जीरादेई : पिछले वर्ष की भांति इस वर्ष भी माॅनसून किसानों के लिये पहेली साबित हो रहा है. मौसम विभाग ने इस वर्ष सामान्य बारिश की भविष्यवाणी की थी पर अब तक के रिकार्ड से ऐसा लग रहा है कि माॅनसून इस वर्ष भी धोखा न दे दे. रोहिणी नक्षत्र में गिराये गये धान का बिचड़ा सूखने लगा है. जल स्तर गिरने के कारण कई क्षेत्रों में बोरिंग भी रुक-रुक कर पानी दे रहा है. एक साथ दो-दो मुसीबतों से लाचार किसानों को जूझना पड़ रहा है.
इधर सिंचाई विभाग नहरों में पानी उपलब्धता सुनिश्चित कराने के प्रति बेपरवाह बना हुआ है. इसका आक्रोश भी किसानों को है. कृषि विभाग के आकड़े पर गौर करें तो अब तक 80 मिलीमीटर बारिश हुई है जबिक 125 एमएम बारिश होनी चाहिए. किसान केदार गिरि का कहना है कि मिट्टी में नमी की कमी का सीधा प्रभाव बिचड़ा पर पड़ रहा है.
किसान सुरेश भारती का कहना है कि किसानों के सामने दोहरी समस्या आन पड़ी है. एक तरफ किसानों ने धान का महंगा बीज खरीदकर बिचड़ा गिराया है वहीं बारिश नहीं होने से इसका प्रतिकूल प्रभाव बिचड़ा पर पड़ रहा है. राम नरेश द्विवेदी ने कहा कि नहरों में पानी की उपलब्धता होती तो बिचड़े को राहत होती.