आधी आबादी को अधिकार मिला, संबल नहींअधिकतर महिला जनप्रतिनिधियों के फैसले लेते हैं परिजनपंचायतों में कहीं पति-भैंसुर, तो कहीं ससुर-देवर की चलती है धाकजनप्रतिनिधि बनने के बाद भी चौखट से बाहर नहीं निकल रही महिलाएंसंभव हो तो पंचायत व आधी आबादी का लोगो लगा लें.बड़हरिया (सीवान). मतदाता सूची के विखंडन के साथ ही जिले में पंचायत चुनाव की सुगबुगाहट फिर तेज हो गयी है. अप्रैल 2016 में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव होना तय है. ऐसे में महिला सशक्तीकरण की मिसाल पेश करते हुए फिर पंचायती राज में आधी आबादी का दबदबा होगा. इसमें ज्यादातर पुरानी जनप्रतिनिधि महिलाएं चुनाव लड़ेंगी, जो पंचायत जन प्रतिनिधि बनने के बाद भी अपने अधिकार से दूर हैं और उनके परिजन ही उसके अधिकार का प्रयोग करते है. पंचायत चुनाव में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण देने के बावजूद अधिकतर महिला जनप्रतिनिधि चौखट नहीं लांघ पायी है. वार्ड से लेकर मुखिया महिलाएं चुन कर आयीं. ऐसे तो वार्ड सदस्य, पंचायत समिति सदस्य , सरपंच, पंच, मुखिया व जिला पार्षद के तौर पर ये महिलाएं बड़ी संख्या में जीत कर आयी हैं. लेकिन उनकी सशक्त भागीदारी पंचायत या प्रखंड के विकास के लिए योजनाओं के चयन में सुनिश्चित नहीं हो पाती. महिला प्रतिनिधियों की जगह प्राय: उनके परिजन ही ग्रामसभा, आमसभा से लेकर विभिन्न बैठकों में भाग लेकर निर्णायक भूमिका में रहते हैं. जनता से नहीं होता है सीधा संवादमहिला जनप्रतिनिधियों के बारे में कहा जाता है कि उनका सीधा संवाद जनता से नहीं होता है. ऐसे में पति-भैंसुर, तो कहीं ससुर-देवर की धाक चलती है. जनता से मिलने-जुलने के बाद प्राय. वह ही फैसले सुना देते हैं. हालांकि प्रखंड में कई महिला पंचायत प्रतिनिधि ऐसी भी है जो मुखर होकर अपनी भूमिका निभाती हैं. मुखिया, पंचायत समिति सदस्य, प्रमुख, जिला पार्षद आदि पदों पर निर्वाचित इन महिलाओं ने समय-समय पर अपनी प्रतिभा व क्षमता का परिचय देकर जिले का मान बढ़ाया है. जन सेवा में जुटी कई महिलाएं हैं मुखर तेतहली पंचायत की मुखिया प्रो महजबी फारुकी, पूर्व प्रमुख व पंचायत समिति सदस्य शमा परवीन, जिला पार्षद संगीता कुमारी, प्रमुख किरण कुमारी सहित कई महिला प्रतिनिधियों ने अपने मानक स्थापित किये हैं. बताया गया कि जड़ता के चलते काम करने में परेशानी होती है. कुछेक मौके पर वह आगे बढ़ कर काम करना चाहती हैं, लेकिन बंदिशों के चलते ऐसा मुमकिन नहीं हो पाता.
आधी आबादी को अधिकार मिला, संबल नहीं
आधी आबादी को अधिकार मिला, संबल नहींअधिकतर महिला जनप्रतिनिधियों के फैसले लेते हैं परिजनपंचायतों में कहीं पति-भैंसुर, तो कहीं ससुर-देवर की चलती है धाकजनप्रतिनिधि बनने के बाद भी चौखट से बाहर नहीं निकल रही महिलाएंसंभव हो तो पंचायत व आधी आबादी का लोगो लगा लें.बड़हरिया (सीवान). मतदाता सूची के विखंडन के साथ ही जिले में […]
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