन्होंने यह भी बताया कि मापतौल विभाग के अधिकारियों की उदासीनता के कारण प्रतिदिन लोग कमतौल सामग्री लेने पर विवश हो रहे हैं. साथ ही किसी उपभोक्ता द्वारा इसका विरोध करने पर दुकानदार हाथापाई व मारपीट पर भी उतारू हो जाते हैं.
बोले एसडीओ
अनुमंडल क्षेत्र में कमतौल या घटतौल मामले में निरंतर कार्रवाई की जाती रही है. फिलवक्त व्यवसायियों द्वारा इस प्रकार का कृत्य किया जा रहा है तो समुचित तरीके से जांच कर संबंधितों पर विधिसम्मत कार्रवाई की जायेगी.
नदीमुल गफ्फार सिद्दीकी, एसडीओ सदर
बंद रहता है मापतौल कार्यालय