सुपौल : एक तरफ जहां कोसी की उफनाती धारा शांत हो रही है. वहीं स्पर संख्या 64.95 पर नदी का दबाव जारी है. सोमवार को कोसी बराज पर एक लाख आठ हजार 220 क्यूसेक पानी का डिस्चार्ज रिकॉर्ड किया गया है. लेकिन सवाल अब भी वही उठाया जा रहा है कि आखिर बाढ़ पूर्व तैयारी को लेकर विभाग द्वारा सर्वे का कार्य कराया गया. साथ ही संबंधित स्परों पर पानी का दबाव बनने के कारण ऐसे स्परों पर पूर्व में भी लाखों की राशि खर्च की गयी.
बावजूद इसके स्पर पर ऐसी स्थिति क्यों उत्पन्न हुई है. लोगों की मानें तो यह एक जांच का विषय है. लोगों का कहना है कि उक्त स्पर पर पानी की तरह पैसा बहने के बावजूद स्थिति जस की तस रहना कई सवाल खड़े कर रहे हैं. कोसी की उफनाती धारा से जिले के कई प्रखंड हरेक वर्ष प्रभावित होता रहा है. जिस कारण बाढ़ से जूझना उनलोगों के लिए नियति बन गयी है. वहीं बाढ़ सुरक्षा के मद्देनजर कोसी के दोनों पूर्वी व पश्चिमी तटबंध के रख-रखाव पर लाखों करोड़ों खर्च कर कटाव निरोधी कार्य किये जाते रहे हैं. खास कर बाढ़ अवधि के दौरान निरोधात्मक कार्यों पर हरेक साल करोड़ों रुपये खर्च की जाती है.
जानकारों की मानें तो पश्चिमी कोसी तटबंध पर भले ही कार्य के नाम पर खानापूर्ति की जाती रही है. लेकिन पूर्वी कोसी तटबंध के कार्य पर भारी राशि का खर्च दिखाया जाता है. ताकि बाढ़ अवधि आने से पहले कार्य पूर्ण हो जाय. बावजूद इसके बाढ़ के मौसम में फिर विभाग व विभागीय अभियंता बाढ़ से तटबंध को सुरक्षित रखने के लिए दिन रात संघर्ष करते रहते हैं. सवाल उठता है आखिर कब तक ये सिलसिला चलता रहेगा. साथ ही करोड़ों की सरकारी राशि के व्यय पर लगाम लग सके. जानकारों का कहना है कि बाढ़ के नाम पर करोड़ों के खर्च को किसी तरह या तो कम किया जाय या स्थायी विकल्प होना चाहिये.
बता दें कि तटबंध को सुरक्षित रखने के लिये बाढ़ पूर्व ऐसे स्थलों व नाजुक बिंदुओं सहित रेनकट आदि चिह्नित जगहों पर विभाग द्वारा ससमय काम पूरा कर लिया जाता है. यहां तक कि बाढ़ निरोधक कार्य के नाम पर लाखों की राशि कोसी नदी में पानी की तरह बहा दिया जाता है. हालांकि ये भी सच है कि स्पर की सुरक्षा ज़रूरी है. बहरहाल, आज की तारीख में भी 64.95 किमी स्पर पर दबाव बरकरार है. सूत्रों की मानें तो उक्त स्पर को बचाने के नाम पर पानी में खूब पैसे बहाये गये हैं.